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शरद पूर्णिमा के दिन जरुर करें ये उपाय, सभी कार्यों में मिलेगी सफलता, इस दिन आसमान से बरसता है अमृत

शरद पूर्णिमा का पर्व अश्विन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस दिन लोग रात में खीर बनाकर रखते हैं.

Sharad Purnima 2024
Sharad Purnima 2024 (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Oct 14, 2024, 2:37 PM IST

Updated : Oct 16, 2024, 8:11 AM IST

कुरुक्षेत्र: सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत व त्यौहार का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार हिंदू वर्ष का अश्विन महीना चल रहा है और इस महीने में सनातन धर्म में कहीं प्रमुख व्रत व त्यौहार आते हैं. आश्विन महीने में शरद पूर्णिमा भी आ रही है. जिसका सनातन धर्म में बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. शास्त्रों में इस पूर्णिमा को सिद्धि प्राप्ति के लिए पूजा अर्चना की जाती है. सिद्धि प्राप्ति के लिए व्यक्ति भगवान विष्णु के लिए व्रत रखते हैं. उनसे सुख समृद्धि की मनोकामना मांगते हैं.

भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना भी की जाती है. ताकि घर में आर्थिक संकट खत्म हो सके. इस दिन विधिवत रूप से व्रत रखा जाता है और दान किया जाता है. भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान चंद्र देव की भी इस दिन विशेष तौर पर पूजा अर्चना की जाती है. तो आईए जानते हैं कि शरद पूर्णिमा कब है और इसका महत्व क्या है.

कब है शरद पूर्णिमा: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि इस बार लोगों में असमंजस की स्थिति है कि शरद पूर्णिमा किस दिन मनाई जा रही है. हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. शरद पूर्णिमा की शुरुआत 16 अक्टूबर को रात के 8:41 से होगी जबकि इसका समापन 17 अक्टूबर को शाम के 4:53 पर होगा. हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत व त्यौहार को उदया तिथि के साथ मनाया जाता है. लेकिन शरद पूर्णिमा में चंद्र देवता की पूजा होती है और उसका बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. इसलिए शरद पूर्णिमा को 16 अक्टूबर को मनाया जाएगा और इस दिन चंद्र उदय 16 अक्टूबर को शाम के 5:04 पर होगा.

पूजा का शुभ मुहूर्त का समय: पंडित ने बताया कि शरद पूर्णिमा के दिन शुभ मुहूर्त के समय पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. इस दिन स्नान और दान करने के साथ-साथ पूजा करने का पहला लाभ उन्नति शुभ मुहूर्त सुबह 6:22 से शुरू होकर 7:48 तक रहेगा. दूसरा अमृत सर्वोत्तम शुभ मुहूर्त सुबह 7:48 से सुबह 9:14 तक रहेगा. तीसरा लाभ उन्नति शुभ मुहूर्त कसाना शाम के 4:23 से 5:49 तक रहेगा. शब्द पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने का समय रात के 8:40 के बाद है.

पूजा का विधि विधान: पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान करने उपरांत भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें. उसके बाद साफ कपड़े पहन कर अपने घर के मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के आगे देसी घी का दीपक जलाएं. दिन में विष्णु पुराण पड़े और ब्राह्मण, गरीब और जरूरतमंदों को शाम के समय भोजन दें. उसके उपरांत अपनी इच्छा अनुसार उनका दान दक्षिणा दें. शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के आगे खीर बनाकर उसका भोग लगाए और चंद्रमा उदय होने के बाद उसको जल अर्पित करके उसकी पूजा अर्चना करें. जो इंसान शरद पूर्णिमा का व्रत रखना चाहता है, वह सुबह व्रत रखने का प्रण ले और शाम के समय चंद्र देवता के दर्शन करने के बाद उसको जल अर्पित करें और उसकी पूजा करने के उपरांत अपने व्रत का पारण कर ले.

