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शारदीय नवरात्रि के 6वें दिन होती है मां कात्यायनी की पूजा, मां को प्रसन्न करने के लिए लगाएं ये भोग, जानें पूजा का सही विधि-विधान - SHARADIYA NAVRATRI SPECIAL

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना की जाती है. रिपोर्ट में पूजा का विधि विधान और समय विस्तार से जानें.

Sharadiya Navratri Sixth Day
Sharadiya Navratri Sixth Day (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Oct 8, 2024, 7:38 AM IST

चंडीगढ़: आज, मंगलवार 8 सितंबर को शारदीय नवरात्रि का छठा दिन है. मां दुर्गा का छठा स्वरूप है मां कात्यायनी, नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. मां कात्यायनी का जन्म ऋषि कात्यायन के घर हुआ था. इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा. मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों को काम, मोक्ष, धर्म और अर्थ इन चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है. तो चलिए सबसे पहले माता रानी के जन्म की कथा को जान लेते हैं.

मां कात्यायनी की जन्म कथा: मां कात्यायनी के जन्म की कथा तो विश्वप्रसिद्ध है. ऋषि कात्यायन ने मां भगवती की उपासना की और कठिन तपस्या की. जब मां भगवती ने उन्हें दर्शन दिए तो उन्होंने मां भगवती से वरदान मांगा की उनके घर पुत्र जन्म हो. इसके बाद मां भगवती ने स्वयं उनके घर जन्म लिया. इसलिए उनका नाम कात्यायनी पड़ा.इतना ही नहीं, गोपियों ने भी भगवान श्रीकृष्ण को पति रुप में पाने के लिए मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना की. मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों की न केवल मनोकामनाएं पूरी होती है, बल्कि पाप भी नष्ट हो जाते हैं. मां अपने भक्तों के सभी पाप हर लेती हैं. साथ ही मां कात्यायनी की पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

मां कात्यायनी का स्वरूप व प्रिय भोग: मां कात्यायनी की स्वरूप बहुत ही चमकीला है. माता की चार भुजाएं हैं. उकने दाई तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में रहता है. उसके नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में रहता है. मां के बाईं तरफ ऊपर वाले हाथ में तलवार होती है, जबकि दूसरे हाथ में कमल का फूल लिए रहती हैं. मां कात्यायनी भी सिंह की सवारी करती हैं. इनकी पूजा करने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. मां कात्यायनी को पीला रंग ज्यादा प्रिय है. इसलिए उन्हें पीले रंग की ही मिठाई का भोग पसंद है. साथ ही माता को शहद से बने हलवे का भोग लगाना चाहिए. माता रानी को आज के दिन आप सूजी के हलवे में शहद मिलाकर भोग अर्पित कर सकते हैं.

पूजा का विधि-विधान और समय: मां कात्यायनी रोग, शोक, संताप, भय आदि का नाश करने वाली देवी मानी जाती हैं. माता कात्यायनी की पूजा प्रदोषकाल यानी गोधूली बेला में करना श्रेष्ठ माना गया है. मां कात्यायनी की पूजा में लाल रंग के वस्त्र पहनें. ये प्रेम, उत्साह का प्रतीक है. नवरात्रि में इस रंग के कपड़े पहनने पर मां जल्द प्रसन्न होती हैं. मां दुर्गा की छठवीं शक्ति देवी कात्यायनी की उपासना करने वालों को विवाह योग्य अच्छा जीवनसाथी मिलता है. साथ ही पति-पत्नी में चल रही परेशानी दूर होती है. आज के दिन भक्त मां कात्यायनी को 3 हल्दी की गांठ चढ़ाएं. हे गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकरप्रिया। तथा मां कुरु कल्याणि कान्तकातां सुदुर्लभाम ॥ इस मंत्र का 5 माला जाप करें. गोबर के उपले जलाकर उस पर लौंग व कपूर की आहुति दें.

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चंडीगढ़: आज, मंगलवार 8 सितंबर को शारदीय नवरात्रि का छठा दिन है. मां दुर्गा का छठा स्वरूप है मां कात्यायनी, नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. मां कात्यायनी का जन्म ऋषि कात्यायन के घर हुआ था. इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा. मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों को काम, मोक्ष, धर्म और अर्थ इन चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है. तो चलिए सबसे पहले माता रानी के जन्म की कथा को जान लेते हैं.

मां कात्यायनी की जन्म कथा: मां कात्यायनी के जन्म की कथा तो विश्वप्रसिद्ध है. ऋषि कात्यायन ने मां भगवती की उपासना की और कठिन तपस्या की. जब मां भगवती ने उन्हें दर्शन दिए तो उन्होंने मां भगवती से वरदान मांगा की उनके घर पुत्र जन्म हो. इसके बाद मां भगवती ने स्वयं उनके घर जन्म लिया. इसलिए उनका नाम कात्यायनी पड़ा.इतना ही नहीं, गोपियों ने भी भगवान श्रीकृष्ण को पति रुप में पाने के लिए मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना की. मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों की न केवल मनोकामनाएं पूरी होती है, बल्कि पाप भी नष्ट हो जाते हैं. मां अपने भक्तों के सभी पाप हर लेती हैं. साथ ही मां कात्यायनी की पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

मां कात्यायनी का स्वरूप व प्रिय भोग: मां कात्यायनी की स्वरूप बहुत ही चमकीला है. माता की चार भुजाएं हैं. उकने दाई तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में रहता है. उसके नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में रहता है. मां के बाईं तरफ ऊपर वाले हाथ में तलवार होती है, जबकि दूसरे हाथ में कमल का फूल लिए रहती हैं. मां कात्यायनी भी सिंह की सवारी करती हैं. इनकी पूजा करने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. मां कात्यायनी को पीला रंग ज्यादा प्रिय है. इसलिए उन्हें पीले रंग की ही मिठाई का भोग पसंद है. साथ ही माता को शहद से बने हलवे का भोग लगाना चाहिए. माता रानी को आज के दिन आप सूजी के हलवे में शहद मिलाकर भोग अर्पित कर सकते हैं.

पूजा का विधि-विधान और समय: मां कात्यायनी रोग, शोक, संताप, भय आदि का नाश करने वाली देवी मानी जाती हैं. माता कात्यायनी की पूजा प्रदोषकाल यानी गोधूली बेला में करना श्रेष्ठ माना गया है. मां कात्यायनी की पूजा में लाल रंग के वस्त्र पहनें. ये प्रेम, उत्साह का प्रतीक है. नवरात्रि में इस रंग के कपड़े पहनने पर मां जल्द प्रसन्न होती हैं. मां दुर्गा की छठवीं शक्ति देवी कात्यायनी की उपासना करने वालों को विवाह योग्य अच्छा जीवनसाथी मिलता है. साथ ही पति-पत्नी में चल रही परेशानी दूर होती है. आज के दिन भक्त मां कात्यायनी को 3 हल्दी की गांठ चढ़ाएं. हे गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकरप्रिया। तथा मां कुरु कल्याणि कान्तकातां सुदुर्लभाम ॥ इस मंत्र का 5 माला जाप करें. गोबर के उपले जलाकर उस पर लौंग व कपूर की आहुति दें.

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