शहडोल। इन दिनों प्रदेश में मौसम का मिजाज लगातार बदल रहा है. कभी बादल साफ हो जाते हैं, तो कभी घने बादल छा जाते हैं. मौसम के इस बदलते मिजाज ने लोगों को परेशान कर दिया है. आलम ये है कि तापमान में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है, और ठंड से लोगों का हाल बेहाल है.मौसम के बार बार बदलने से चना, गेहूं और अलसी की फसलों को नुकसान का खतरा बढ़ गया है.
अगले 5 दिन की मौसम रिपोर्ट
मौसम वैज्ञानिक गुरप्रीत सिंह गांधी बताते हैं भारत मौसम विभाग से मध्यम अवधि के पूर्वानुमान मिले हैं .उसके मुताबिक शहडोल जिले के कुछ क्षेत्रों में अगले 5 दिनों के दौरान बादल अभी छाए रहेंगे. अगले 5 दिन तक 24 जनवरी से 28 जनवरी तक बारिश नहीं होने की संभावना है. अधिकतम तापमान 24.01 से 24.5 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 5.1 से 6.2 डिग्री सेल्सियस तक रहने की संभावना है. सुबह के समय आद्रता 73 से 80% और दोपहर में 37 से 41 प्रतिशत तक रहने की उम्मीद है.
इन दिनों कड़ाके की ठंड
जिले में इन दोनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है. अचानक ही मौसम बदल जा रहा है सुबह के वक्त में घना कोहरा देखने को मिल रहा है तोआसमान में घने बादल छाए रहते हैं. दिनभर सूर्य देव के दर्शन नहीं हो रहे हैं जिससे ठंड और ज्यादा बढ़ रही है. ठंड का आलम यह है कि तापमान में लगातार गिरावट की वजह से लोगों को परेशानी का भी सामना करना पड़ रहा है. स्कूल जाने वाले बच्चे भी परेशान हो रहे हैं. साथ ही ठंडी हवाएं भी चल रही हैं.
किसानों को सलाह
कृषि वैज्ञानिकों ने इस बदलते मौसम को देखते हुए किसानों को सलाह दी है कि ठंड से फसलों की सुरक्षा करें और इसके लिए सावधानी बरतें. फसल के जो अवशेष हैं उन्हें खेत के चारों ओर मेढ़ों पर रखकर चारों ओर धुआ करें, जिससे वहां गर्मी बनी रहेगी. अगर जल की उपलब्धता आपके पास है तो फसल की हल्की सिंचाई भी करें, जिससे गिरते तापमान का असर आपकी फसल पर नहीं होगा.
चने की फसल वाले रखें विशेष ख्याल
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार जो भी किसान चने की खेती कर रहे हैं इस बदलते मौसम में अपने चने की फसल का विशेष ख्याल रखें, क्योंकि चने की फसल में अभी फूल आना प्रारंभ हुआ है. जब वो दाने में बदलते हैं, तो उस समय फसल में फल छेदक कीट आने की पूरी संभावना होती है. इसलिए अभी खेतों की निगरानी सतत करें, चने की फसल जब फूल वाली अवस्था में होती है तो सिंचाई नहीं करना चाहिए. चने की फसल में इल्ली का प्रकोप देखा जा रहा है, ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों ने सलाह दी है कि चने की फसल में इल्ली के प्रारंभिक नियंत्रण के लिए एकीकृत कीट प्रबंधन जैसे फेरोमेन ट्रैप लगाएं. जिससे खेत पर कीटों का नियंत्रण किया जा सके, खेतों में पक्षियों के बैठने के लिए खूंटी लगाएं, यह काफी लाभकारी होता है.
गेहूं की खेती वाले ध्यान दें
गेहूं की खेती करने वाले किसानों को कृषि वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि इस बदलते मौसम के बीच और कड़ाके की ठंड के बीच गेहूं फूल की अवस्था में पहुंच गया है, इसलिए गेहूं को एक सिंचाई देने की जरूरत है. गेहूं की फसल बालियां निकलने की अवस्था में है, जो किसान बीज उत्पादन करना चाहते हैं, वो विजातीय पौधों को निकालकर खेत से अलग करें. समय पर बोई गई गेहूं फसल में उगे हुए खरपतवारों को जड़ सहित उखाड़ कर जानवरों के चारे के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं, या फिर गड्ढों में डालकर कार्बनिक खाद तैयार कर सकते हैं.
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अलसी की खेती वाले ध्यान दें
अलसी की खेती करने वाले किसान इस बदलते मौसम के बीच अपने फसलों के निगरानी करते रहें, साथ ही जो जल्दी बोई जाने वाली अलसी की जो फसल है वो फूल निकलने फूलने की अवस्था में है. इस अवस्था में कली मक्खी लगने की संभावना रहती है ऐसे में फसलों का बचाव करें.