वाराणसी: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में शास्त्रार्थ महाकुंभ का शुभारंभ हो गया है. संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में अखिल भारतीय शास्त्रार्थ महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है. यहां 28 से 30 नवंबर तक होने वाले शास्त्रार्थ में वेद, व्याकरण, मीमांसा, वेदांत, न्याय और साहित्य सहित शास्त्रों के गूढ़ रहस्यों पर अलग-अलग राज्यों से आए विद्वानों की ओर से शास्त्रार्थ किया जाएगा. शास्त्रार्थ परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए इस शास्त्रार्थ महाकुंभ का आयोजन काशी में किया जा रहा है.
संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय प्रमुख प्रो. राजाराम शुक्ल ने बताया कि, काशी अपनी शास्त्रार्थ परंपरा के लिए विश्व प्रसिद्ध है. यहां शताब्दियों से ऐसे अनेक शास्त्रार्थ हुए हैं जो कि ऐतिहासिक हुए हैं. यहां की परंपरा रही है कि देश के किसी भी भाग में शास्त्र का अध्ययन-अध्यापन कोई विद्वान कर रहा है तो उसे काशी में आकर प्रदर्शन करना होता है. काशी के विद्वानों के साख शास्त्रार्थ करना होता है. यहां से परीक्षा पास करने के बाद ही उसे विद्वान माना जाता है.
राजाराम शुक्ल ने कहा कि, शास्त्रार्थ परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए अखिल भारतीय शास्त्रार्थ महाकुंभ का आयोजन किया गया है. महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की संकल्पना के अनुसार आज भी विश्वविद्यालय में मासिक शास्त्रार्थ सभा का आयोजन किया जा रहा है. इसमें काशी के युवा विद्वानों को न केवल इस विश्वविद्यालय के बल्कि काशी की जितनी भी संस्कृत अध्ययन की संस्थाएं हैं, उन सभी को शास्त्रार्थ में प्रशिक्षित कराया जाता है. साथ ही उन्हें देश की विभिन्न शास्त्रार्थ परंपराएं हैं उनसे परिचित कराया जाता है.
प्रो. शुक्ल ने बताया कि दक्षिण भारत, उत्तर भारत, बंगाल की शास्त्रार्थ परंपराएं हैं. इन सभी से परिचय कराने के लिए अखिल भारतीय स्तर पर शास्त्रार्थ सभा का आयोजन 28, 29 और 30 नवंबर को किया जा रहा है. इसमें तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक के साथ ही देश के अनेक राज्यों के विद्वान तीन दिनों तक शास्त्रों के विभिन्न गूढ़ विषयों पर शास्त्रार्थ करेंगे. इसमें काशी के विद्वान भी शामिल हो रहे हैं.
संकाय अध्यक्ष राजाराम ने बताया कि इस तरह का कार्यक्रम काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में पहली बार हो रहा है, जिसमें गूढ़ रहस्यों पर तीन दिनों तक लगातार शास्त्रार्थ होगा. समस्त शास्त्रों का मूल वेद है. ऐसे में वेद की जितनी भी उपलब्ध शाखाएं हैं, उन शाखाओं का सर्ववेद स्वाध्याय की दृष्टि से भी पारायण हो रहा है. इसके बाद शास्त्रार्थ का कार्यक्रम शुरू होगा. ये इस संकाय के साथ ही साथ काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की ख्याति को और बढ़ाने में सहायक होगा.
बता दें कि काशी में शास्त्रार्थ परंपरा सदियों पहले शुरू की गई थी. यहां पर वेद, ज्योतिष और कर्मकांड की शिक्षा ग्रहण करने के लिए दूर-दूर से लोग आते थे. विद्वता की प्राप्ति के लिए काशी में ही शास्त्रार्थ किया जाता था, जिसमें अलग-अलग प्रांतों के संस्कृत विद्वान शामिल होते थे. यहां पर सफल होने के बाद ही विद्वान की उपाधि मिलती थी. लेकिन समय के साथ साथ ये परपंरा समाप्त होती चली गई. वहीं, अब काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की पहल पर एक बार फिर से शास्त्रार्थ की परंपरा की शुरुआत की गई है.
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