शहडोल: मध्य प्रदेश में एक जंगल से दूसरे जंगल में बाघों को शिफ्ट किया जा रहा है. एमपी के कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीका से लाए गए चीतों को शिफ्ट किया गया है. जहां बाघ और चीता मिल रहे हैं. अब वहां पर तेजी के साथ चीतल की संख्या भी बढ़ाई जा रही है. उसके पीछे एक बड़ी वजह सामने आई है, आखिर क्यों बांधवगढ़ से संजय गांधी टाइगर रिजर्व और कूनो नेशनल पार्क में चीतल भेजे गए हैं. पढ़िए इस खबर में.
बांधवगढ़ से भेजे गए चीतल
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व जिस तरह से बाघों के लिए जाना जाता है और काफी संख्या में यहां बाघ पाए जाते हैं. ठीक उसी तरह से चीतल की संख्या भी यहां बहुत ज्यादा है. यही वजह है कि यहां से दूसरे नेशनल पार्क में भी चीतल शिफ्ट किए जा रहे हैं. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उपसंचालक पीके वर्मा बताते हैं कि "17 जनवरी तक बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से संजय गांधी टाइगर रिजर्व के लिए करीब 2,250 चीतल और कूनो नेशनल पार्क के लिए लगभग 43 चीतल को शिफ्ट किया जा चुका है. भोपाल वन विभाग मुख्यालय से अनुमति मिलने के बाद ही शिफ्टिंग का ये कार्य किया गया है."
मध्य प्रदेश में कहां सबसे ज्यादा चीतल
देखा जाए तो मध्य प्रदेश में पेंच नेशनल पार्क में सबसे ज्यादा चीतल की संख्या है, लेकिन बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में भी संख्या कम नहीं है. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उपसंचालक पीके वर्मा बताते हैं कि "बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में लगभग 30 हजार से लेकर 32000 की संख्या में चीतल पाए जाते हैं, हालांकि वो ये भी कहते हैं, इनका सही आंकड़ा तो नहीं है, लेकिन उनकी डेंसिटी निकाली जाती है. इस हिसाब से इतने चीतल पाए जाते हैं. यही वजह है कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से भी दूसरे नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व में चीतल की शिफ्टिंग की जा रही है, प्लान के मुताबिक संजय गांधी टाइगर रिजर्व में टोटल 2500 चीतल को शिफ्ट करना है और कूनो में 50 चीतल की शिफ्टिंग का लक्ष्य रखा गया है."
कई जगह से की जा रही शिफ्टिंग
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उप संचालक पीके वर्मा बताते हैं कि "अकेले बांधवगढ़ से ही चीतल को शिफ्ट नहीं किया जा रहा है, बल्कि जहां ज्यादा संख्या में चीतल पाए जा रहे हैं. जहां कम संख्या में चीतल हैं, तो उन जगहों पर भी चीतल भेजे जा रहे हैं. बांधवगढ़ के अलावा पेंच नेशनल पार्क से भी सबसे ज्यादा चीतल भेजे जा रहे हैं. इसके अलावा कान्हा से भी कुछ चीतल शिफ्ट किये जा रहे हैं.
चीतल की शिफ्टिंग क्यों जरूरी ?
आखिर चीतल की शिफ्टिंग क्यों की जा रही है? इसे लेकर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उप संचालक पीके वर्मा बताते हैं की "चीतल बाघ और चीता का एक अच्छा आहार होता है. इसीलिए जहां चीता और बाघ पाए जाते हैं, वहां चीतलों की संख्या भी बढ़ाई जा रही है. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से कई जगह पर बाघ भी भेजे गए हैं. कूनो नेशनल पार्क में चीता बाहर से आए हैं, ये हर किसी को पता है. अब उनके आहार की व्यवस्था करनी होगी और इसीलिए चीतल इन जंगलों में शिफ्ट किया जा रहे हैं, क्योंकि जहां पर चीतल की संख्या कम है और वहां बाघ और चीतों की संख्या बढ़ गई है, ऐसे में उनके लिए पर्याप्त मात्रा में भोजन की भी उपलब्धता करना जरूरी है.
अगर कहीं 10-5 की संख्या में चीतल पाए जा रहे हैं, तो उनको 100, 200, 500 होने में कई साल लग जाएंगे. ठीक इसी तरह अगर वहां पर और ज्यादा चीतल बाहर से भेज दिए जाते हैं, तो उनकी संख्या बढ़ जाएगी. वो उतनी तेजी से ही मल्टीप्ल भी होंगे. जिससे जंगल में खाद्य शृंखला संतुलित होगी. बाघ और चीता को जंगल में सरवाइव करने में सहूलियत भी होगी."
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जंगल के बाहर जाने से रोकेगा चीतल
आजकल ऐसी खबरें बहुत ज्यादा सुनने को मिलती है कि बाघ, चीता का मूवमेंट गांव की ओर है. ऐसे में बाघ और चीता का गांव की ओर मूवमेंट रोकने के लिए भी चीतल एक बड़ा आधार बनेगा, क्योंकि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उप संचालक पीके वर्मा बताते हैं कि जब चीतल की संख्या उन जंगलों में ज्यादा हो जाएगी, जहां बाघ और चीता पाए जाते हैं, तो उनमें टकराव काम होगा. वो गांव की ओर नहीं जाएंगे. जंगल में ही रहेंगे."