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मिलेट्स की राखियों से सरगुजा से झारखंड तक बाजार गुलजार, हो रही बंपर आमदनी, वोकल फॉर लोकल को मिला बढ़ावा - millets Rakhis in Surguja - MILLETS RAKHIS IN SURGUJA

Rakhi Special 2024 सरगुजा में स्व सहायता समूह की महिलाएं मिलेट्स से खास राखियां तैयार कर रही हैं. ये महिलाएं धान, गेहूं, चावल, इमली का भी इस खास राखी में इस्तेमाल कर शानदार राखी तैयार कर रही है. यही कारण है कि छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि झारखंड में भी इस राखी की खास डिमांड है. Vocal for Local on Rakshabandhan

MILLETS RAKHIS IN SURGUJA
सरगुजा में मिलेट्स की राखियां (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 2, 2024, 3:47 PM IST

Updated : Aug 2, 2024, 11:37 PM IST

मिलेट्स की राखियों से सरगुजा गुलजार (ETV BHARAT)

सरगुजा: रक्षाबंधन का त्यौहार आ रहा है. सरगुजा की महिलाएं राखी बनाने में नवाचार कर रहीं हैं. यहां की महिलाएं चावल, गेहूं, धान, जौ, मिलेट्स और इमली से राखियां बना रहीं हैं. इन महिलाओं की मानें तो इस राखी में अपनापन दर्शाने के उद्देश्य से महिलाएं ये खास राखी तैयार कर रही हैं. ये राखी पूरी तरह से इको फ्रेंडली है. इसमें इस्तेमाल किया गया हर चीज प्राकृतिक है.

सरगुजा में अन्न से बनी खास राखियां: प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर सरगुजा की महिलाओं ने राखी निर्माण में नवाचार किया है. इन महिलाओं ने ऐसी राखियां तैयार की है, जिसमें अपनापन लगे. यहां के अधिकतर लोग खेती-किसानी पर निर्भर हैं. ये वनांचल क्षेत्रों में रहते हैं. यही कारण है कि प्रकृति को जोड़ते हुए इन महिलाओं ने राखी तैयार किया है. चावल, गेंहू, धान, जौ, मिलेट्स और इमली की राखियां इन महिलाओं ने बनाई गई हैं. राखी बनाने वाली महिलाओं का कहना है कि स्टोन और जड़ी की राखी तो हमेशा ही बाजार में मिलती है, लेकिन इन राखियों में अपनापन है.

वोकल फॉर लोकल को मिल रही मजबूती: ये खास राखी तैयार करने वाली महिला अनूपा का कहना है, "स्थानीय संसाधनों से राखी बनाने का ख्याल ऐसे आया कि हर साल तो हम लोग बाजार से राखी लाकर बांधते हैं, लेकिन अभी अच्छा लग रहा है कि हम लोग स्थानीय संसाधनों से अपने हाथों से राखी बनाकर भाई को बांध रहे हैं." वहीं महिला समूह की पीआरपी सपना का कहना है कि, "12 लोगों का ये समूह है, जिसमें से 8 महिलाएं ही राखी निर्माण कर रही हैं, इसमें इन लोगों की 35 हजार की लागत थी. 62 हजार की राखी बिक चुकी है. करीब 28 हजार की राखी बची हुई है. करीब 55 हजार का मुनाफा दिख रहा है, लेकिन क्योंकि पूंजी में काफी सारी वस्तुएं इनकी खुद की थी, तो कमाई 62 हजार तक मान सकते हैं. 1 से 2 रुपए की एक राखी पड़ती है, जो बाजार में 8 से 10 रुपये में बिक जाती है."

