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सेकू गांव के लिए सड़क बनाना भूले जिम्मेदार! ग्रामीणों ने खुद उठाई गैंती और कुदाल - Seku Village Road - SEKU VILLAGE ROAD

Seku Villagers Constructing Road in Uttarkashi जिम्मेदारों की उपेक्षा से आहत सेकू गांव के ग्रामीणों ने खुद ही सड़क निर्माण का बीड़ा उठा लिया है. ग्रामीणों ने कई बार सड़क निर्माण को लेकर जिम्मेदारों से गुहार लगाई, लेकिन उनकी अनदेखी होती रही. ऐसे में थक हार कर ग्रामीण खुद ही सड़क बनाने में जुट गए हैं.

Villagers Constructed Road in Uttarkashi
सेकू गांव में सड़क निर्माण में जुटे ग्रामीण
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 1, 2024, 5:27 PM IST

Updated : May 1, 2024, 5:38 PM IST

सेकू गांव में सड़क निर्माण में जुटे ग्रामीण

उत्तरकाशी: शासन प्रशासन की अनदेखी से नाराज सेकू गांव के ग्रामीण खुद ही सड़क निर्माण में जुट गए हैं. गांव के युवा, बुजुर्ग, महिलाओं ने सभी हाथों में गैंती और कुदाल थामकर अपने गांव के लिए सड़क का निर्माण शुरू कर दिया है. ग्रामीणों का कहना है जब सरकार उनकी नहीं सुन नहीं रही तो अब उन्हें खुद ही अपनी समस्या का समाधान करना पड़ेगा.

दरअसल, केलशू घाटी के सेकू गांव के लिए साल 2017 में करीब 4 किमी सड़क को शासन की ओर से स्वीकृती मिली थी. जिस पर लोक निर्माण विभाग ने सर्वे किया, लेकिन उसके बाद इस पर कोई काम शुरू नहीं हो पाया. ग्रामीणों ने शासन प्रशासन से कई बार सड़क निर्माण कराने के लिए गुहार लगाई, लेकिन उनकी बातों पर गौर नहीं किया गया.

ऐसे में जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान का विरोध भी किया. उसके बाद भी जिला प्रशासन ने उनकी समस्या का संज्ञान नहीं लिया. इसके बाद ग्रामीणों ने सरकार की बुद्धि-शुद्धि के लिए हवन भी किया, फिर भी जिम्मेदार नहीं जागे. लिहाजा, बुधवार को सेकू गांव के ग्रामीणों ने थक हारकर खुद ही सड़क निर्माण में जुट गए.

Villagers Constructed Road in Uttarkashi
सेकू गांव में सड़क निर्माण में जुटे ग्रामीण

ग्रामीणों का कहना है कि सड़क न होने के कारण आज भी वो आदम युग में जीने को मजबूर हैं. सरकार की ओर से स्वीकृत 4 किलोमीटर सड़क निर्माण के लिए खुद ही मैदान में उतर आए हैं. उनका कहना है कि साल 2017 में सरकार ने 4 किलोमीटर सड़क स्वीकृत की थी, लेकिन आज तक सेकू गांव के लिए सड़क नहीं बनी. ऐसे में उन्हें मजबूरन सड़क का निर्माण खुद करना पड़ रहा है.

ग्रामीणों ने किया था मतदान का बहिष्कार, पड़े थे सिर्फ 11 वोट: बता दें कि गुस्साए सेकू गांव के ग्रामीणों ने 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव का बहिष्कार भी किया था. सेकू गांव के पोलिंग बूथ पर मात्र 11 वोट ही पड़े थे. ग्रामीणों का कहना है कि वो आजादी के 75 साल बाद भी सड़क मार्ग से वंचित है. गांव में समस्या तब ज्यादा उत्पन्न होती है, जब कोई व्यक्ति बीमार होता है या किसी प्रसव पीड़ित महिला को अस्पताल तक पहुंचाना पड़ता है.

