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मां कूष्मांडा देवी मंदिर की पिंडी से आज भी रिसता है पानी, जानिए मातारानी की महिमा.... - Shardiya Navratri 2024

दूर-दूर से दर्शन करने आते भक्त, नवरात्र के चौथे दिन भी उमड़े भक्त

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 2 hours ago

Updated : 2 hours ago

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माता की पिंडी से रिसता है जल (photo credit- Etv Bharat)


कानपुर: देशभर में शारदीय नवरात्रि का पर्व काफी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. माता रानी के दर्शन करने के लिए मंदिरों में भक्तों का ताता लगा हुआ है. नवरात्रि के पर्व पर मां दुर्गा के 9 स्वरूपों का विधि विधान से पूजा करने का विधान है. आज नवरात्रि का चौथा दिन है. चौथा दिन मां कूष्मांडा देवी का दिन कहा जाता है. ऐसे में आज हम आपको कानपुर के ऐसे प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर माता रानी लेटी हुई मुद्रा में विराजमान है. मान्यता है, कि मां के पिंडी से रचने वाले जल को अगर अपनी आंखों पर लगता है तो उसकी आंखों से संबंधित सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं. नवरात्रि में मां कूष्मांडा देवी के दर्शन करने के लिए दूर दराज से लोग यहां आते हैं.


माता की पिंडी से रिसता हुआ जल आज भी बना है रहस्य: मंदिर कमेटी के सदस्य गुड्डू पंडित ने बताया कि, घाटमपुर तहसील के एनएच-86 के किनारे स्थित मां कूष्मांडा देवी का मंदिर काफी प्राचीन मंदिर है. माता रानी के इस मंदिर को शक्तिपीठ भी माना जाता है. यह मंदिर एशिया का सबसे बड़ा महाकोष मंडा देवी का मंदिर है. इस मंदिर की विशेष मान्यता यह है कि जो भी यहां पर आकर सच्चे मन से मन की विधि विधान से पूजा अर्चना करता है. मां कूष्मांडा उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. इसके साथ ही जिस भी व्यक्ति को नेत्र संबंधित किसी भी तरह की कोई समस्या होती है, तो उसकी सारी समस्याएं ठीक हो जाती हैं. लेकिन, माता रानी की पिंडी से जो जल रिसता रहता है, यह कहां से आता है. इसकी जानकारी किसी को नहीं है यह एक मंत्र रहस्य बनकर रह गया है. उन्होंने बताया कि, मां कूष्मांडा देवी को कुड़हा देवी के नाम से भी जाना जाता है.नवरात्रि में हर वर्ष यहां पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है और इस मेले को देखने के लिए लाखों की संख्या में हर वर्ष भक्त यहां पर आते हैं.



कई कथाएं है प्रचलित: इस मंदिर को लेकर अभी तक कोई भी सटीक जानकारी सामने नहीं आई है. लेकिन, मां कूष्मांडा देवी के मंदिर को लेकर कई कथाएं काफी ज्यादा प्रचलित है. एक कथा के मुताबिक माना जाता है, कि जब भगवान शंकर मां सती के शरीर को लेकर घूम रहे थे, तो विष्णु जी ने अपने चक्र से मां सती के शरीर के कई अंगों में काट दिया था. जहां-जहां पर यह अंग गिरा वहां पर शक्तिपीठ बन गए ऐसा माना जाता है,कि मां सती का एक अंग इस जगह पर भी गिरा था. जिसे आज मां कुष्मांडा देवी के रूप में पूजा जाता है.

चमत्कारी है मां कूष्मांडा देवी का मंदिर, भक्तों की हर मनोकामनाएं होती है पूरी (video credit- Etv Bharat)

इसे भी पढ़े-जेल की कालकोठरी-मुकदमेबाजी से मुक्ति दिलाता है बनारस का यह मंदिर, विदेश से भी आते हैं भक्त - Banaras Bandi Mata temple


ये कहना है मंदिर में दर्शन करने पहुंचे भक्तों का: मां कूष्मांडा देवी के दर्शन करने के लिए पहुंचे अतुल ने बताया कि, यह हमारी चतुर्थ सप्तमी मां कूष्मांडा देवी है. इस मंदिर की मान्यता यह है, कि माता जी के यहां पर दो मुख है. उनके गर्भ में पानी भरा हुआ है. उन्होंने बताया, कि अगर इस पानी को आप अपनी आंखों या शरीर पर लगाते हैं, तो सारे रोग और कष्ट दूर हो जाते हैं. जो भी भक्त यहां पर दर्शन करने के लिए आते हैं मां कूष्मांडा उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. वही मंदिर में पहुंची भक्ति आरती ने बताया, कि वह हर वर्ष यहां पर माता रानी के दर्शन करने के लिए आती हैं. उनका कहना है कि जो भी भक्त यहां पर आकर मां की सच्चे मन से आराधना करता है, मां कूष्मांडा उसके सभी दुख दर्द दूर कर देती हैं.


