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एनर्जी और क्लाइमेट चेंज पर सेमिनार का आयोजन, स्कूली बच्चों को दी गई पर्यावरण संरक्षण की जानकारी - Climate change

खूंटी के कस्तूरबा गांधी स्कूल में एनर्जी और क्लाइमेट चेंज पर सेमिनार का आयोजन किया गया. सीनियर साइंटिस्ट डॉ बोधीसत्वा हाजरा ने छात्राओं को इस बारे में विस्तार से जानकारी दी.

Climate change
कस्तूरबा गांधी स्कूल की छात्राएं (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 1, 2024, 9:45 AM IST

खूंटी : जिले के कस्तूरबा गांधी बालिका मुख्यमंत्री उत्कृष्ट विद्यालय कर्रा में एनर्जी और क्लाइमेट चेंज विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया. उपायुक्त लोकेश मिश्रा के निर्देश पर सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम के तहत सीएसआईआर- केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान धनबाद के वरीय वैज्ञानिक डॉ बोधिसत्वा हाजरा द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान उन्होंने ऊर्जा एवं जलवायु परिवर्तन को लेकर कई महत्वपूर्ण बातें कही.

एनर्जी और क्लाइमेट चेंज पर सेमिनार का आयोजन (ईटीवी भारत)

सेमिनार में कक्षा 9 से 12 तक की छात्राओं को ग्लोबल वार्मिंग, कार्बन पृथक्करण, कोयला आधारित ऊर्जा, हरित ऊर्जा, संधारणीय खेती एवं जल संरक्षण विषय पर कई महत्वपूर्ण जानकारी दी गई. डॉ बोधिसत्वा हाजरा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन एवं ग्लोबल वार्मिंग मानव शरीर को भी नुकसान पहुंचा रहा हैय ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए सिर्फ पेड़ लगाने से नहीं बल्कि हमें पेड़ों को संरक्षित करने के साथ-साथ पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की भी जरूरत है.

उन्होंने बताया कि कोयला उत्पादन में झारखंड सबसे आगे है, यहां का कोयला काफी अच्छा माना जाता है, हम खनन के माध्यम से कोयला निकालते हैं. धनबाद और बोकारो जैसे जिलों में कोयला काफी मात्रा में पाया जाता है. भारत में कोयले के जरिए बिजली का उत्पादन होता है, लेकिन जर्मनी जैसे कम आबादी वाले देशों में पवन, जल और सौर ऊर्जा से बिजली का उत्पादन हो रहा है. इसकी तुलना में कोयले से बिजली का उत्पादन काफी सस्ता है, लेकिन कोयले से बिजली का उत्पादन पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाता है. इससे होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं.

घर से निकलने वाले कूड़े के संबंध में उन्होंने कहा कि हमें कूड़े को अलग-अलग रखने की जरूरत है, सूखा और गीला कूड़ा अलग-अलग रखकर हम पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचा सकते हैं. उन्होंने कहा कि इंटरनेट के माध्यम से हम ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन विषय पर कई अन्य महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

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सेमिनार में कक्षा 9 से 12 तक की छात्राओं को ग्लोबल वार्मिंग, कार्बन पृथक्करण, कोयला आधारित ऊर्जा, हरित ऊर्जा, संधारणीय खेती एवं जल संरक्षण विषय पर कई महत्वपूर्ण जानकारी दी गई. डॉ बोधिसत्वा हाजरा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन एवं ग्लोबल वार्मिंग मानव शरीर को भी नुकसान पहुंचा रहा हैय ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए सिर्फ पेड़ लगाने से नहीं बल्कि हमें पेड़ों को संरक्षित करने के साथ-साथ पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की भी जरूरत है.

उन्होंने बताया कि कोयला उत्पादन में झारखंड सबसे आगे है, यहां का कोयला काफी अच्छा माना जाता है, हम खनन के माध्यम से कोयला निकालते हैं. धनबाद और बोकारो जैसे जिलों में कोयला काफी मात्रा में पाया जाता है. भारत में कोयले के जरिए बिजली का उत्पादन होता है, लेकिन जर्मनी जैसे कम आबादी वाले देशों में पवन, जल और सौर ऊर्जा से बिजली का उत्पादन हो रहा है. इसकी तुलना में कोयले से बिजली का उत्पादन काफी सस्ता है, लेकिन कोयले से बिजली का उत्पादन पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाता है. इससे होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं.

घर से निकलने वाले कूड़े के संबंध में उन्होंने कहा कि हमें कूड़े को अलग-अलग रखने की जरूरत है, सूखा और गीला कूड़ा अलग-अलग रखकर हम पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचा सकते हैं. उन्होंने कहा कि इंटरनेट के माध्यम से हम ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन विषय पर कई अन्य महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

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