उनका कहना है कि वो कई बार शासन-प्रशासन के पास सड़क निर्माण के लिए गुहार लगा चुके हैं, लेकिन उनकी सुध किसी ने नहीं ली. इसलिए मजबूरन आज उन्हें खुद ही सड़क निर्माण के लिए धरातल पर उतरना पड़ा है. वहीं, सड़क निर्माण में महिलाएं भी बढ़ चढ़कर काम में जुटी हैं.

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सेकू गांव में सड़क निर्माण में जुटे ग्रामीण

उत्तरकाशी: शासन प्रशासन की अनदेखी से नाराज सेकू गांव के ग्रामीण खुद ही सड़क निर्माण में जुट गए हैं. गांव के युवा, बुजुर्ग, महिलाओं ने सभी हाथों में गैंती और कुदाल थामकर अपने गांव के लिए सड़क का निर्माण शुरू कर दिया है. ग्रामीणों का कहना है जब सरकार उनकी नहीं सुन नहीं रही तो अब उन्हें खुद ही अपनी समस्या का समाधान करना पड़ेगा.

दरअसल, केलशू घाटी के सेकू गांव के लिए साल 2017 में करीब 4 किमी सड़क को शासन की ओर से स्वीकृती मिली थी. जिस पर लोक निर्माण विभाग ने सर्वे किया, लेकिन उसके बाद इस पर कोई काम शुरू नहीं हो पाया. ग्रामीणों ने शासन प्रशासन से कई बार सड़क निर्माण कराने के लिए गुहार लगाई, लेकिन उनकी बातों पर गौर नहीं किया गया.

ऐसे में जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान का विरोध भी किया. उसके बाद भी जिला प्रशासन ने उनकी समस्या का संज्ञान नहीं लिया. इसके बाद ग्रामीणों ने सरकार की बुद्धि-शुद्धि के लिए हवन भी किया, फिर भी जिम्मेदार नहीं जागे. लिहाजा, बुधवार को सेकू गांव के ग्रामीणों ने थक हारकर खुद ही सड़क निर्माण में जुट गए.

Villagers Constructed Road in Uttarkashi
सेकू गांव में सड़क निर्माण में जुटे ग्रामीण

ग्रामीणों का कहना है कि सड़क न होने के कारण आज भी वो आदम युग में जीने को मजबूर हैं. सरकार की ओर से स्वीकृत 4 किलोमीटर सड़क निर्माण के लिए खुद ही मैदान में उतर आए हैं. उनका कहना है कि साल 2017 में सरकार ने 4 किलोमीटर सड़क स्वीकृत की थी, लेकिन आज तक सेकू गांव के लिए सड़क नहीं बनी. ऐसे में उन्हें मजबूरन सड़क का निर्माण खुद करना पड़ रहा है.

ग्रामीणों ने किया था मतदान का बहिष्कार, पड़े थे सिर्फ 11 वोट: बता दें कि गुस्साए सेकू गांव के ग्रामीणों ने 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव का बहिष्कार भी किया था. सेकू गांव के पोलिंग बूथ पर मात्र 11 वोट ही पड़े थे. ग्रामीणों का कहना है कि वो आजादी के 75 साल बाद भी सड़क मार्ग से वंचित है. गांव में समस्या तब ज्यादा उत्पन्न होती है, जब कोई व्यक्ति बीमार होता है या किसी प्रसव पीड़ित महिला को अस्पताल तक पहुंचाना पड़ता है.

उनका कहना है कि वो कई बार शासन-प्रशासन के पास सड़क निर्माण के लिए गुहार लगा चुके हैं, लेकिन उनकी सुध किसी ने नहीं ली. इसलिए मजबूरन आज उन्हें खुद ही सड़क निर्माण के लिए धरातल पर उतरना पड़ा है. वहीं, सड़क निर्माण में महिलाएं भी बढ़ चढ़कर काम में जुटी हैं.

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Last Updated : May 1, 2024, 5:38 PM IST
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