नई दिल्ली/गाजियाबाद: होली के त्यौहार की तरह होलिका दहन भी महत्वपूर्ण पर्व है. होलिका दहन करने के लिए होलिका दहन वाले स्थान पर कुछ दिन पहले लकड़ियां और खरपतवार इकट्ठा की जाती है. हर साल फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शाम को होलिका दहन किया जाता है. होलिका दहन के अगले दिन रंग खेल कर होली का त्यौहार मनाया जाता है.
सोमवार 25 मार्च 2024 को होली का त्यौहार मनाया जाएगा जबकि एक दिन पहले शनिवार 24 मार्च को होलिका दहन होगा. होलिका दहन की शाम को भद्रा काल आया है. भद्रा काल में होलिका दहन करना शुभ नहीं माना जाता है.
० होलिका दहन का श्रेष्ठ मुहूर्त
24 मार्च रात्रि 9:55 से 11:13 बजे तक भद्रा काल रहेगा. होलिका दहन का श्रेष्ठ मुहूर्त 24 मार्च रात 11:14 बजे से 25 मार्च 12:20 बजे तक है. इस अवधि में होलिका दहन करना श्रेष्ठ होगा.
० भद्रा काल में होलिका दहन अशुभ
आध्यात्मिक गुरु और ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा के मुताबिक भद्रा काल के समय होलिका दहन करने की मनाही बताई गई है. ऐसा करना गांव और नगर के लिए अशुभ होता है. परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ होलिका दहन करना चाहिए. होलिका की परिक्रमा करने के दौरान घर में सुख शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना करनी चाहिए. मान्यता है कि इस दौरान की गई प्रार्थना बेहद फलदाई होती है.
० होलिका दहन पर रखें विशेष ध्यान
- होलिका दहन से पहले पूजा करने का विशेष महत्व है. ऐसे में होलिका दहन से पहले होलिका पूजा अवश्य करें.
- शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि यानी की होलिका दहन वाले दिन किसी को धन उधार नहीं देना चाहिए. ऐसा करना अशुभ माना गया है.
- फाल्गुन पूर्णिमा पर महिलाओं को होलिका दहन के दौरान बालों को खुला नहीं रखना चाहिए.
- होलिका दहन के दिन नकारात्मक शक्तियां काफी सक्रिय होती हैं. ऐसे में ध्यान रखें कि इस रात सड़क पर पड़ी किसी चीज को ना उठाएं.
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