कुचामनसिटी: शारदीय नवरात्र 3 अक्टूबर से प्रारंभ होंगे और 12 अक्टूबर शनिवार को इनका समापन होगा. नवरात्रों में शक्ति की अधिष्ठात्री मां दुर्गा आदि शक्ति के 9 स्वरूपों की पूजा आराधना की जाती है.
कुचामनसिटी की पहाड़ी पर स्थित शाकंभरी माता मंदिर के पुजारी अंकित आचार्य ने बताया कि शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 03 अक्टूबर को रात्रि 12 बजकर 18 मिनट पर शुरू हो रही है. इस तिथि का समापन 04 अक्टूबर को मध्य रात्रि 02 बजकर 58 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, शारदीय नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार 03 अक्टूबर को होगी और घटस्थापना भी इसी दिन की जाएगी.
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नवरात्रि में रखा जाता है उपवास: पण्डित अंकित शास्त्री ने बताया कि इन रात्रियों में ग्रहों के अद्भुत योग के कारण ब्रह्मांड दिव्य ऊर्जाओं से भर जाता है. इन ऊर्जाओं को अपने शरीर में अनुभव करने के लिए नवरात्र में यज्ञ, भजन, पूजन, मंत्र जप, ध्यान, त्राटक आदि साधनाएं की जाती है. संयमित जीवन जीकर उपवास रखा जाता है, केवल सात्विक आहार लेते हैं, जिससे शरीर शुद्ध रहता है. दिनभर भगवती भाव का शुद्ध विचार रखते हैं.नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग शक्ति स्वरूपों की पूजा होती है. ये स्वरूप हैं शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री देवी.
नवरात्रि से बदलता है ऋतुकाल: अंकित आचार्य ने बताया कि ऋतु संधिकाल यानी बदलते मौसम में रोगाणु के शरीर पर आक्रमण बढ़ जाता है. इस मौसम में वात, पित्त और कफ तीनों दोष असंतुलित होने से शरीर का रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ती है. शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए नवरात्र में नौ दिन जप, उपवास, साफ-सफाई और भाव शुद्धि और ध्यान कर बीमारियों से रक्षा की जाती है. हवन करने से वातावरण में फैले रोगाणु नष्ट हो जाते हैं.