देहरादून: उत्तराखंड शिक्षा विभाग तमाम मामलों को लेकर सुर्खियों में रहता है. खासतौर पर शिक्षकों की नियुक्ति, उनके तबादले जैसे मामले विभाग के भीतर छाए रहे हैं. इन्हीं सभी स्थितियों को देखते हुए शिक्षा विभाग अब महकमे में अलग-अलग स्तर पर शिक्षकों की स्क्रूटनी का काम चल रहा है. एक तरफ पूर्व में हुए एसआईटी जांच के निर्देश के बाद विभाग भी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सरकारी नौकरी पाने वाले शिक्षकों को चिन्हित करने में जुड़ा हुआ है तो दूसरी तरफ ऐसे शिक्षक भी रडार पर हैं जो बीमारी का बहाना बनाकर सुगम नियुक्ति लेने की जुगत में रहते हैं. इतना ही नहीं गंभीर बीमारी वाले शिक्षकों के लिए भी स्पष्ट गाइडलाइन तैयार की जा रही है, ताकि ऐसे शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा सके.
उत्तराखंड में प्राथमिक शिक्षकों के प्रमाण पत्रों को लेकर हालांकि मामला हाईकोर्ट तक भी पहुंचा था और इस पर हुई पीआईएल के बाद महकमा हरकत में आया था. बड़ी बात यह है कि फिलहाल राज्य के 12% प्राथमिक शिक्षक ऐसे हैं, जिनके प्रमाण पत्रों की जांच अब तक नहीं हो पाई है. ऐसे में ऐसे शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच का काम भी तेजी से आगे बढ़ाने के निर्देश जारी किए गए हैं. शिक्षा महानिदेशक झरना कमठान ने फर्जी और झूठे दावों से जुड़े ऐसे मामलों में तेजी लाने के निर्देश दे दिए हैं. दरअसल राज्य में जांच शुरू होने के बाद अब तक करीब 70 शिक्षकों को अमान्यता प्राप्त संस्थाओं या फर्जी दस्तावेज के बिनाह पर नौकरी पाने का जांच में दोषी पाया गया है. ऐसे शिक्षकों को बर्खास्त करने की भी कार्रवाई हो चुकी है.
जबकि बाकी शिक्षकों की भी जांच का काम आगे बढ़ाया जा रहा है. शिक्षा विभाग में तबादलों को लेकर भी अक्सर तमाम विवाद सामने आते रहे हैं और उसके चलते कई बार शिक्षक सुगम स्थलों पर अपने तबादलों को करवाने के लिए जुगत लागत भी रहे हैं. इस दौरान गंभीर बीमारी का भी हवाला दिया जाता रहा है जिसको लेकर समय-समय पर स्वास्थ्य प्रमाण पत्रों की भी जांच की बात कही जाती रही है. उधर अब शिक्षा विभाग ने गंभीर बीमारी वाले शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने की तरफ भी कदम बढ़ा लिया है. ऐसे में शिक्षा महानिदेशक झरना कमठान ने जिलों से ऐसे शिक्षकों की रिपोर्ट तलब करते हुए अनिवार्य सेवानिवृत्ति के नियम के तहत कार्रवाई करने की बात कही है.
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