शरद पूर्णिमा के रात आसमान से बरसता है अमृत: पंडित ने बताया कि शरद पूर्णिमा का सभी पूर्णिमा से ज्यादा मैं तो बताया गया है. क्योंकि इस पूर्णिमा के रात को भगवान चंद्र देव अपनी 16 कलाओं में परिपूर्ण होते हैं. उस रात को चंद्र देवता की किरणें पृथ्वी पर पड़ती है. जो अमृत के समान मानी जाती है. इसलिए इस दिन विशेष तौर पर खीर बनाकर चंद्र देवता की रोशनी में रखी जाती है. उस पर जो चांद की किरणें पड़ती है, उसको अमृत के समान माना जाता है. सुबह के समय उसको खाया जाता है. जिसके स्वास्थ्य संबंधी बहुत से लाभ माने जाते हैं.

माना जाता है केसर पूर्णिमा के दिन चंद्र देवता 16 कलाओं से युक्त होते हैं और इस रात को आसमान से पृथ्वी पर अमृत की वर्षा होती है. अमृत की यह बरसात चंद्र देवता की किरणों से बरसती है, जो औषधि से भी ज्यादा लाभकारी मानी जाती है. यह भी माना जाता है कि इस महालक्ष्मी धरती पर आती है और अपने भक्तों पर धन की वर्षा बरसती है. इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की भी पूजा अर्चना की जाती है. ताकि जातक के परिवार में सुख समृद्धि बनी रहे और आर्थिक संकट दूर हो.

शरद पूर्णिमा के दिन विशेष तौर पर माता लक्ष्मी और विष्णु भगवान को खीर का भोग लगाया जाता है. ऐसा माना जाता है की खीर का भोग लगाने से भगवान विष्णु घर में सुख समृद्धि लाते हैं. तो वहीं माता लक्ष्मी खीर के भोग से प्रसन्न होती है. जिस घर में आर्थिक संकट दूर होता है. जिस इंसान की कुंडली में चंद्रमा मजबूत नहीं है, वह चीनी चावल दूध इनका दान करें और इसके साथ-साथ इन तीनों चीजों खीर बनाकर विधान कर सकते हैं. जिसे कुंडली में चंद्रमा की मजबूती मिलती है.

ये भी पढ़ें: 16 या 17 अक्टूबर कब है शरद पूर्णिमा, जानें शुभ समय तक सब कुछ

ये भी पढ़ें: करवा चौथ पर ऐसे करेंगी पूजा तो मिलेगा अखंड सौभाग्य का वरदान, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और सही विधि विधान

कुरुक्षेत्र: सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत व त्यौहार का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार हिंदू वर्ष का अश्विन महीना चल रहा है और इस महीने में सनातन धर्म में कहीं प्रमुख व्रत व त्यौहार आते हैं. आश्विन महीने में शरद पूर्णिमा भी आ रही है. जिसका सनातन धर्म में बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. शास्त्रों में इस पूर्णिमा को सिद्धि प्राप्ति के लिए पूजा अर्चना की जाती है. सिद्धि प्राप्ति के लिए व्यक्ति भगवान विष्णु के लिए व्रत रखते हैं. उनसे सुख समृद्धि की मनोकामना मांगते हैं.

भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना भी की जाती है. ताकि घर में आर्थिक संकट खत्म हो सके. इस दिन विधिवत रूप से व्रत रखा जाता है और दान किया जाता है. भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान चंद्र देव की भी इस दिन विशेष तौर पर पूजा अर्चना की जाती है. तो आईए जानते हैं कि शरद पूर्णिमा कब है और इसका महत्व क्या है.

कब है शरद पूर्णिमा: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि इस बार लोगों में असमंजस की स्थिति है कि शरद पूर्णिमा किस दिन मनाई जा रही है. हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. शरद पूर्णिमा की शुरुआत 16 अक्टूबर को रात के 8:41 से होगी जबकि इसका समापन 17 अक्टूबर को शाम के 4:53 पर होगा. हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत व त्यौहार को उदया तिथि के साथ मनाया जाता है. लेकिन शरद पूर्णिमा में चंद्र देवता की पूजा होती है और उसका बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. इसलिए शरद पूर्णिमा को 16 अक्टूबर को मनाया जाएगा और इस दिन चंद्र उदय 16 अक्टूबर को शाम के 5:04 पर होगा.

