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बिना कर्मचारी परिवहन विभाग कैसे करें वाहनों की निगरानी, सड़क दुर्घटनाओं के दौरान उठते हैं सवाल

परिवहन विभाग में लंबे समय से कर्मचारियों की टोटा बना हुआ है. जिससे विभाग का काम प्रभावित होता रहता है.

Uttarakhand Transport Commissioner Office
उत्तराखंड परिवहन आयुक्त कार्यालय (Photo-ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 19 hours ago

देहरादून: अल्मोड़ा बस हादसे जैसी घटनाएं अक्सर परिवहन विभाग के कमजोर इन्फोर्समेंट को चर्चाओं में ला देती है, लेकिन हकीकत ये भी है कि परिवहन विभाग कर्मियों की कमी के कारण लाचार स्थिति में है. यहां ना तो फील्ड में काम करने वाले पर्याप्त परिवहन सिपाही मौजूद हैं और ना ही मौजूदा जरूरत के लिहाज से चालक हैं.उत्तराखंड में अक्सर बड़ी सड़क दुर्घटनाएं परिवहन विभाग की कार्यप्रणाली को सवालों में ला देती है.

परिवहन विभाग पर उठते रहे हैं सवाल: यहां पिछले कुछ महीने सड़क हादसों के लिहाज से बेहद खराब रहे हैं.अल्मोड़ा के सल्ट में हुए बस हादसे के कारण तो परिवहन विभाग के अधिकारियों को निलंबित तक होना पड़ा है. लेकिन एक हकीकत यह भी है कि परिवहन विभाग राज्य भर में वाहनों के इंफोर्समेंट के लिए तैयार ही नहीं है.विभाग के पास कर्मचारियों की भारी कमी है, जिससे कार्यक्षमता भी प्रभावित होती है. उत्तराखंड संभागीय परिवहन विभाग में कर्मियों की मौजूदगी का आंकड़ा देखा जाए तो यह काफी चौंकाने वाला है. फील्ड स्तर पर देखा जाए तो एनफोर्समेंट के लिए सिपाही का पद बेहद अहम होता है.

परिवहन विभाग में कर्मचारियों की भारी कमी (Video-ETV Bharat)

विभाग में कर्मचारियों की भारी कमी: लेकिन आंकड़े यह जाहिर करते हैं कि फील्ड पर काम करने वाले सिपाही परिवहन विभाग के पास पर्याप्त संख्या में मौजूद ही नहीं हैं. परिवहन विभाग में सिपाही के 215 पद स्वीकृत हैं, इसमें से केवल 65 पदों पर ही रेगुलर सिपाही की तैनाती की जा सकी है. हालांकि इस कमी को देखते हुए 110 पदों पर सिपाही की भर्ती करने की कोशिश की गई थी और इसके लिए उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को अधियाचन भी भेज दिया गया था. खास बात यह है कि आयोग ने भी काफी तेजी से इन पदों पर भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाया और प्रक्रिया को पूरा करते हुए रिजल्ट भी घोषित कर दिए गए.

सिपाही और चालकों के पद खाली: लेकिन इस दौरान कुछ तकनीकी खामियां आने के बाद इन पदों पर तैनाती ही नहीं हो पाई. हालांकि अब उत्तराखंड आधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष जीएस मर्तोलिया कहते हैं कि जल्द ही इस भर्ती की तकनीकी खामियों को खत्म करते हुए नए रिजल्ट को घोषित कर दिया जाएगा और परिवहन विभाग के साथ आबकारी विभाग को भी विभिन्न पदों पर सिपाही मिल सकेंगे. उत्तराखंड संभागीय परिवहन विभाग में बात केवल सिपाही के पद की ही नहीं हैं, बल्कि यहां चालकों की संख्या भी मौजूद स्थिति के लिहाज से काफी कम दिखाई देती है. दरअसल उत्तराखंड में वक्त के साथ परिवहन विभाग की कई चौकिया को खत्म करते हुए विभिन्न दल तैयार किए गए. इसी तरह इंटरसेप्टर गाड़ियां भी विभाग में लाई गई.

आउटसोर्स कर्मियों से चल रहा काम: लेकिन इसलिए आज से परिवहन विभाग में चालकों के ढांचे को बढ़ाया नहीं जा सका. मौजूदा स्थिति में परिवहन विभाग में करीब 90 चालकों के पदों की जरूरत मानी जा रही है, लेकिन फिलहाल इसके सापेक्ष केवल 28 पद पर ही चालक मौजूद हैं. हालांकि 9 चालक आउटसोर्स पर रखकर काम-चलाऊ व्यवस्था चलाई जा रही है. जबकि इसके बावजूद भी विभाग के पास केवल 37 चालक ही मौजूद हैं.उत्तराखंड में परिवहन विभाग वाहनों पर निगरानी के लिए कुल 28 दल बनाए हुए हैं, इसी तरह विभाग के पास 16 इंटरसेप्टर भी मौजूद हैं. इस तरह देखा जाए तो फील्ड स्तर पर ही एनफोर्समेंट के लिए 44 चालकों की केवल इसी स्तर पर जरूरत है. जबकि इसके अलावा अधिकारियों की गाड़ियां और दूसरे वाहन के लिए भी चालकों की जरूरत होती है.