जाने कैसे पहुंचे मां कूष्मांडा देवी मंदिर: यदि आपको मां कूष्मांडा देवी के दर्शन करने के लिए जाना है, तो आपको सबसे पहले झकरकटी बस अड्डे पहुंचना होगा. यहां से आपको सीधे नौबस्ता के लिए ऑटो या टैक्सी मिल जाएगी. इसके बाद आप नौबस्ता से सीधे घाटमपुर के लिए टैक्सी, वन या बस का सहारा ले सकते हैं. जो कि आपको मंदिर प्रांगण के ठीक सामने उतारेगी. ऐसा इसलिए, क्योंकि मां कुष्मांडा का यह मंदिर हाईवे के किनारे स्थित है जहां पर आपको ज्यादा चलना नहीं पड़ेगा.

मंदिर कमेटी के सदस्य गुड्डू ने बताया कि नवरात्र का चौथा दिन मां कूष्मांडा देवी का दिन होता है. हर वर्ष यहां पर कूष्मांडा देवी के दर्शन करने के लिए भक्त लाखों की संख्या में पहुंचते हैं. जिसे लेकर इस बार मंदिर कमेटी और पुलिस प्रशासन के द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. किसी भी भक्तों को किसी तरह की कोई असुविधा न हो, इसको लेकर महिलाओं और पुरुषों की लाइनों की अलग-अलग व्यवस्था की गई है. पूरे मंदिर प्रांगण को सीसीटीवी कैमरा की मदद से लैस किया गया है.

(नोटः यह खबर धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं, ईटीवी भारत किसी भी दावे की पुष्टि नहीं करता है)


यह भी पढ़े-राम कथा संग्रहालय में दिखेगा उड़ता हुआ पुष्पक विमान, पुरातत्व कालीन राम मंदिर के अवशेष - AYODHYA RAM MANDIR


कानपुर: देशभर में शारदीय नवरात्रि का पर्व काफी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. माता रानी के दर्शन करने के लिए मंदिरों में भक्तों का ताता लगा हुआ है. नवरात्रि के पर्व पर मां दुर्गा के 9 स्वरूपों का विधि विधान से पूजा करने का विधान है. आज नवरात्रि का चौथा दिन है. चौथा दिन मां कूष्मांडा देवी का दिन कहा जाता है. ऐसे में आज हम आपको कानपुर के ऐसे प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर माता रानी लेटी हुई मुद्रा में विराजमान है. मान्यता है, कि मां के पिंडी से रचने वाले जल को अगर अपनी आंखों पर लगता है तो उसकी आंखों से संबंधित सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं. नवरात्रि में मां कूष्मांडा देवी के दर्शन करने के लिए दूर दराज से लोग यहां आते हैं.


माता की पिंडी से रिसता हुआ जल आज भी बना है रहस्य: मंदिर कमेटी के सदस्य गुड्डू पंडित ने बताया कि, घाटमपुर तहसील के एनएच-86 के किनारे स्थित मां कूष्मांडा देवी का मंदिर काफी प्राचीन मंदिर है. माता रानी के इस मंदिर को शक्तिपीठ भी माना जाता है. यह मंदिर एशिया का सबसे बड़ा महाकोष मंडा देवी का मंदिर है. इस मंदिर की विशेष मान्यता यह है कि जो भी यहां पर आकर सच्चे मन से मन की विधि विधान से पूजा अर्चना करता है. मां कूष्मांडा उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. इसके साथ ही जिस भी व्यक्ति को नेत्र संबंधित किसी भी तरह की कोई समस्या होती है, तो उसकी सारी समस्याएं ठीक हो जाती हैं. लेकिन, माता रानी की पिंडी से जो जल रिसता रहता है, यह कहां से आता है. इसकी जानकारी किसी को नहीं है यह एक मंत्र रहस्य बनकर रह गया है. उन्होंने बताया कि, मां कूष्मांडा देवी को कुड़हा देवी के नाम से भी जाना जाता है.नवरात्रि में हर वर्ष यहां पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है और इस मेले को देखने के लिए लाखों की संख्या में हर वर्ष भक्त यहां पर आते हैं.