पूजा का शुभ मुहूर्त का समय: पंडित ने बताया कि शरद पूर्णिमा के दिन शुभ मुहूर्त के समय पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. इस दिन स्नान और दान करने के साथ-साथ पूजा करने का पहला लाभ उन्नति शुभ मुहूर्त सुबह 6:22 से शुरू होकर 7:48 तक रहेगा. दूसरा अमृत सर्वोत्तम शुभ मुहूर्त सुबह 7:48 से सुबह 9:14 तक रहेगा. तीसरा लाभ उन्नति शुभ मुहूर्त कसाना शाम के 4:23 से 5:49 तक रहेगा. शब्द पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने का समय रात के 8:40 के बाद है.

पूजा का विधि विधान: पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान करने उपरांत भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें. उसके बाद साफ कपड़े पहन कर अपने घर के मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के आगे देसी घी का दीपक जलाएं. दिन में विष्णु पुराण पड़े और ब्राह्मण, गरीब और जरूरतमंदों को शाम के समय भोजन दें. उसके उपरांत अपनी इच्छा अनुसार उनका दान दक्षिणा दें. शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के आगे खीर बनाकर उसका भोग लगाए और चंद्रमा उदय होने के बाद उसको जल अर्पित करके उसकी पूजा अर्चना करें. जो इंसान शरद पूर्णिमा का व्रत रखना चाहता है, वह सुबह व्रत रखने का प्रण ले और शाम के समय चंद्र देवता के दर्शन करने के बाद उसको जल अर्पित करें और उसकी पूजा करने के उपरांत अपने व्रत का पारण कर ले.

शरद पूर्णिमा के रात आसमान से बरसता है अमृत: पंडित ने बताया कि शरद पूर्णिमा का सभी पूर्णिमा से ज्यादा मैं तो बताया गया है. क्योंकि इस पूर्णिमा के रात को भगवान चंद्र देव अपनी 16 कलाओं में परिपूर्ण होते हैं. उस रात को चंद्र देवता की किरणें पृथ्वी पर पड़ती है. जो अमृत के समान मानी जाती है. इसलिए इस दिन विशेष तौर पर खीर बनाकर चंद्र देवता की रोशनी में रखी जाती है. उस पर जो चांद की किरणें पड़ती है, उसको अमृत के समान माना जाता है. सुबह के समय उसको खाया जाता है. जिसके स्वास्थ्य संबंधी बहुत से लाभ माने जाते हैं.

माना जाता है केसर पूर्णिमा के दिन चंद्र देवता 16 कलाओं से युक्त होते हैं और इस रात को आसमान से पृथ्वी पर अमृत की वर्षा होती है. अमृत की यह बरसात चंद्र देवता की किरणों से बरसती है, जो औषधि से भी ज्यादा लाभकारी मानी जाती है. यह भी माना जाता है कि इस महालक्ष्मी धरती पर आती है और अपने भक्तों पर धन की वर्षा बरसती है. इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की भी पूजा अर्चना की जाती है. ताकि जातक के परिवार में सुख समृद्धि बनी रहे और आर्थिक संकट दूर हो.

शरद पूर्णिमा के दिन विशेष तौर पर माता लक्ष्मी और विष्णु भगवान को खीर का भोग लगाया जाता है. ऐसा माना जाता है की खीर का भोग लगाने से भगवान विष्णु घर में सुख समृद्धि लाते हैं. तो वहीं माता लक्ष्मी खीर के भोग से प्रसन्न होती है. जिस घर में आर्थिक संकट दूर होता है. जिस इंसान की कुंडली में चंद्रमा मजबूत नहीं है, वह चीनी चावल दूध इनका दान करें और इसके साथ-साथ इन तीनों चीजों खीर बनाकर विधान कर सकते हैं. जिसे कुंडली में चंद्रमा की मजबूती मिलती है.

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Last Updated : Oct 16, 2024, 8:11 AM IST
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