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यूपी के जिला अस्पतालों में रेडियोलॉजिस्ट की कमी, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य महानिदेशक को तलब किया - Allahabad High Court

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी के जिला अस्पतालों में रेडियोलॉजिस्ट की कमी को लेकर चिकित्सा स्वास्थ्य महानिदेशक को तलब किया है.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य महानिदेशक से मांगा जवाब (Photo Credit- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 31, 2024, 8:38 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शनिवार को प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य महानिदेशक को सूबे के जिला अस्पतालों में रेडियोलॉजिस्ट की कमी के संबंध में स्पष्टीकरण देने के लिए तलब किया है. कोर्ट ने एक जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए मौजूदा स्थिति को लालफीताशाही दृष्टिकोण का एक उत्कृष्ट उदाहरण बताते हुए टिप्पणी की कि रेडियोलॉजिस्ट की अनुपस्थिति के कारण पीड़िता की चिकित्सा जांच में काफी देरी हुई थी.

हाईकोर्ट ने जिला अस्पतालों में रेडियोलॉजिस्ट उपलब्ध कराने में असमर्थता के लिए राज्य सरकार के अधिकारियों की आलोचना की. कहा कि इस कारण पीड़िता की आयु निर्धारित करने के लिए आवश्यक चिकित्सीय परीक्षण में देरी हुई. बलिया के सीएमओ को अन्य जिलों में परीक्षण की व्यवस्था करनी पड़ी, जिससे पीड़िता को और अधिक आघात पहुंचा. रेडियोलॉजिस्ट की अनुपलब्धता के कारण पीड़िता को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया गया. कोर्ट ने महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, अपर निदेशक स्वास्थ्य आजमगढ़ ओर वाराणसी के सीएमओ को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया है.

साथ ही महानिदेशक को हलफनामे में विभिन्न जिलों में तैनात रेडियोलॉजिस्टों की संख्या, उनकी योग्यता और सरकारी कोटे से उन्हें किस हद तक लाभ मिल रहा है, उसके बारे में विस्तृत जानकारी देने को कहा है. यह आदेश न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने नाबालिग लड़की के अपहरण और रेप के आरोपी प्रकाश कुमार गुप्ता की जमानत मंजूर करते हुए दिया है. चिकित्सा स्वास्थ्य महानिदेशक को तलब करने का न्यायालय का आदेश तब आया जब यह पता चला कि रेडियोलॉजिस्ट की अनुपस्थिति के कारण पीड़िता की चिकित्सा जांच में काफी देरी हुई थी. पीड़िता को पहले वाराणसी और फिर आजमगढ़ ले जाया गया, लेकिन प्रशासनिक लाल फीताशाही के कारण उसे बार-बार मना कर दिया गया और देरी हुई.

प्रकाश कुमार गुप्ता ने आईपीसी की धारा 363, 366 व 376(3) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम की धारा 5 एल और 6 के तहत आरोप लगाया गया. कोर्ट ने कहा कि पोक्सो अधिनियम 18 वर्ष से कम आयु के नाबालिगों को यौन शोषण से बचाने के लिए बनाया गया है. इस अधिनियम के अंतर्गत आने के लिए पीड़िता की आयु गलत बताने से आरोपी को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं, जिसमें कारावास भी शामिल है.

इस मामले में चिकित्सीय परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर पीड़िता की आयु 19 वर्ष पाई गई. कोर्ट ने याची प्रकाश कुमार गुप्ता की ज़मानत याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष ऐसी असाधारण परिस्थितियां स्थापित करने में विफल रहा है, जिसके कारण ज़मानत देने से इनकार किया जा सके. बलिया के सहतवार थाने के इस मामले में याची आरोप है कि उसने 16 मार्च 2023 को 13 वर्षीय नाबालिग लड़की का अपहरण किया और उसके बाद उसका यौन उत्पीड़न किया. एफआईआर घटना के एक दिन बाद दर्ज की गई थी और अपराध के समय का कोई विशेष उल्लेख नहीं था.

अदालत के निर्देश पर पीड़िता के चिकित्सीय परीक्षण से पता चला कि उसकी उम्र 19 वर्ष थी, जो उसके नाबालिग होने के शुरुआती दावे का खंडन करता है. इस विसंगति ने मामले में पाक्सो अधिनियम लगाने पर सवाल भी खड़े किए.

