ETV Bharat / state

हरियाणा विधानसभा चुनाव: एससी वोट बैंक की लड़ाई होगी अहम, जानें क्यों सभी दलों की है नजर? - SC Vote Bank in Haryana

SC Vote Bank in Haryana: हरियाणा विधानसभा चुनाव में एससी वोट बैंक की लड़ाई अहम होने वाली है. जानें कौन सी पार्टी एससी वोट बैंक को साधने में कामयाब हुई है और किस पार्टी को ज्यादा मेहनत की जरूरत है.

SC Vote Bank in Haryana
SC Vote Bank in Haryana (Etv Bharat)
author img

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Aug 31, 2024, 1:57 PM IST

Updated : Aug 31, 2024, 5:23 PM IST

चंडीगढ़: इस बार हरियाणा विधानसभा चुनाव में एससी वोट बैंक की लड़ाई अहम होने वाली है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि हरियाणा में अगर बड़े वोट बैंक की बात की जाए, तो उसमें ओबीसी वोट बैंक 30 फीसदी से ज्यादा है. जबकि जाट वोट बैंक भी करीब 24 फीसदी है. वहीं एससी वोट बैंक की बात की जाए, तो ये करीब 21 फीसदी है. वहीं कांग्रेस इसमें सभी दलों से मजबूत दिख रही है.

क्यों हुई बीजेपी एससी वोट बैंक पर मंथन को मजबूर? बात सत्ताधारी बीजेपी की हो या फिर क्षेत्रीय दल इनेलो और जेजेपी की. इनसे कहीं ना कहीं एससी वोट बैंक दूर होता दिखाई देता है. लोकसभा चुनाव की बात करें तो हरियाणा की 17 एससी रिजर्व विधानसभा सीटों में से बीजेपी सिर्फ 4 पर बढ़त बना पायी. जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पांच विधानसभा पर जीत दर्ज की थी. जिसके बाद लगातार बीजेपी इस वोट बैंक को साधने में जुट गई. लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी इस वोट बैंक को साधने के लिए रणनीति बदलने पर मजबूर हो गई.

क्षेत्रीय दल भी पड़े एससी वोट बैंक साधने में कमजोर: वहीं जेजेपी और इनेलो ने भी इसके लिए गठबंधन के सहारे सियासी समीकरण बैठाने की कोशिश की है. क्योंकि इन क्षेत्रीय दलों से भी एससी वोट बैंक दूर हुआ है. जेजेपी उसके विधायकों के जाने से कमजोर पड़ी है. बड़ी बात ये है कि पिछले विधानसभा चुनाव में जेजेपी ने चार एससी सीटें जीती थीं, लेकिन इनमें तीन एससी आरक्षित सीट के विधायक पार्टी से किनारा कर चुके हैं. जो ये बताने के लिए काफी है कि जेजेपी एससी वोट बैंक को साधने में नाकाम हुई है. लोकसभा चुनाव के नतीजों में भी देखने को मिला है कि एससी वर्ग का क्षेत्रीय दलों जेजेपी और इनेलो में लगातार विश्वास कम हुआ है.

बीएसपी और इनेलो पार्टी का साथ बदल पाएगा हालत? क्षेत्रीय दल इनेलो और जेजेपी इस बात को जानती है कि एससी वोट बैंक उनकी विधानसभा चुनाव में बेहतर परफॉर्मेंस के लिए कितना अहम है. इसी की वजह से दोनों दलों ने रणनीति बदलते हुए विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन की रणनीति अपनाई है. इनेलो ने जहां बीएसपी के साथ गठबंधन किया है. वहीं ने जेजेपी चंद्रशेखर रावण की पार्टी एएसपी के साथ गठबंधन किया है. हालांकि इससे एससी वोट बैंक में ये दल सेंध लगा पाएंगे, इसका पता तो चुनावी नतीजों से सामने आएगा.

कांग्रेस और आप बेहतर स्थिति में: बड़ी बात ये है कि इस वोट बैंक में कांग्रेस मजबूत दिख रही है. कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में 17 आरक्षित सीटों में से 11 पर बढ़त कायम की, जबकि बीजेपी सिर्फ 4 सीट पर लीड ले पायी. इसके अलावा कांग्रेस के साथ इंडी गठबंधन में चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी दो आरक्षित विधानसभा क्षेत्रों में आगे रही. वहीं क्षेत्रीय दलों इनेलो, जेजेपी को किसी भी आरक्षित विधानसभा सीट में जीत नहीं मिली.

करीब 21 फीसदी एससी वोट बैंक रहेगा अहम: हरियाणा में विधानसभा चुनाव में एससी वोट बैंक निर्णायक भूमिका में है. इसलिए सभी दल इस फैक्टर को मजबूत करने में जुटे हैं. खासतौर पर क्षेत्रीय दलों ने तो इस वोट बैंक के लिए गठबंधन का सहारा भी लिया है. 2019 के विधानसभा चुनावों में 17 रिजर्व सीटों में से कांग्रेस ने सबसे ज्यादा सात, बीजेपी ने पांच और जेजेपी ने चार सीटें जीती थी. आंकड़े बता रहे हैं कि कांग्रेस की एससी वोट बैंक में अच्छी पकड़ है, लेकिन इस बार यह वोट बैंक किस तरफ जाएगा यह देखना दिलचस्प रहेगा.