"ये हमारी लोकल राखियां हैं, जो हम लोग गांव में बनाते हैं. इन्हें धान, चावल, गेहूं, कोदो और इमली से बनाया गया है. इन राखियों में अपनापन सा है. बाजार में जो राखी मिलती है, वो तो स्टोन से बनी होती है, लेकिन इस राखी को जो भी बहन अपने भाई को बांधेगी, उसमें एक अपनापन सा रहेगा. इस माध्यम से हम लोगों को रोजगार का भी जरिया मिलता है." -अंजू, राखी बनाने वाली महिला

राखी से हो रही अच्छी आमदनी: सरगुजा की महिलाएं इस खास राखी को बनाकर अच्छी खासी आमदनी भी कर रही है. जिले के सरगंवा गांव स्थित एक महिला समूह ने राखी का निर्माण किया है. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत बने समूह की महिलाओं ने यह काम किया है. ये राखियां झारखंड तक पहुंच रही है और वहां भी बिक रही है.

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मिलेट्स की राखियों से सरगुजा गुलजार (ETV BHARAT)

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सरगुजा में अन्न से बनी खास राखियां: प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर सरगुजा की महिलाओं ने राखी निर्माण में नवाचार किया है. इन महिलाओं ने ऐसी राखियां तैयार की है, जिसमें अपनापन लगे. यहां के अधिकतर लोग खेती-किसानी पर निर्भर हैं. ये वनांचल क्षेत्रों में रहते हैं. यही कारण है कि प्रकृति को जोड़ते हुए इन महिलाओं ने राखी तैयार किया है. चावल, गेंहू, धान, जौ, मिलेट्स और इमली की राखियां इन महिलाओं ने बनाई गई हैं. राखी बनाने वाली महिलाओं का कहना है कि स्टोन और जड़ी की राखी तो हमेशा ही बाजार में मिलती है, लेकिन इन राखियों में अपनापन है.

वोकल फॉर लोकल को मिल रही मजबूती: ये खास राखी तैयार करने वाली महिला अनूपा का कहना है, "स्थानीय संसाधनों से राखी बनाने का ख्याल ऐसे आया कि हर साल तो हम लोग बाजार से राखी लाकर बांधते हैं, लेकिन अभी अच्छा लग रहा है कि हम लोग स्थानीय संसाधनों से अपने हाथों से राखी बनाकर भाई को बांध रहे हैं." वहीं महिला समूह की पीआरपी सपना का कहना है कि, "12 लोगों का ये समूह है, जिसमें से 8 महिलाएं ही राखी निर्माण कर रही हैं, इसमें इन लोगों की 35 हजार की लागत थी. 62 हजार की राखी बिक चुकी है. करीब 28 हजार की राखी बची हुई है. करीब 55 हजार का मुनाफा दिख रहा है, लेकिन क्योंकि पूंजी में काफी सारी वस्तुएं इनकी खुद की थी, तो कमाई 62 हजार तक मान सकते हैं. 1 से 2 रुपए की एक राखी पड़ती है, जो बाजार में 8 से 10 रुपये में बिक जाती है."

"ये हमारी लोकल राखियां हैं, जो हम लोग गांव में बनाते हैं. इन्हें धान, चावल, गेहूं, कोदो और इमली से बनाया गया है. इन राखियों में अपनापन सा है. बाजार में जो राखी मिलती है, वो तो स्टोन से बनी होती है, लेकिन इस राखी को जो भी बहन अपने भाई को बांधेगी, उसमें एक अपनापन सा रहेगा. इस माध्यम से हम लोगों को रोजगार का भी जरिया मिलता है." -अंजू, राखी बनाने वाली महिला

राखी से हो रही अच्छी आमदनी: सरगुजा की महिलाएं इस खास राखी को बनाकर अच्छी खासी आमदनी भी कर रही है. जिले के सरगंवा गांव स्थित एक महिला समूह ने राखी का निर्माण किया है. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत बने समूह की महिलाओं ने यह काम किया है. ये राखियां झारखंड तक पहुंच रही है और वहां भी बिक रही है.

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Last Updated : Aug 2, 2024, 11:37 PM IST
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