ये भी पढ़ें- बहराइच में आदमखोर भेड़ियों का आतंक; 23 दिन में 5 लोगों का किया शिकार, दहशत में 35 गांव, दिन-रात पहरा दे रहे ग्रामीण - Wolves Terror Bahraich

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शनिवार को प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य महानिदेशक को सूबे के जिला अस्पतालों में रेडियोलॉजिस्ट की कमी के संबंध में स्पष्टीकरण देने के लिए तलब किया है. कोर्ट ने एक जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए मौजूदा स्थिति को लालफीताशाही दृष्टिकोण का एक उत्कृष्ट उदाहरण बताते हुए टिप्पणी की कि रेडियोलॉजिस्ट की अनुपस्थिति के कारण पीड़िता की चिकित्सा जांच में काफी देरी हुई थी.

हाईकोर्ट ने जिला अस्पतालों में रेडियोलॉजिस्ट उपलब्ध कराने में असमर्थता के लिए राज्य सरकार के अधिकारियों की आलोचना की. कहा कि इस कारण पीड़िता की आयु निर्धारित करने के लिए आवश्यक चिकित्सीय परीक्षण में देरी हुई. बलिया के सीएमओ को अन्य जिलों में परीक्षण की व्यवस्था करनी पड़ी, जिससे पीड़िता को और अधिक आघात पहुंचा. रेडियोलॉजिस्ट की अनुपलब्धता के कारण पीड़िता को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया गया. कोर्ट ने महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, अपर निदेशक स्वास्थ्य आजमगढ़ ओर वाराणसी के सीएमओ को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया है.

साथ ही महानिदेशक को हलफनामे में विभिन्न जिलों में तैनात रेडियोलॉजिस्टों की संख्या, उनकी योग्यता और सरकारी कोटे से उन्हें किस हद तक लाभ मिल रहा है, उसके बारे में विस्तृत जानकारी देने को कहा है. यह आदेश न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने नाबालिग लड़की के अपहरण और रेप के आरोपी प्रकाश कुमार गुप्ता की जमानत मंजूर करते हुए दिया है. चिकित्सा स्वास्थ्य महानिदेशक को तलब करने का न्यायालय का आदेश तब आया जब यह पता चला कि रेडियोलॉजिस्ट की अनुपस्थिति के कारण पीड़िता की चिकित्सा जांच में काफी देरी हुई थी. पीड़िता को पहले वाराणसी और फिर आजमगढ़ ले जाया गया, लेकिन प्रशासनिक लाल फीताशाही के कारण उसे बार-बार मना कर दिया गया और देरी हुई.

प्रकाश कुमार गुप्ता ने आईपीसी की धारा 363, 366 व 376(3) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम की धारा 5 एल और 6 के तहत आरोप लगाया गया. कोर्ट ने कहा कि पोक्सो अधिनियम 18 वर्ष से कम आयु के नाबालिगों को यौन शोषण से बचाने के लिए बनाया गया है. इस अधिनियम के अंतर्गत आने के लिए पीड़िता की आयु गलत बताने से आरोपी को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं, जिसमें कारावास भी शामिल है.

इस मामले में चिकित्सीय परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर पीड़िता की आयु 19 वर्ष पाई गई. कोर्ट ने याची प्रकाश कुमार गुप्ता की ज़मानत याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष ऐसी असाधारण परिस्थितियां स्थापित करने में विफल रहा है, जिसके कारण ज़मानत देने से इनकार किया जा सके. बलिया के सहतवार थाने के इस मामले में याची आरोप है कि उसने 16 मार्च 2023 को 13 वर्षीय नाबालिग लड़की का अपहरण किया और उसके बाद उसका यौन उत्पीड़न किया. एफआईआर घटना के एक दिन बाद दर्ज की गई थी और अपराध के समय का कोई विशेष उल्लेख नहीं था.

अदालत के निर्देश पर पीड़िता के चिकित्सीय परीक्षण से पता चला कि उसकी उम्र 19 वर्ष थी, जो उसके नाबालिग होने के शुरुआती दावे का खंडन करता है. इस विसंगति ने मामले में पाक्सो अधिनियम लगाने पर सवाल भी खड़े किए.

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