रायपुर: 'नीलकंठ तुम नीले रहियो, दूध भात का भोजन करियो, हमरी बात राम से कहियो'. यह एक लोकोक्ति है. इसके मुताबिक नीलकंठ को भगवान का प्रतिनिधि माना गया है. दशहरा की सुबह नीलकंठ के दर्शन का विशेष महत्व है. माना जाता है कि दशहरा के दिन नीलकंठ के दर्शन करने से घर में सुख समृद्धि आती है.
विजयादशमी को बनाएं भाग्यशाली: मान्यताओं के मुताबिक 12 अक्टूबर को दशहरा यानी विजयदशमी है. दशहरा पर दशानन रावण का पुतला जलाया जाता है. देश भर में रावण दहन की परंपरा चली आ रही है. इस त्यौहार से जुड़ी कई मान्यताएं भी हैं. दशहरा के दिन नीलकंठ पक्षी को देखना शुभ माना जाता है.
नीलकंठ का दशहरा कनेक्शन: दशहरा के दिन नीलकंठ पक्षी को देखना शुभ माना जाता है. नीलकंठ को सुख समृद्धि, शांति, सौम्यता और सद्भाव का प्रतीक माना जाता है. नीलकंठ पक्षी का दर्शन फलदायी माना जाता है. नीलकंठ को लक्ष्मी जी का एक रूप माना जाता है. कहा जाता है कि भगवान श्री राम ने दशहरा के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन कर रावण को हराया था.
दशहरा से जुड़ी भोलेनाथ की कहानी: हिंदू धर्म के जानकारों के मुताबिक ऐसी मान्यता भी है कि जब भगवान राम रावण का वध करके लौटे तो उन पर ब्राह्मण हत्या का पाप लगा था. इससे मुक्ति पाने के लिए भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण के साथ भगवान शिव की आराधना की. भोलेनाथ प्रसन्न हुए और उन्होंने नीलकंठ पक्षी के रूप में श्रीराम और लक्ष्मण को दर्शन दिए.
दशहरा को विजयादशमी भी कहा जाता है. आश्विन मास की दशमी तिथि को दशहरा मनाया जाता है. यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. कहते हैं भगवान श्री राम ने रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त की थी, इसलिए इसे विजयादशमी भी कहते हैं. यही वजह है कि दशहरा का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है.