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SHO व DCP स्पेशल सेल, क्राइम ब्रांच को नहीं देंगे वारदात की सीसीटीवी फुटेज, जानें क्यों ? - DCP will not give CCTV footage

Delhi Police: दिल्ली पुलिस के SHO और DCP अब स्पेशल सेल व क्राइम ब्रांच के साथ सनसनीखेज वारदातों की सीसीटीवी फुटेज को साझा नहीं करेंगे. दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने इसको लेकर आदेश जारी किए हैं.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 20, 2024, 10:05 PM IST

नई दिल्ली: किसी भी सनसनीखेज मामले को सुलझाने में CCTV फुटेज और टेक्निकल सर्विलांस पुलिस के लिए काफी महत्वपूर्ण होते हैं. कई बार यही फुटेज वायरल होकर दिल्ली पुलिस की किरकिरी भी करा चुके हैं. हाल में नजफगढ़ डबल मर्डर मामले की वायरल सीसीटीवी फुटेज इसका ताजा उदाहरण है. मामले में अभी तक एक भी शूटर पकड़े नहीं गए हैं.

दिल्ली में अनुमान के अनुसार, करीब 2 लाख सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं. उसी सीसीटीवी की फुटेज वायरल हो जाती है, जो पुलिस के लिए परेशानी का सबब बनते हैं. इसको देखते हुए दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने इसको लेकर कड़ा रुख अपनाया है. पुलिस सूत्रों के अनुसार, दिल्ली के सभी डीसीपी और थाने के एसएचओ को इस तरह की वीडियो वायरल होने से रोकने के ऑर्डर जारी किए गए हैं. यदि कोई सीसीटीवी फुटेज का वीडियो वायरल होता है, तो जिले के डीसीपी और एसएचओ की जिम्मेदारी तय की जाएगी.

सीसीटीवी फुटेज वायरल होने से आरोपी की शिनाख्त परेड हो जाता है मुश्किल

कहा गया है कि कई गंभीर मामलों की सीसीटीवी फुटेज वायरल होने से जहां एक तरफ पीड़ित की निजता खतरे में पड़ती है. वहीं दूसरी तरफ आरोपी की शिनाख्त परेड कराना भी मुश्किल हो जाता है. क्योंकि वारदात के बाद सीसीटीवी फुटेज लीक होने से उसकी पहचान पहले ही सबके सामने आ जाती है. ऐसे में बाद में शिनाख्त परेड की गुंजाइश नहीं के बराबर रहती है.

फुटेज वायरल होने के कई कारण सामने आए हैं. किसी भी सनसनीखेज मामले की जांच कर रहे पुलिसकर्मी फुटेज को विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुप में डालकर आरोपी की पहचान का प्रयास करते हैं. पुलिसकर्मी अपने इन्फॉर्मर को भी भेजकर आरोपी की पहचान करवाने की कोशिश करते हैं, क्योंकि अपराध की काफी घटनाओं को सुलझाने और अपराधियों को पकड़ने में सीसीटीवी से मदद मिलती है. इन सबके बीच वह फुटेज आम लोगों के बीच वायरल हो जाती है, जो परेशानी की वजह बनकर सामने आ जाती है. इसको रोकना पुलिस के लिए आवश्यक हो गया है.

ये भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से मांगी तिहाड़ में बंद न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ की मेडिकल रिपोर्ट

पुलिस कमिश्नर की तरफ से ऑर्डर दिया गया है कि अपराध के बाद सीसीटीवी को सीज किया जाए. उसमें दिख रहे आरोपियों की फोटो निकाली जाए और उन्हें पुलिस की विभिन्न टीमों और इंफॉर्मर को पहचान के लिए दिया जाए. ऐसा करने से आरोपी की पहचान भी हो जाएगी और सीसीटीवी भी वायरल नहीं होगा. फुटेज को वायरल होने से रोकने के लिए दिल्ली पुलिस की अलग अलग स्पेशल यूनिट जैसे क्राइम ब्रांच, स्पेशल सेल इत्यादि को भी केवल स्क्रीनशॉट ही उपलब्ध करवाने के लिए कहा गया है.

ये भी पढ़ें: दिल्ली पुलिस में एसीपी स्तर के 09 अधिकारियों का हुआ तबादला, देखें लिस्ट

कोई भी स्पेशल यूनिट थाने की पुलिस से सीसीटीवी फुटेज नहीं मांगेगी. इस ऑर्डर को पालन करवाने की जिम्मेदारी जिले के डीसीपी की होगी. इस मामले में एक पूर्व पुलिस ऑफिसर ने कहा सीसीटीवी फुटेज किसी भी अपराध में डिजिटल साक्ष्य होता है. अगर फोरेंसिक जांच में इसकी फोटो से छेड़छाड़ नहीं होने की बात सामने आती है तो अदालत उसे महत्वपूर्ण साक्ष्य मानती है. अगर सीसीटीवी वायरल होती है तो आरोपी का चेहरा लोगों में पहुंच जाता है, ऐसे में उसकी शिनाख्त परेड नहीं हो सकती है. इसलिए पुलिस कमिश्नर ने इस तरह के आर्डर जारी किए हैं.

