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अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर छाया शीतलाखेत मॉडल, वनों को आग से बचाने में निभाया महत्वपूर्ण योगदान - Shitalakhet Model

Shitalakhet Model अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में जंगलों को आग से बचाने के लिए शीतलाखेत मॉडल की सराहना की गई. अभियान के संयोजक ने अल्मोड़ा पहुंचकर पूरी जानकारी.

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अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर छाया शीतलाखेत मॉडल (PHOTO- जंगल बचाओ-जीवन बचाओ शीतलाखेत)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 25, 2024, 5:52 PM IST

अल्मोड़ा: उत्तराखंड राज्य जैव विविधता बोर्ड और यूकॉस्ट की ओर से अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के मौके पर देहरादून में उत्तराखंड के जंगलों को आग से बचाने पर जोर देते हुए अल्मोड़ा के शीतलाखेत में किए जा रहे प्रयासों की प्रशंसा की गई. अल्मोड़ा के स्याही देवी शीतलाखेत क्षेत्र में जंगलों और जैव विविधता को वनाग्नि से बचाने के लिए वन विभाग और जंगल प्रेमियों की ओर से किए जा रहे संयुक्त प्रयासों को पूरे उत्तराखंड में लागू करने पर जोर दिया गया.

कार्यक्रम में 'जंगल बचाओ-जीवन बचाओ' अभियान के संयोजक गजेंद्र पाठक ने अल्मोड़ा पहुंचकर बताया कि जन और तंत्र के सहयोग से स्याही देवी शीतलाखेत क्षेत्र में वर्ष 2003-4 से चल रहे 'जंगल बचाओ-जीवन बचाओ' अभियान की जानकारी दी. उन्होंने उत्तराखंड के जंगलों, जैव विविधता को आग के कहर से बचाने के लिए महिला मंगल दलों का महत्व, फायर लाइंस, आग बुझाने वालों के लिए 15 लाख रुपए तक का बीमा प्रावधान, ओण दिवस समेत जनसहभागिता के विषयों को प्रमुखता से रखा है.

उन्होंने बताया कि यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रोफेसर दुर्गेश पंत ने उत्तराखंड के जंगलों को आग से सुरक्षित रखने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के वर्ष 2022 में घोषित शीतलाखेत मॉडल को पूरे प्रदेश में लागू करने की जरुरत को जोर शोर से रखा है. पर्यावरणविद अनिल जोशी ने इस तरह के मॉडल को राज्य के सभी हिस्सों में भी बनाए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया है. उन्होंने कहा कि शीतलाखेत में जनसहभागिता के जो प्रयास किए गए हैं, वह सराहनीय है. कार्यक्रम में वन विभाग के प्रमुख धनंजय मोहन ने भी शीतलाखेत मॉडल को वनाग्नि नियंत्रण और प्रबंधन की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण बताया और इसे मजबूत कर पूरे उत्तराखंड में लागू किए जाने पर जोर दिया है.

ये भी पढ़ेंः फॉरेस्ट फायर मामले में उत्तराखंड से आगे हैं ये राज्य, फिर भी वनाग्नि के लिए सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरती है देवभूमि

अल्मोड़ा: उत्तराखंड राज्य जैव विविधता बोर्ड और यूकॉस्ट की ओर से अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के मौके पर देहरादून में उत्तराखंड के जंगलों को आग से बचाने पर जोर देते हुए अल्मोड़ा के शीतलाखेत में किए जा रहे प्रयासों की प्रशंसा की गई. अल्मोड़ा के स्याही देवी शीतलाखेत क्षेत्र में जंगलों और जैव विविधता को वनाग्नि से बचाने के लिए वन विभाग और जंगल प्रेमियों की ओर से किए जा रहे संयुक्त प्रयासों को पूरे उत्तराखंड में लागू करने पर जोर दिया गया.

कार्यक्रम में 'जंगल बचाओ-जीवन बचाओ' अभियान के संयोजक गजेंद्र पाठक ने अल्मोड़ा पहुंचकर बताया कि जन और तंत्र के सहयोग से स्याही देवी शीतलाखेत क्षेत्र में वर्ष 2003-4 से चल रहे 'जंगल बचाओ-जीवन बचाओ' अभियान की जानकारी दी. उन्होंने उत्तराखंड के जंगलों, जैव विविधता को आग के कहर से बचाने के लिए महिला मंगल दलों का महत्व, फायर लाइंस, आग बुझाने वालों के लिए 15 लाख रुपए तक का बीमा प्रावधान, ओण दिवस समेत जनसहभागिता के विषयों को प्रमुखता से रखा है.

उन्होंने बताया कि यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रोफेसर दुर्गेश पंत ने उत्तराखंड के जंगलों को आग से सुरक्षित रखने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के वर्ष 2022 में घोषित शीतलाखेत मॉडल को पूरे प्रदेश में लागू करने की जरुरत को जोर शोर से रखा है. पर्यावरणविद अनिल जोशी ने इस तरह के मॉडल को राज्य के सभी हिस्सों में भी बनाए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया है. उन्होंने कहा कि शीतलाखेत में जनसहभागिता के जो प्रयास किए गए हैं, वह सराहनीय है. कार्यक्रम में वन विभाग के प्रमुख धनंजय मोहन ने भी शीतलाखेत मॉडल को वनाग्नि नियंत्रण और प्रबंधन की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण बताया और इसे मजबूत कर पूरे उत्तराखंड में लागू किए जाने पर जोर दिया है.

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