वाराणसी: यूपी के वाराणसी में शनिवार को मोहर्रम का चांद नहीं देखा गया. वहीं चांद नहीं दिखने पर अब मोहर्रम की एक तारीख 8 जुलाई को होगी. वाराणसी में जैतपुरा थाना इलाके में 43 साल पुरानी व्यवस्था को थानाध्यक्ष के नेतृत्व में निभाया गया. वहीं दोषीपुरा के बारादरी मस्जिद की चाबी शिया समुदाय के लोगों को 12 दिन के लिए सौंपी गई. साल 1981 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से इस परंपरा को देखने के लिए सैंकड़ों लोग मस्जिद के बाहर मौजूद रहे.
वहीं पुलिस मौजूदगी में शिया और सुन्नी दोनों समुदाय के पांच-पांच लोग अंदर पहुंचे और मस्जिद की वीडियोग्राफी के बाद जैतपुरा थानाध्यक्ष बृजेश कुमार मिश्रा ने सुन्नी समुदाय से चाबी लेकर शिया समुदाय को दी. इसके बाद 12 दिन इस बारादरी मस्जिद में सदा-ए-या हुसैन गूंजेगी. इसी मस्जिद में एक 200 साल पुराना ताजिया भी है. जिसे 6 मोहर्रम को बाहर निकाला जाता है.
वहीं बारादरी दोषीपुरा के मुतवल्ली गुलजार अली ने बताया की, हमें साल में 17 दिन बारादरी मस्जिद की चाबी मिलती है. पहले दिन 29 बकरीद को नमाज ए इशा के बाद मिलती है और 12 मोहर्रम की रात 9 बजे वापस करना होता है. इसके बाद इमाम हुसैन के चालीसवें के दिन, फिर पचासे और साठे के दिन मिलती है. इसके अलावा बारावफात को हमें चाबी दी जाती है. बाकी दिन सुन्नी समुदाय के पास चाबी रहती है.
वहीं शनिवार की रात 9 बजे जैतपुरा बृजेश कुमार मिश्रा और हल्का इंचार्ज SI जफर मेहंदी के साथ भारी पुलिस फोर्स की मौजूदगी में सुन्नी समुदाय के लोगों ने बारादरी मस्जिद की चाबी थानाध्यक्ष को सौंपी. इसके बाद थाना इंचार्ज ने चाबी गुलजार अली को सौंपी. इस दौरान मस्जिद के सामानों की लिस्टिंग की गई. साथ ही पूरी मस्जिद की वीडियोग्राफी कराई गई है.
बता दें कि, इसी थाना इलाके में पिछले साल मोहर्रम पर ताजिये निकलने के दौरान दो समुदायों शिया और सुन्नी के बीच विवाद हो गया था. जिसमें पुलिस वाहन भी क्षतिग्रस्त हुए थे और कुछ लोग घायल भी हुए थे. वहीं इस इलाके में पिछले साल हुए विवाद के बाद पुलिस सर्तकता बरत रही है.
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