ये भी पढ़ें: अलीपुर अग्निकांड हादसे को लेकर मेयर ने मांगी फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट, विपक्ष ने निगम के काम पर उठाए सवाल


नई दिल्ली: किसी भी सनसनीखेज मामले को सुलझाने में CCTV फुटेज और टेक्निकल सर्विलांस पुलिस के लिए काफी महत्वपूर्ण होते हैं. कई बार यही फुटेज वायरल होकर दिल्ली पुलिस की किरकिरी भी करा चुके हैं. हाल में नजफगढ़ डबल मर्डर मामले की वायरल सीसीटीवी फुटेज इसका ताजा उदाहरण है. मामले में अभी तक एक भी शूटर पकड़े नहीं गए हैं.

दिल्ली में अनुमान के अनुसार, करीब 2 लाख सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं. उसी सीसीटीवी की फुटेज वायरल हो जाती है, जो पुलिस के लिए परेशानी का सबब बनते हैं. इसको देखते हुए दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने इसको लेकर कड़ा रुख अपनाया है. पुलिस सूत्रों के अनुसार, दिल्ली के सभी डीसीपी और थाने के एसएचओ को इस तरह की वीडियो वायरल होने से रोकने के ऑर्डर जारी किए गए हैं. यदि कोई सीसीटीवी फुटेज का वीडियो वायरल होता है, तो जिले के डीसीपी और एसएचओ की जिम्मेदारी तय की जाएगी.

सीसीटीवी फुटेज वायरल होने से आरोपी की शिनाख्त परेड हो जाता है मुश्किल

कहा गया है कि कई गंभीर मामलों की सीसीटीवी फुटेज वायरल होने से जहां एक तरफ पीड़ित की निजता खतरे में पड़ती है. वहीं दूसरी तरफ आरोपी की शिनाख्त परेड कराना भी मुश्किल हो जाता है. क्योंकि वारदात के बाद सीसीटीवी फुटेज लीक होने से उसकी पहचान पहले ही सबके सामने आ जाती है. ऐसे में बाद में शिनाख्त परेड की गुंजाइश नहीं के बराबर रहती है.

फुटेज वायरल होने के कई कारण सामने आए हैं. किसी भी सनसनीखेज मामले की जांच कर रहे पुलिसकर्मी फुटेज को विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुप में डालकर आरोपी की पहचान का प्रयास करते हैं. पुलिसकर्मी अपने इन्फॉर्मर को भी भेजकर आरोपी की पहचान करवाने की कोशिश करते हैं, क्योंकि अपराध की काफी घटनाओं को सुलझाने और अपराधियों को पकड़ने में सीसीटीवी से मदद मिलती है. इन सबके बीच वह फुटेज आम लोगों के बीच वायरल हो जाती है, जो परेशानी की वजह बनकर सामने आ जाती है. इसको रोकना पुलिस के लिए आवश्यक हो गया है.

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पुलिस कमिश्नर की तरफ से ऑर्डर दिया गया है कि अपराध के बाद सीसीटीवी को सीज किया जाए. उसमें दिख रहे आरोपियों की फोटो निकाली जाए और उन्हें पुलिस की विभिन्न टीमों और इंफॉर्मर को पहचान के लिए दिया जाए. ऐसा करने से आरोपी की पहचान भी हो जाएगी और सीसीटीवी भी वायरल नहीं होगा. फुटेज को वायरल होने से रोकने के लिए दिल्ली पुलिस की अलग अलग स्पेशल यूनिट जैसे क्राइम ब्रांच, स्पेशल सेल इत्यादि को भी केवल स्क्रीनशॉट ही उपलब्ध करवाने के लिए कहा गया है.

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कोई भी स्पेशल यूनिट थाने की पुलिस से सीसीटीवी फुटेज नहीं मांगेगी. इस ऑर्डर को पालन करवाने की जिम्मेदारी जिले के डीसीपी की होगी. इस मामले में एक पूर्व पुलिस ऑफिसर ने कहा सीसीटीवी फुटेज किसी भी अपराध में डिजिटल साक्ष्य होता है. अगर फोरेंसिक जांच में इसकी फोटो से छेड़छाड़ नहीं होने की बात सामने आती है तो अदालत उसे महत्वपूर्ण साक्ष्य मानती है. अगर सीसीटीवी वायरल होती है तो आरोपी का चेहरा लोगों में पहुंच जाता है, ऐसे में उसकी शिनाख्त परेड नहीं हो सकती है. इसलिए पुलिस कमिश्नर ने इस तरह के आर्डर जारी किए हैं.

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