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सड़कों पर उतरे बीबीएमबी छंटनीकृत मजदूर, मुआवजे के साथ परिवारों को नौकरी देने की मांग - BBMB LABOUR UNION PROTEST

बीबीएमबी छंटनीकृत मजदूर यूनियन ने सड़कों पर उतरकर रोष रैली निकाली और अदालत के आदेशों के बीना मजदूरों को मुआवजा देने की मांग की.

BBMB LABOUR UNION PROTEST
बीबीएमबी छंटनीकृत मजदूर की रैली (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Feb 9, 2025, 2:30 PM IST

मंडी: हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी में बीबीएमबी छंटनीकृत मजदूर यूनियन ने प्रदेश और केंद्र सरकारों से मांग उठाई है कि वे छंटनी किए गए मजदूरों को अदालत के आदेशों के बीना मुआवजा भी दें और परिवार के सदस्यों को नौकरी भी दी जाए. अपनी इसी मांग को लेकर शनिवार को सैकड़ों छंटनीकृत मजदूर मंडी में सड़कों पर उतरे और रोष रैली निकाली.

छंटनीकृत मजदूरों के हक में अदालत का फैसला

बीबीएमबी छंटनीकृत मजदूर यूनियन के अध्यक्ष परस राम ने बताया कि जब बीबीएमबी प्रोजेक्ट बन रहा था तो उस वक्त बहुत से मजदूरों की छंटनी कर दी गई थी. उस वक्त प्रबंधन ने इन्हें भरोसा दिलाया था कि जो छंटनी करके निकाले गए मजदूर हैं, उन्हें नौकरी में प्राथमिकता दी जाएगी, लेकिन प्रबंधन ने ऐसा नहीं किया. इसके बाद यह मजदूर श्रम अदालत में चले गए. लंबे संघर्ष के बाद दिसंबर 2024 में 45 मजदूरों के हक में फैसला आया है. जिसमें अदालत ने छंटनी किए गए मजदूरों को ब्याज सहित वित्तीय लाभ देने का आदेश दिया है.

बीबीएमबी छंटनीकृत मजदूर यूनियन ने मंडी में निकाली रोष रैली (ETV Bharat)

परस राम ने कहा, "अदालत के इन आदेशों को प्रदेश और केंद्र सरकार को सभी छंटनीकृत मजदूरों पर लागू करना चाहिए. छंटनीकृत किए गए मजदूरों की संख्या 7 हजार से अधिक है. ऐसे में यह जरूरी नहीं कि यह सभी कोर्ट में जाकर ही आदेश पारित करवाएं, क्योंकि कोर्ट ने इस बात को माना है कि इनके सभी के साथ अन्याय हुआ है. इसलिए इन्हें लाभ देने के लिए कोर्ट के आदेशों का इंतजार न किया जाए."

उग्र आंदोलन की चेतावनी

परस राम ने बताया कि छंटनी किए गए मजदूरों का मामला साल 1980 का है. आज यह सभी बुजुर्ग हो चुके हैं और कुछ अब इस दुनिया में भी नहीं हैं. ऐसे में राज्य और केंद्र सरकार को चाहिए कि इनके परिवार के एक सदस्य को बीबीएमबी में पक्की नौकरी दी जाए. अभी जो मुआवजा इन्हें देने का आदेश है, उसमें 5 साल तक काम करने वालों को 25 हजार और इससे अधिक काम करने वालों को 50 हजार मुआवजा 9 प्रतिशत ब्याज के साथ देने का आदेश दिया गया है, लेकिन यह राशि कम है और सरकार इसमें भी बढ़ोतरी की जाए. अगर प्रदेश और केंद्र सरकार ऐसा नहीं करती है तो फिर भविष्य में इसे लेकर उग्र आंदोलन किया जाएगा जिसकी जिम्मेदारी केंद्र और प्रदेश सरकार की होगी.

ये भी पढ़ें: 'सालों नौकरी करने के बाद भी नहीं हुए रेगुलर' पंचायत चौकीदारों की सरकार से पॉलिसी बनाए जाने की मांग

मंडी: हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी में बीबीएमबी छंटनीकृत मजदूर यूनियन ने प्रदेश और केंद्र सरकारों से मांग उठाई है कि वे छंटनी किए गए मजदूरों को अदालत के आदेशों के बीना मुआवजा भी दें और परिवार के सदस्यों को नौकरी भी दी जाए. अपनी इसी मांग को लेकर शनिवार को सैकड़ों छंटनीकृत मजदूर मंडी में सड़कों पर उतरे और रोष रैली निकाली.

छंटनीकृत मजदूरों के हक में अदालत का फैसला

बीबीएमबी छंटनीकृत मजदूर यूनियन के अध्यक्ष परस राम ने बताया कि जब बीबीएमबी प्रोजेक्ट बन रहा था तो उस वक्त बहुत से मजदूरों की छंटनी कर दी गई थी. उस वक्त प्रबंधन ने इन्हें भरोसा दिलाया था कि जो छंटनी करके निकाले गए मजदूर हैं, उन्हें नौकरी में प्राथमिकता दी जाएगी, लेकिन प्रबंधन ने ऐसा नहीं किया. इसके बाद यह मजदूर श्रम अदालत में चले गए. लंबे संघर्ष के बाद दिसंबर 2024 में 45 मजदूरों के हक में फैसला आया है. जिसमें अदालत ने छंटनी किए गए मजदूरों को ब्याज सहित वित्तीय लाभ देने का आदेश दिया है.

बीबीएमबी छंटनीकृत मजदूर यूनियन ने मंडी में निकाली रोष रैली (ETV Bharat)

परस राम ने कहा, "अदालत के इन आदेशों को प्रदेश और केंद्र सरकार को सभी छंटनीकृत मजदूरों पर लागू करना चाहिए. छंटनीकृत किए गए मजदूरों की संख्या 7 हजार से अधिक है. ऐसे में यह जरूरी नहीं कि यह सभी कोर्ट में जाकर ही आदेश पारित करवाएं, क्योंकि कोर्ट ने इस बात को माना है कि इनके सभी के साथ अन्याय हुआ है. इसलिए इन्हें लाभ देने के लिए कोर्ट के आदेशों का इंतजार न किया जाए."

उग्र आंदोलन की चेतावनी

परस राम ने बताया कि छंटनी किए गए मजदूरों का मामला साल 1980 का है. आज यह सभी बुजुर्ग हो चुके हैं और कुछ अब इस दुनिया में भी नहीं हैं. ऐसे में राज्य और केंद्र सरकार को चाहिए कि इनके परिवार के एक सदस्य को बीबीएमबी में पक्की नौकरी दी जाए. अभी जो मुआवजा इन्हें देने का आदेश है, उसमें 5 साल तक काम करने वालों को 25 हजार और इससे अधिक काम करने वालों को 50 हजार मुआवजा 9 प्रतिशत ब्याज के साथ देने का आदेश दिया गया है, लेकिन यह राशि कम है और सरकार इसमें भी बढ़ोतरी की जाए. अगर प्रदेश और केंद्र सरकार ऐसा नहीं करती है तो फिर भविष्य में इसे लेकर उग्र आंदोलन किया जाएगा जिसकी जिम्मेदारी केंद्र और प्रदेश सरकार की होगी.

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