रामपुर बुशहर: हिमाचल प्रदेश में पिछले दिनों बादल फटने से आई आपदा में शिमला जिले के रामपुर के समेज गांव का नामोनिशान पूरी तरह से मिट गया है. कभी 15 घरों से आबाद रहने वाला यह गांव आज मलबे का ढेर बन चुका है. वहीं, इस मलबे में 14 घर पूरी तरह से दफन हो चुके हैं. समेज गांव की निशानी के तौर पर अगर कुछ बचा है तो वह है सिर्फ एक घर, लेकिन इस घर में रहने वाले लोगों ने भी आपदा आने पर जंगल में भागकर अपनी जान बचाई है.
शिमला जिले के रामपुर में आने वाला समेज गांव का निशान पूरी तरह से मिट गया है. जानकारी के अनुसार 31 जुलाई की रात को आई भारी बाढ़ अपने साथ पूरे गांव को बहाकर ले गया. इस गांव में लगभग 15 के करीब मकान और एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र था, जो बादल फटने से आई बाढ़ अपने साथ बहा कर लेकर गई.
समेज गांव के निवासी विपिन ने कहा, "यह पूरा समेज गांव शिमला जिले में आता था. यहां पर लगभग 15 मकान थे, जो बाढ़ में बह गए. इसके अलावा यहां पर एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी मौजूद था, लेकिन वह भी बाढ़ में पूरी तरह से बह गया, अब यहां पर सिर्फ एक घर बच गया है, जिसमें अनिता रहती थी".
वहीं, अनीता ने कहा, "वह अपने बच्चों के साथ 31 जुलाई की रात आई आपदा को देखते हुए जंगल की ओर भाग गई. जहां पर उन्होंने बच्चे के साथ पूरी रात बिताई. जैसे ही हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट में कार्यरत युवक दौड़ कर आए, तभी वह भी उनके साथ जंगल की ओर अपने बच्चों के साथ भाग गई. जिस कारण 11 लोगों की जान बच गई. रात भर उन्होंने एक माता के मंदिर में रहकर अपनी जान बचाई. अब उस स्थान पर एक ही घर रह गया है, जो सुरक्षित है".
वहीं, ग्राम पंचायत प्रधान ने बताया कि, "यह बेहद ही दुखद घटना है. उन्हें 31 जुलाई की रात को ही इसकी जानकारी प्राप्त हो चुकी थी, लेकिन सुबह के समय वह यहां पर पहुंचें. इस दौरान उन्होंने देखा की समेज गांव में जहां पहले लोगों के घर और खेत खलियान हुआ करते थे, व एक ही रात में बह गए. समेज गांव का पूरा क्षेत्र मिट्टी और चट्टानों में तब्दील हो गया".
बता दें कि 31 जुलाई की रात शिमला जिले के रामपुर के समेज गांव में बादल फटने से तबाही आई थी. इस आपदा में 36 लोग लापता हो गए. जिनमें 33 लोग शिमला जिले और 3 लोग कुल्लू जिले के रहने वाले थे. जिनका अभी तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है. वहीं, प्रशासन, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ की टीमें लापता लोगों की तलाश में जुटी है. डॉग स्क्वायड को भी आज मौके पर लाया गया है. रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए बटालियनों द्वारा अस्थाई पुल भी स्थापित किया गया है.