मेरठ : शहर की शिप्रा शर्मा लिप्पन आर्ट के जरिए काफी नाम कमा चुकी हैं. बचपन के इस हुनर को उन्होंने तराशा तो देश के अलावा विदेश में भी उनकी चर्चाएं होने लगीं. इस बार दीपावली पर वह खास तरह के प्रोडक्ट तैयार कर रहीं हैं. अपनी इस कला के बदौलत वह आर्थिक रूप से कमजोर बेटियों को भी आत्मनिर्भर बना रहीं हैं. राष्ट्रपति भी उनकी इस प्रतिभा की कायल हैं. यूपी सरकार भी उन्हें सम्मानित कर चुकी है.
मूल रूप से बिहार के जहानाबाद की रहने वाली शिप्रा शर्मा मौजूदा समय में मेरठ में परिवार के साथ रहती हैं. मधुबनी पेंटिंग, बोटल आर्ट, मंडाला आर्ट, वारली पेंटिंग के प्रति बचपन से ही उनका रुझान था. शादी के बाद पारवारिक जिम्मेदारियों के निर्वहन के चलते वह अपने शौक से दूर रहीं. बच्चे बड़े होकर जिम्मेदार बन गए तो उन्होंने फिर से अपने हुनर को धार देना शुरू कर दिया. इसके बाद उन्होंने कई तरह के खास उत्पाद बनाने शुरू कर दिए.
बेस्ट हेंडीक्राफ्ट का मिला अवार्ड : देश के अलावा विदेश में भी उनकी कला के कद्रदान बढ़ने लगे. हाल ही में नोएडा में लगे इंटरनेशनल ट्रेड शो में शिप्रा को बेस्ट हैंडीक्राफ्ट का अवार्ड भी यूपी सरकार दे चुकी है. ईटीवी भारत से बातचीत में शिप्रा ने बताया कि उन्होंने किसी संस्थान से कोई कोर्स नहीं किया है. कोई डिग्री भी नहीं ली है. वह अलग-अलग तरह की अब तक हजारों वॉल हैंगिंग तैयार कर चुकी हैं. एक वॉल हेगिंग बनाने में कम से कम 5 दिन लगते हैं, जबकि कुछ तो ऐसे डिजाइन हैं जिन्हें तैयार करने में 15 दिन भी लग जाते हैं.
गरीब परिवार की बेटियों को बना रहीं हुनरमंद : शिप्रा ने बताया कि गांव में पहले लोग जमीन की लिपाई करते थे, लिप्पन शब्द वहीं से आया है. वह बचपन से इस कला की शौकीन रहीं हैं, लेकिन समय नहीं मिलता था. वक्त मिलने पर उन्होंने इसे प्रोफेशनली लेना शुरू कर दिया. उन्होंने अपने आसपास रहने वाली गरीब परिवार की बेटियों को भी जोड़ना शुरू कर दिया. वह करीब 10 बेटियों को ये हुनर सिखा चुकी हैं. इनमें से कई युवतियां इस कला के जरिए अपने परिवार को संबल दे रहीं हैं. कई बेटियों को उन्होंने अपने पास ही रोजगार दे रखा है. जबकि कई खुद का काम कर रहीं हैं.
विलुप्त हो रही कला को सहेजने की कोशिश : शिप्रा ने बताया कि इस कला से हर महीने लगभग एक लाख रुपये से ज्यादा की कमाई हो जाती है. मैं चाहती हूं कि और भी लोगों को काम दूं. बच्चियां इस हुनर को सीखकर आत्मनिर्भर बनें. यह कला विलुप्त होती जा रही है. इसे जिंदा रखना चाहती हूं. लिप्पन आर्ट एक प्राचीन कला है. आधुनिकता के दौर में इसकी पहचान सिमटती जा रही है. उनकी कोशिश नया स्वरूप देकर इस कला को निखारना है.
रूस से मिला 85 लाख रुपये का ऑर्डर : शिप्रा ने बताया कि उनके द्वारा तैयार प्रोडक्ट कई प्रदर्शनी में भी शामिल किए जा चुके के हैं. वह 4 साल से नियमित यह काम कर रहीं हैं. रूस से उनके पास 85 लाख रूपये के मंडाला आर्ट के माध्यम से तैयार किए गए लार्ड बुद्धा के 4000 पीस का ऑर्डर मिला था, लेकिन मैन पॉवर न होने की वजह से उन्होंने मना कर दिया. वह कहती हैं कि स्टाफ अभी इतना नहीं है. ऐसे में वह दीपावली तक इतना ऑर्डर तैयार करके नहीं दे सकती थीं.
राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू बढ़ा चुकी हैं हौसला : शिप्रा कहती हैं कि पिछले साल राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने एक कार्यक्रम में उनकी कला की तारीफ कर उनका हौसला बढ़ाया था. वह कहती हैं कि हाउसवाइफ से महिला उद्यमी बनने में परिवार का काफी योगदान है. वह लिप्पन आर्ट, मंडाला आर्ट और वर्ली आर्ट को मिक्स कर काम करती हैं. उन्होंने बताया कि क्ले मिरर से बनी अलग-अलग खूबसूरत कलाकृति की डिमांड अलग-अलग शहरों से लगातार आ रही है. आगामी दिनों में वह विदेश में भी अपने काम को आगे बढ़ाएंगी.
लोगों को रोजगार देना है मकसद : शिप्रा अपनी उत्पाद अलग-अलग शहरों में आयोजित होने वाली प्रदर्शनी, हाट और मेलों में भी लेकर जाती हैं. उन्होंने खुद की वेबसाइट भी बनाई है. वह बताती हैं कि उनके प्रोडक्ट ओएनडीसी ओडीओपी मार्ट पर भी सेल होते हैं. उनकी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को वह रोजगार दें. अभी सालाना 10 से 15 लाख का उनका टर्न ओवर है. शिप्रा के पास सीखकर हुनरमंद बन रहीं सोनिया कहती हैं कि वह अब तक काफी कुछ सीख गई हैं. इस हुनर से उनके परिवार की भी आर्थिक मदद हो रही है.
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