जयपुर. डीडवाना जिले के खुनखुना में एक नाबालिग लड़की का अपहरण कर दुष्कर्म, सीकर में घर में दो बहनों के साथ रेप, धौलपुर में 3 साल की मासूम के साथ दरिंदगी, श्रीगंगानगर में कोचिंग जा रही छात्रा से दुष्कर्म, अलवर में नाबालिग बच्ची से हैवानियत, हिण्डौन में बधिर छात्रा को जिंदा जला देना ये तो चंद बानगी भर घटना है. राजस्थान पुलिस के आंकड़ें देखें तो भजनलाल सरकार में हर दिन 12 से ज्यादा मासूम बच्चियों के साथ दरिंदगी हो रही है. जिस राजस्थान को कभी महिलाओं के सम्मान और बलिदान के लिए पहचान मिला करती थी, आज उस प्रदेश में नाबालिग बच्चियां और महिलाएं सुरक्षित नहीं है.
राजस्थान पुलिस अपराध रिकॉर्ड के आंकड़ों से आए सच और महिला अत्याचार की घटनाओं ने हर संवेदनशील व्यक्ति को अंदर तक हिलाकर रख दिया है. भाजपा ने जिस महिला सुरक्षा को मुद्दा बना सत्ता हासिल की, उसी मुद्दे पर प्रथम पांच महीनों में कोई ज्यादा काम नहीं कर पाई.
5 माह में 1644 बच्चियों से हैवानियत : आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद पांच महीनों में 1644 नाबालिग बच्चियों को दरिंदों ने हैवानियत का शिकार बनाया है, जबकि महिला दुष्कर्म और प्रताड़ना की बात करें तो इन पांच महीनों में 12 हजार से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं. यानी हर दिन 12 से ज्यादा नाबालिग बच्चियां तो 84 महिलाओं के साथ दुष्कर्म और प्रताड़ना के मामले दर्ज हुए हैं, जो कि चिंता जनक विषय है. यह सिर्फ अपराध की शिकार कुछ पीड़िताओं की कहानी भर नहीं, यह प्रतीक है राजस्थान में लगातार बढ़ते अपराध का और बुनियाद है एक सवाल की क्या राजस्थान में महिलाएं सचमुच सुरक्षित नहीं ?
मई माह में 297 केस : इस साल मई महीने के आंकड़ें देखें तो 297 नाबालिग बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न की घटना दर्ज की गई, जबकि जनवरी 2024 से 25 मई तक के आंकड़ें देखें तो 1144 से ज्यादा पोक्सो एक्ट की धारा में मामलें दर्ज किये गए हैं. प्रदेश में 57 पुलिस जिले है, जिनमें नाबालिग बच्चियों के दुष्कर्म के मामलों में अलवर पहले पायदान पर है. यहां पर मई महीने के 25 दिन का आंकड़ा देखें तो 15 नाबालिग बच्चियों के साथ रेप के मामले दर्ज हुए हैं, जबकि 1 जनवरी 2024 से 25 मई तक के आंकड़ें देखें तो 86 मासूम बच्चियों के साथ दरिंदगी हुई है. इसी तरह से दूसरे नंबर पर बीकानेर आता है. यहां मई महीने के 25 दिन का आंकड़ा देखें तो 11 नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले दर्ज हुए हैं, जबकि 1 जनवरी 2024 से 25 मई तक के आंकड़े देखें तो 67 मासूम बच्चियों के साथ दरिंदगी हुई है. तीसरे नंबर पर उदयपुर है. यहां पर मई महीने के 25 दिन का आंकड़ा देखें तो 13 नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले दर्ज हुए हैं, जबकि 1 जनवरी 2024 से 25 मई तक के आंकड़ें देखें तो 55 मासूम बच्चियों के साथ दरिंदगी हुई है.
