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उत्तराखंड में बाल तस्करी, इन सात जिलों में सर्वाधिक आशंका, रोकने के लिए बनेगी टास्क फोर्स - Child trafficking in Uttarakhand - CHILD TRAFFICKING IN UTTARAKHAND

Child trafficking in Uttarakhand, Child Protection Commission Geeta Khanna एनसीपीसीआर ने भारत के 100 जिलों को चिह्नित किया है. जिनमें बाल तस्करी की संभावना ज्यादा है. इसमें उत्तराखंड के पिथौरागढ़, चंपावत, उत्तरकाशी, नैनीताल जिलों में बाल तस्करी की सबसे ज्यादा संभावना है. ये जानकारी बाल विकास संरक्षण आयोग की अध्यक्ष गीता खन्ना ने दी.

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उत्तराखंड में बाल तस्करी (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 20, 2024, 9:50 PM IST

Updated : Jun 20, 2024, 10:12 PM IST

उत्तराखंड में बाल तस्करी (Etv Bharat)

नैनीताल: बाल विकास संरक्षण आयोग की अध्यक्ष गीता खन्ना आज नैनीताल भ्रमण पर रही. इस दौरान गीता खन्ना ने बाल तस्करी,चाइल्ड हेल्पलाइन, बाल प्रताड़ना,लावारिस और लापता,बाल संरक्षण,निराश्रित बच्चों के संबंध में जिलाधिकारी कार्यालय सभागार में समीक्षा बैठक की. गीता ने कहा उत्तराखंड के सात जिलों में बाल तस्करी की सम्भावना सर्वाधिक है.

उन्होंने कहा किसी प्रकार की भी बाल तस्करी, बाल श्रम, बाल विवाह, भिक्षा वृत्ति आदि को रोकने के लिए ग्रामीण और शहरी इलाकों में जागरुकता अभियान चलाना जरुरी है. जिसमें विद्यालय, बाल मित्र थाना, स्वास्थ्य विभाग, सरकारी योजनाओं के माध्यम से भी बाल श्रम, ड्रग, अपराध, तस्करी आदि को रोका जा सकता है. बाल तस्करी,अपराध के शिकार सिर्फ कमजोर वर्ग ही अन्य समाज के हर के परिवार या बच्चे भी हैं, जिसको रोकने के लिए पुलिस ही नहीं सभी की सहभागिता जरुरी है.

उन्होंने कहा बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन, राज्य- अंतराष्ट्रीय बाडर, होटल, धर्मशाला आदि इलाकों में बाल तस्करी की संभावना ज्यादा रही है. तस्करी के बाद बच्चों को कम्पनियों, होटलों, स्पा सेंटरो, ड्रग सप्लाई आदि के लिए प्रयोग किया जाता है. ऐसे इलाकों में पुलिस, खुफिया तंत्र समेत अन्य विभागों को सतर्क रहने की आवश्यता है. साथ बच्चों के खोए-घर नहीं या अन्य परिस्थितियों में चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 में सपंर्क कर सकते हैं.

बैठक के दौरान उन्होंने बताया एनसीपीसीआर ने भारत के 100 जिलों को चिह्नित किया है. जिनमें बाल तस्करी की संभावना ज्यादा है. जिसमें उत्तराखंड में पिथौरागढ़, चंपावत, उत्तरकाशी, नैनीताल जिलों में बाल तस्करी की ज्यादा संभावना हैं. इन जिलों में बाल तस्करी रोकने के लिए बैठक और जागरुकता अभियान चलाया जा चुका है. एनसीपीसीआर की ओर से 1 से 30 जून तक पूरे भारत में बाल श्रम मुक्त भारत अभियान चलाया जा रहा है. जिसमें ऐसे बच्चों के परिजन को अपने बच्चों के शिक्षा या अन्य पूर्ति करने में असमर्थ हैं ऐसे बच्चों को चिह्नित कर शिक्षा, संरक्षण आदि की व्यवस्था की जाएगी. जिसके लिए हर जिले में टास्क फोर्स का गठन किया गया है.

पढे़ं-छात्रा ने शिक्षक पर लगाए थे यौन शोषण के आरोप, स्कूल ने नहीं की कार्रवाई! बाल आयोग के निरीक्षण में बड़ा खुलासा - Uttarakhand Child Rights Protection


उत्तराखंड में बाल तस्करी (Etv Bharat)

नैनीताल: बाल विकास संरक्षण आयोग की अध्यक्ष गीता खन्ना आज नैनीताल भ्रमण पर रही. इस दौरान गीता खन्ना ने बाल तस्करी,चाइल्ड हेल्पलाइन, बाल प्रताड़ना,लावारिस और लापता,बाल संरक्षण,निराश्रित बच्चों के संबंध में जिलाधिकारी कार्यालय सभागार में समीक्षा बैठक की. गीता ने कहा उत्तराखंड के सात जिलों में बाल तस्करी की सम्भावना सर्वाधिक है.

उन्होंने कहा किसी प्रकार की भी बाल तस्करी, बाल श्रम, बाल विवाह, भिक्षा वृत्ति आदि को रोकने के लिए ग्रामीण और शहरी इलाकों में जागरुकता अभियान चलाना जरुरी है. जिसमें विद्यालय, बाल मित्र थाना, स्वास्थ्य विभाग, सरकारी योजनाओं के माध्यम से भी बाल श्रम, ड्रग, अपराध, तस्करी आदि को रोका जा सकता है. बाल तस्करी,अपराध के शिकार सिर्फ कमजोर वर्ग ही अन्य समाज के हर के परिवार या बच्चे भी हैं, जिसको रोकने के लिए पुलिस ही नहीं सभी की सहभागिता जरुरी है.

उन्होंने कहा बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन, राज्य- अंतराष्ट्रीय बाडर, होटल, धर्मशाला आदि इलाकों में बाल तस्करी की संभावना ज्यादा रही है. तस्करी के बाद बच्चों को कम्पनियों, होटलों, स्पा सेंटरो, ड्रग सप्लाई आदि के लिए प्रयोग किया जाता है. ऐसे इलाकों में पुलिस, खुफिया तंत्र समेत अन्य विभागों को सतर्क रहने की आवश्यता है. साथ बच्चों के खोए-घर नहीं या अन्य परिस्थितियों में चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 में सपंर्क कर सकते हैं.

बैठक के दौरान उन्होंने बताया एनसीपीसीआर ने भारत के 100 जिलों को चिह्नित किया है. जिनमें बाल तस्करी की संभावना ज्यादा है. जिसमें उत्तराखंड में पिथौरागढ़, चंपावत, उत्तरकाशी, नैनीताल जिलों में बाल तस्करी की ज्यादा संभावना हैं. इन जिलों में बाल तस्करी रोकने के लिए बैठक और जागरुकता अभियान चलाया जा चुका है. एनसीपीसीआर की ओर से 1 से 30 जून तक पूरे भारत में बाल श्रम मुक्त भारत अभियान चलाया जा रहा है. जिसमें ऐसे बच्चों के परिजन को अपने बच्चों के शिक्षा या अन्य पूर्ति करने में असमर्थ हैं ऐसे बच्चों को चिह्नित कर शिक्षा, संरक्षण आदि की व्यवस्था की जाएगी. जिसके लिए हर जिले में टास्क फोर्स का गठन किया गया है.

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Last Updated : Jun 20, 2024, 10:12 PM IST
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