कानपुर: भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान (IIPR) के वैज्ञानिकों ने अब काबुली चना की नई प्रजाति कंचन का विकास किया है. प्रोटीन से भरपूर यह प्रजाति आने वाले समय में किसानों की आय बढ़ाने में बहुत अधिक मददगार साबित होगी. आईआईपीआर के वैज्ञानिकों का कहना है, कि किसान लगातार इसकी मांग कर रहे थे कि उन्हें काबुली चना की वह प्रजाति मिले जिसका वह अधिक से अधिक उत्पादन कर सकें. इसके लिए वैज्ञानिकों ने कंचन को तैयार किया है. प्रोटीन के अलावा इस प्रजाति में कई अन्य खूबियां भी हैं.
120 से 130 दिनों में फसल तैयार, कीड़े भी नहीं लगते: आईआईपीआर के निदेशक डॉ.जीपी दीक्षित ने बताया, कि कंचन केवल 120 से 130 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इस फसल में किसी तरह के कीड़े नहीं लगते हैं. उप्र के किसानों के लिए यह फसल एक वरदान की तरह है. आने वाले दिनों किसानों के खेतों में कंचन लहलहाते दिखेगी. निदेशक डॉ.जीपी दीक्षित ने कहा, अभी तक काबुली चने की जो प्रजातियां बाजार में पहुंची हैं उनमें 16 से 18 प्रतिशत तक प्रोटीन होता था. मगर, कंचन में प्रोटीन की मात्रा 20 से 22 प्रतिशत तक होगी.
किसानों को कब मिलेंगे बीज: किसानों को कंचन के बीज कब से उपलब्ध हो सकेंगे, इस सवाल के जवाब में भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. जीपी दीक्षित ने बताया, कि इसी साल से किसानों को हम बीज मुहैया कराएंगे. रबी का सीजन आते ही, किसान बीजों के लिए आईआईपीआर में संपर्क कर सकते हैं.
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