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कहां गया वो बीजेपी का नारा ? : नई सरकार के इस 5 महीने के रिपोर्ट कार्ड और आंकड़ों ने आम आदमी के साथ सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी बुरी तरह डरा दिया है. महिलाओं को लेकर काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता निशा सिद्धू कहती हैं कि राजस्थान में जब से नई सरकार बनी है, तब से हर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर जगी उम्मीद टूट रही है. जितना जोर-शोर से सत्ता में आने से पहले भाजपा ने कैम्पेन चलाया था कि 'महिलाओं के सम्मान में भाजपा मैदान में', बीजेपी का यह नारा अपने आप में बड़ी बात थी. प्रदेश की महिलाओं को लगा कि अब सरकार बदली है तो सुरक्षा होगी, लेकिन सरकार बनने के बाद भी जिस तरह से आंकड़ें सामने आ रहे हैं, वो न केवल डराने वाले हैं, बल्कि चिंता जनक भी है. एक मासूम बच्ची जो बोल नहीं सकती उसको जिंदा जला दिया जाता है, वो बच्ची एक सप्ताह से भी ज्यादा राजधानी के अस्पताल में भर्ती रही, जिंदगी की जंग हार जाती है और मुख्यमंत्री इतनी भी संवेदना नहीं रख पाए कि पीड़िता से अस्पताल में जाकर मिल लें.
उन्होंने आगे कहा कि इतना ही नहीं, सीकर में दो बहनों के साथ घर में घुस कर दुष्कर्म किया जाता है, कोचिंग जाती हुई बच्ची के साथ दुष्कर्म किया जाता है, 3 साल की मासूम को हैवानियत का शिकार बना लिया जाता है तो फिर सवाल उठना तो लाजमी है कि महिलाओं की सुरक्षा का नारा सिर्फ चुनाव में वोट बटोरने के लिए ही दिया गया था ? क्या सरकार के लिए दर्द से तड़पती मासूम बच्चियों का दर्द कोई खास मायने नहीं रखता ? निशा सिद्धू ने कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि बीजेपी के लिए सत्ता में आने के बाद नाबालिग बच्चियों की सुरक्षा अब प्राथमिकता में नहीं रहा. वहीं दलित महिलाओं की सुरक्षा को लेकर काम करने वाली सुमन देवठिया कहती है कि भाजपा सिर्फ और सिर्फ चुनावी वोट बटोरने के लिए महिला सुरक्षा के मुद्दे को जोर-शोर से उठाती है, सत्ता में आने के बाद न मासूम बच्चियों से कोई सरोकार है न दलित महिलाओं के साथ.
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सियासी पारा भी गर्म : क्राइम कैपिटल बन रहे राजस्थान में महिला सुरक्षा हमेशा से ही बड़ा मुद्दा रहा है. कांग्रेस सरकार में भाजपा ने प्रदेश को रेपिस्तान करार दिया था, लेकिन सत्ता बदल गई. 5 महीने पहले जो कांग्रेस सत्ता में थी वो अब विपक्ष में है. विपक्ष में आने के साथ महिला सुरक्षा के मुद्दे पर कांग्रेस ने भजन लाल सरकार को कटघरे में खड़ा करना शुरू कर दिया. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर कांग्रेस के तमाम नेता यही सवाल उठा रहे हैं कि आखिर कब मिलेगा मासूम बच्चियों को सुरक्षित माहौल ? गहलोत ने कहा कि मुख्यमंत्री सिर्फ दिल्ली के रिमोट से चल रहे हैं. प्रदेश में महिलाएं और बच्चियां सुरक्षित नहीं है. उनकी चिंता उन्हें बिल्कुल नहीं है. बेटियों को जिंदा जलाया जा रहा है.
इस बीच कांग्रेस हमलावर हुई तो भाजपा ने भी बचाव शुरू कर दिया. बीजेपी प्रदेश महामंत्री जितेंद्र गोठवाल ने कहा कि कांग्रेस को कानून व्यवस्था पर बोलने का कोई हक नहीं है. आज जो कुछ प्रदेश में घटित हो रहा है, वो कांग्रेस की देन है. उन्होंने जो गंदगी फैलाई है उसे साफ करने का काम भजन लाल सरकार कर रही है. गंदगी इतनी ज्यादा है कि सफाई में थोड़ा समय लग रहा है लेकिन राजस्थान में भजन लाल सरकार बनने के अपराध पर लगाम लगा है. महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटना कम हुई है. बजरी माफियाओं पर अंकुश लगा है.