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परिवहन विभाग पर उठते रहे हैं सवाल: यहां पिछले कुछ महीने सड़क हादसों के लिहाज से बेहद खराब रहे हैं.अल्मोड़ा के सल्ट में हुए बस हादसे के कारण तो परिवहन विभाग के अधिकारियों को निलंबित तक होना पड़ा है. लेकिन एक हकीकत यह भी है कि परिवहन विभाग राज्य भर में वाहनों के इंफोर्समेंट के लिए तैयार ही नहीं है.विभाग के पास कर्मचारियों की भारी कमी है, जिससे कार्यक्षमता भी प्रभावित होती है. उत्तराखंड संभागीय परिवहन विभाग में कर्मियों की मौजूदगी का आंकड़ा देखा जाए तो यह काफी चौंकाने वाला है. फील्ड स्तर पर देखा जाए तो एनफोर्समेंट के लिए सिपाही का पद बेहद अहम होता है.

परिवहन विभाग में कर्मचारियों की भारी कमी (Video-ETV Bharat)

विभाग में कर्मचारियों की भारी कमी: लेकिन आंकड़े यह जाहिर करते हैं कि फील्ड पर काम करने वाले सिपाही परिवहन विभाग के पास पर्याप्त संख्या में मौजूद ही नहीं हैं. परिवहन विभाग में सिपाही के 215 पद स्वीकृत हैं, इसमें से केवल 65 पदों पर ही रेगुलर सिपाही की तैनाती की जा सकी है. हालांकि इस कमी को देखते हुए 110 पदों पर सिपाही की भर्ती करने की कोशिश की गई थी और इसके लिए उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को अधियाचन भी भेज दिया गया था. खास बात यह है कि आयोग ने भी काफी तेजी से इन पदों पर भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाया और प्रक्रिया को पूरा करते हुए रिजल्ट भी घोषित कर दिए गए.

सिपाही और चालकों के पद खाली: लेकिन इस दौरान कुछ तकनीकी खामियां आने के बाद इन पदों पर तैनाती ही नहीं हो पाई. हालांकि अब उत्तराखंड आधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष जीएस मर्तोलिया कहते हैं कि जल्द ही इस भर्ती की तकनीकी खामियों को खत्म करते हुए नए रिजल्ट को घोषित कर दिया जाएगा और परिवहन विभाग के साथ आबकारी विभाग को भी विभिन्न पदों पर सिपाही मिल सकेंगे. उत्तराखंड संभागीय परिवहन विभाग में बात केवल सिपाही के पद की ही नहीं हैं, बल्कि यहां चालकों की संख्या भी मौजूद स्थिति के लिहाज से काफी कम दिखाई देती है. दरअसल उत्तराखंड में वक्त के साथ परिवहन विभाग की कई चौकिया को खत्म करते हुए विभिन्न दल तैयार किए गए. इसी तरह इंटरसेप्टर गाड़ियां भी विभाग में लाई गई.

आउटसोर्स कर्मियों से चल रहा काम: लेकिन इसलिए आज से परिवहन विभाग में चालकों के ढांचे को बढ़ाया नहीं जा सका. मौजूदा स्थिति में परिवहन विभाग में करीब 90 चालकों के पदों की जरूरत मानी जा रही है, लेकिन फिलहाल इसके सापेक्ष केवल 28 पद पर ही चालक मौजूद हैं. हालांकि 9 चालक आउटसोर्स पर रखकर काम-चलाऊ व्यवस्था चलाई जा रही है. जबकि इसके बावजूद भी विभाग के पास केवल 37 चालक ही मौजूद हैं.उत्तराखंड में परिवहन विभाग वाहनों पर निगरानी के लिए कुल 28 दल बनाए हुए हैं, इसी तरह विभाग के पास 16 इंटरसेप्टर भी मौजूद हैं. इस तरह देखा जाए तो फील्ड स्तर पर ही एनफोर्समेंट के लिए 44 चालकों की केवल इसी स्तर पर जरूरत है. जबकि इसके अलावा अधिकारियों की गाड़ियां और दूसरे वाहन के लिए भी चालकों की जरूरत होती है.

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