शहडोल (अखिलेश शुक्ला): मध्य प्रदेश के शहडोल संभाग क्षेत्र में खरीफ सीजन में धान की खेती बड़े रकबे में की जाती है. धान की फसल कटने के बाद खाली हुए खेत में रबी सीजन की प्रमुख फसलों में से एक गेहूं की फसल की खेती की जाती है. गेहूं के दाम जिस तरह से इन दिनों बढ़े हुए हैं, उसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि गेहूं की फसल किसानों के लिए कितनी महत्वपूर्ण है. वहीं गेहूं की फसल का पीक स्टेज चल रहा है, ऐसे में गेहूं की फसल में किन बातों का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए. जिससे फसल को किसी भी तरह से कोई नुकसान न हो.
बालियां निकलते समय क्या करें?
कृषि वैज्ञानिक डॉ. बीके प्रजापति बताते हैं कि "अभी जनवरी का महीना चल रहा है. जिन किसानों ने अक्टूबर नवंबर में गेहूं की बुवाई की थी. उनकी फसल में बालियां आनी शुरू हो चुकी हैं. गेंहू की फसल लगभग 70 से 75 दिन की होने लगी है. इसको गभोट की अवस्था बोला जाता है. ये बूटिंग स्टेज होती है, कई फसल में बालियां निकल रही होंगी. ऐसे में किसानों को चाहिए कि गेहूं की फसल की इस अवस्था में पानी निश्चित रूप से लगाएं.
जब फसल को पर्याप्त पानी मिलेगा तो बालियां भी तेजी के साथ निकलेंगी. इसके अलावा पोषक तत्वों की बात करें, तो फसल के लास्ट स्टेज का नाइट्रोजन छिड़काव जो बचा है, उसे जरूर करें. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि जब आप गेहूं की बुवाई करते हैं तो 50% नाइट्रोजन का छिड़काव उस समय करते हैं. इसके बाद 25% नाइट्रोजन तब डाला जाता है, जब फसल एक महीने की हो जाती है और बचा हुए शेष 25% नाइट्रोजन तब डाला जाता है, जब गेहूं की फसल 70 से 75 दिन की हो जाती है, बालियां निकलने का समय होता है."
नैनो यूरिया का करें इस्तेमाल
अगर किसानों के पास यूरिया नहीं है, तो आप यूरिया की जगह पर नैनो यूरिया का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसका छिड़काव करने से पहले घोल तैयार करना पड़ता है, जो इस प्रकार तैयार किया जाना चाहिए. 1 लीटर पानी में 4 मिली नैनो यूरिया डालकर अच्छे से मिला लें. इसके बाद छिड़काव कर सकते हैं. इससे भी आपकी फसल में पोषक तत्वों की उपलब्धता आ जाएगी और उसमें बम्पर पैदावार देखने को मिलेगी.
दिसंबर या उसके बाद कि बुवाई तो ऐसे रखें ख्याल
डॉ. बीके प्रजापति ने बताया, " कुछ किसान गेंहू की लेट बुवाई करते हैं. जिन किसानों ने दिसंबर में गेहूं की बुवाई की है या उसके बाद बुवाई की है. उन किसानों को इन दिनों गेहूं की फसल का ऐसे ख्याल रखना चाहिए. इन दिनों तापमान में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है, अगर किसानों ने इसको ध्यान में रखते हुए प्रतिरोधक क्षमता वाला गेहूं के किस्म का चयन करके बुवाई की है, तो कोई दिक्कत नहीं होगी. गर्मी का असर फसल पर कम पड़ेगा, लेकिन पानी की सिंचाई निश्चित रूप से करनी पड़ेगी."
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अगर आपने गर्मी प्रतिरोधक क्षमता वाले गेहूं की किस्म का चयन नहीं किया है, तो भूमि के आधार पर पानी की सिंचाई लगातार करते रहें. कोशिश करें कि फसल का सतत निरीक्षण करते रहें. फसल में अगर दीमक की समस्या देखने को मिलती है, तो उसका भी उपचार करें और समय के अनुसार फसल में पोषक तत्वों का छिड़काव करते रहें. अगर इन बातों का ख्याल रखते हुए गेहूं की खेती करते हैं, तो अच्छी पैदावार होगी.