ये भी पढ़ें- पंचकूला में नए चेहरों की एंट्री से बढ़ सकती हैं बीजेपी की मुश्किलें, कांग्रेस के लिए भी कम नहीं चुनौतियां - Haryana Election 2024

ये भी पढ़ें- जब इंदिरा गांधी ने अपनी ही पार्टी उम्मीदवार को कहा था जिंदा लाश - Chunav Flashback

चंडीगढ़: इस बार हरियाणा विधानसभा चुनाव में एससी वोट बैंक की लड़ाई अहम होने वाली है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि हरियाणा में अगर बड़े वोट बैंक की बात की जाए, तो उसमें ओबीसी वोट बैंक 30 फीसदी से ज्यादा है. जबकि जाट वोट बैंक भी करीब 24 फीसदी है. वहीं एससी वोट बैंक की बात की जाए, तो ये करीब 21 फीसदी है. वहीं कांग्रेस इसमें सभी दलों से मजबूत दिख रही है.

क्यों हुई बीजेपी एससी वोट बैंक पर मंथन को मजबूर? बात सत्ताधारी बीजेपी की हो या फिर क्षेत्रीय दल इनेलो और जेजेपी की. इनसे कहीं ना कहीं एससी वोट बैंक दूर होता दिखाई देता है. लोकसभा चुनाव की बात करें तो हरियाणा की 17 एससी रिजर्व विधानसभा सीटों में से बीजेपी सिर्फ 4 पर बढ़त बना पायी. जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पांच विधानसभा पर जीत दर्ज की थी. जिसके बाद लगातार बीजेपी इस वोट बैंक को साधने में जुट गई. लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी इस वोट बैंक को साधने के लिए रणनीति बदलने पर मजबूर हो गई.

क्षेत्रीय दल भी पड़े एससी वोट बैंक साधने में कमजोर: वहीं जेजेपी और इनेलो ने भी इसके लिए गठबंधन के सहारे सियासी समीकरण बैठाने की कोशिश की है. क्योंकि इन क्षेत्रीय दलों से भी एससी वोट बैंक दूर हुआ है. जेजेपी उसके विधायकों के जाने से कमजोर पड़ी है. बड़ी बात ये है कि पिछले विधानसभा चुनाव में जेजेपी ने चार एससी सीटें जीती थीं, लेकिन इनमें तीन एससी आरक्षित सीट के विधायक पार्टी से किनारा कर चुके हैं. जो ये बताने के लिए काफी है कि जेजेपी एससी वोट बैंक को साधने में नाकाम हुई है. लोकसभा चुनाव के नतीजों में भी देखने को मिला है कि एससी वर्ग का क्षेत्रीय दलों जेजेपी और इनेलो में लगातार विश्वास कम हुआ है.

बीएसपी और इनेलो पार्टी का साथ बदल पाएगा हालत? क्षेत्रीय दल इनेलो और जेजेपी इस बात को जानती है कि एससी वोट बैंक उनकी विधानसभा चुनाव में बेहतर परफॉर्मेंस के लिए कितना अहम है. इसी की वजह से दोनों दलों ने रणनीति बदलते हुए विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन की रणनीति अपनाई है. इनेलो ने जहां बीएसपी के साथ गठबंधन किया है. वहीं ने जेजेपी चंद्रशेखर रावण की पार्टी एएसपी के साथ गठबंधन किया है. हालांकि इससे एससी वोट बैंक में ये दल सेंध लगा पाएंगे, इसका पता तो चुनावी नतीजों से सामने आएगा.

कांग्रेस और आप बेहतर स्थिति में: बड़ी बात ये है कि इस वोट बैंक में कांग्रेस मजबूत दिख रही है. कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में 17 आरक्षित सीटों में से 11 पर बढ़त कायम की, जबकि बीजेपी सिर्फ 4 सीट पर लीड ले पायी. इसके अलावा कांग्रेस के साथ इंडी गठबंधन में चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी दो आरक्षित विधानसभा क्षेत्रों में आगे रही. वहीं क्षेत्रीय दलों इनेलो, जेजेपी को किसी भी आरक्षित विधानसभा सीट में जीत नहीं मिली.

करीब 21 फीसदी एससी वोट बैंक रहेगा अहम: हरियाणा में विधानसभा चुनाव में एससी वोट बैंक निर्णायक भूमिका में है. इसलिए सभी दल इस फैक्टर को मजबूत करने में जुटे हैं. खासतौर पर क्षेत्रीय दलों ने तो इस वोट बैंक के लिए गठबंधन का सहारा भी लिया है. 2019 के विधानसभा चुनावों में 17 रिजर्व सीटों में से कांग्रेस ने सबसे ज्यादा सात, बीजेपी ने पांच और जेजेपी ने चार सीटें जीती थी. आंकड़े बता रहे हैं कि कांग्रेस की एससी वोट बैंक में अच्छी पकड़ है, लेकिन इस बार यह वोट बैंक किस तरफ जाएगा यह देखना दिलचस्प रहेगा.

ये भी पढ़ें- पंचकूला में नए चेहरों की एंट्री से बढ़ सकती हैं बीजेपी की मुश्किलें, कांग्रेस के लिए भी कम नहीं चुनौतियां - Haryana Election 2024

ये भी पढ़ें- जब इंदिरा गांधी ने अपनी ही पार्टी उम्मीदवार को कहा था जिंदा लाश - Chunav Flashback

Last Updated : Aug 31, 2024, 5:23 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.