कई कथाएं है प्रचलित: इस मंदिर को लेकर अभी तक कोई भी सटीक जानकारी सामने नहीं आई है. लेकिन, मां कूष्मांडा देवी के मंदिर को लेकर कई कथाएं काफी ज्यादा प्रचलित है. एक कथा के मुताबिक माना जाता है, कि जब भगवान शंकर मां सती के शरीर को लेकर घूम रहे थे, तो विष्णु जी ने अपने चक्र से मां सती के शरीर के कई अंगों में काट दिया था. जहां-जहां पर यह अंग गिरा वहां पर शक्तिपीठ बन गए ऐसा माना जाता है,कि मां सती का एक अंग इस जगह पर भी गिरा था. जिसे आज मां कुष्मांडा देवी के रूप में पूजा जाता है.

चमत्कारी है मां कूष्मांडा देवी का मंदिर, भक्तों की हर मनोकामनाएं होती है पूरी (video credit- Etv Bharat)

इसे भी पढ़े-जेल की कालकोठरी-मुकदमेबाजी से मुक्ति दिलाता है बनारस का यह मंदिर, विदेश से भी आते हैं भक्त - Banaras Bandi Mata temple


ये कहना है मंदिर में दर्शन करने पहुंचे भक्तों का: मां कूष्मांडा देवी के दर्शन करने के लिए पहुंचे अतुल ने बताया कि, यह हमारी चतुर्थ सप्तमी मां कूष्मांडा देवी है. इस मंदिर की मान्यता यह है, कि माता जी के यहां पर दो मुख है. उनके गर्भ में पानी भरा हुआ है. उन्होंने बताया, कि अगर इस पानी को आप अपनी आंखों या शरीर पर लगाते हैं, तो सारे रोग और कष्ट दूर हो जाते हैं. जो भी भक्त यहां पर दर्शन करने के लिए आते हैं मां कूष्मांडा उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. वही मंदिर में पहुंची भक्ति आरती ने बताया, कि वह हर वर्ष यहां पर माता रानी के दर्शन करने के लिए आती हैं. उनका कहना है कि जो भी भक्त यहां पर आकर मां की सच्चे मन से आराधना करता है, मां कूष्मांडा उसके सभी दुख दर्द दूर कर देती हैं.


जाने कैसे पहुंचे मां कूष्मांडा देवी मंदिर: यदि आपको मां कूष्मांडा देवी के दर्शन करने के लिए जाना है, तो आपको सबसे पहले झकरकटी बस अड्डे पहुंचना होगा. यहां से आपको सीधे नौबस्ता के लिए ऑटो या टैक्सी मिल जाएगी. इसके बाद आप नौबस्ता से सीधे घाटमपुर के लिए टैक्सी, वन या बस का सहारा ले सकते हैं. जो कि आपको मंदिर प्रांगण के ठीक सामने उतारेगी. ऐसा इसलिए, क्योंकि मां कुष्मांडा का यह मंदिर हाईवे के किनारे स्थित है जहां पर आपको ज्यादा चलना नहीं पड़ेगा.

मंदिर कमेटी के सदस्य गुड्डू ने बताया कि नवरात्र का चौथा दिन मां कूष्मांडा देवी का दिन होता है. हर वर्ष यहां पर कूष्मांडा देवी के दर्शन करने के लिए भक्त लाखों की संख्या में पहुंचते हैं. जिसे लेकर इस बार मंदिर कमेटी और पुलिस प्रशासन के द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. किसी भी भक्तों को किसी तरह की कोई असुविधा न हो, इसको लेकर महिलाओं और पुरुषों की लाइनों की अलग-अलग व्यवस्था की गई है. पूरे मंदिर प्रांगण को सीसीटीवी कैमरा की मदद से लैस किया गया है.

(नोटः यह खबर धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं, ईटीवी भारत किसी भी दावे की पुष्टि नहीं करता है)


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