नई दिल्लीः गुरु तेग बहादुर (GTB) अस्पताल गोलीकांड की जांच के दायरे में प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसियां भी आ गई है. सोमवार को एंटी करप्शन ब्रांच (ACB) ने निजी सुरक्षा एजेंसियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. एजेंसियों की ओर से बरती जा रही अनियमितताओं में दिल्ली सरकार के अधिकारियों की मिलीभगत के भी आरोप लगाए जा रहे हैं और उन पर फर्जी बिल का भुगतान करने का आरोप लगा है. वहीं, ACB की कार्रवाई के मसले पर दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने भी प्रतिक्रिया दी है.
दरअसल, एसीबी ने सिक्योरिटी मुहैया कराने वाली कंपनियों के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. आरोप लगाया गया है कि दिल्ली सरकार के अफसरों ने मिलीभगत करके सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया है. इन प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसियों ने सरकारी अफसरों के साथ मिलकर सिक्योरिटी गार्ड्स के फर्जी बिल बनाकर सरकार के खजाने से पैसा लूटने का काम किया है. आरोप यह भी लगे हैं कि सरकारी अस्पतालों में सिक्योरिटी गार्ड्स को जॉब दिलाने के नाम पर रिश्वत ली जाती है. दिल्ली सरकार के अधिकारी सब कुछ जानने के बाद भी इन प्राइवेट सिक्योरिटी कंपनियों के फर्जी बिलों को पास करने का काम करते रहे हैं.
पहले से उजागर करते हैं भ्रष्टाचारः ACB की कार्रवाई के बाद दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने प्रतिक्रिया दी है कि वह आउटसोर्सिंग मैनपॉवर से संबंधित अधिकांश फाइलों पर लिखते रहे हैं कि अस्पतालों और अन्य जगहों पर कांट्रेक्चुअल मैनपावर की भर्ती में घोर भ्रष्टाचार हुआ है. इस मामले पर लगातार स्वास्थ्य सचिव समेत अन्य स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के साथ दर्जनों बार चर्चा भी हुई है. बावजूद इसके अधिकारी इस भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने से कतराते रहे हैं.
उन्होंने कहा कि जब पिटीशन कमेटी के अध्यक्ष थे तब भी इस मामले पर विस्तार से विचार विमर्श किया था, लेकिन याचिका समिति की अनुशंसा पर अफसरों ने कुछ नहीं किया. हेल्थ सेक्रेटरी को 19 जुलाई को भी एक डिटेल नोट भेजा गया था और फिर से प्राइवेट ठेकेदारों के जरिए आउटसोर्सिंग मैन पावर पर काम करने की प्रथा को रोकने और राज्य सरकार और केंद्र सरकार के तहत सार्वजनिक उपकरणों के जरिए ही मैनपॉवर को काम पर रखने का निर्देश दिया गया था. इसके लिए आईसीएसआईएल जैसे सरकारी पीएसयू के जरिए मैनपॉवर रखने की फाइल को आगे बढ़ाया गया था, लेकिन इस निर्णय को लागू नहीं किया गया.
मंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार को रोकने की बजाय उसको बढ़ावा देने वाले जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. साथ ही इसकी भी गहन जांच की जानी चाहिए कि आखिर स्वास्थ्य मंत्री के बार-बार इस बारे में याद दिलाने के बावजूद अफसरों ने अपनी आंखें क्यों बंद रखी थीं.
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