कुल्लू:सावन के महीने में जहां सभी शिव मंदिरों में रौनक बनी हुई है. अपने अपने तरीके से पूजा अर्चना से भक्त भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने में भी जुटे हुए हैं. भगवान भी भक्त की भक्ति को देखकर उन्हें सुख समृद्धि का वरदान देते हैं, लेकिन पूजा अर्चना में कुछ खास बातों का भी भक्तों को ध्यान रखना चाहिए, ताकि भगवान शिव की कृपा बनी रहे और दरिद्रता उनके घर पर निवास ना कर सके.
भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना में कुछ नियमों का भी भक्तों को विशेष ध्यान रखना चाहिए. आचार्य विजय कुमार का कहना है कि भगवान शिव को भूलकर भी सिंदूर और रोली अर्पित नहीं करनी चाहिए. इसके अलावा भगवान शिव को केतकी और कमल का फूल भी नहीं अर्पित करना चाहिए. भगवान भोलेनाथ को हल्दी और सुहाग की सामग्री भी नहीं चढ़ानी चाहिए. इसके अलावा भगवान भोलेनाथ की पूजा में तुलसी शंख का भी प्रयोग नहीं किया जाता है, क्योंकि दैत्य शंखचूड़ के अत्याचारों से देवता परेशान थे और भगवान शंकर ने ही उसका वध किया था. ऐसे में कभी भी शंख से भगवान शिव को जल अर्पित नहीं किया जाता है.
आचार्य विजय कुमार का कहना है कि 'शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव पर अखंड और धुले हुए साफ चावल चढ़ाने का विधान है. भक्त को इस बात का ध्यान रखना चाहिए और भगवान शिव पर टूटा हुआ चावल कभी नहीं चढ़ाना चाहिए. भक्त भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र, भांग, गंगा जल,चंदन और कच्चा दूध चढ़ा सकते हैं.'
सावन के दौरान भगवान शंकर दूध, खीर, मालपुआ, सफेद मिठाई, लस्सी, हलवा, सूखे मेवे, दही, पंचामृत, शहद आदि भोग लगाने से प्रसन्न होते हैं. माना जाता है ये ये सारी चीजें भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय हैं. इसके अलावा सावन में व्रत रखने वाले भक्त सोमवार की व्रत कथा पुस्तक भी जरूर रखें और पूजा के दौरान इसका पाठ करें. मान्यता के अनुसार सावन के पवित्र महीने में सोमवार का व्रत रखने से वैवाहिक जीवन की सभी समस्याओं से निजात मिलती है. अविवाहितों को यह व्रत करने से मनचाहा जीवनसाथी भी मिलता है. भगवान शिव के साथ-साथ शनिदेव और चंद्रमा की कृपा होती है. इससे कई तरह के ग्रह दोष भी नष्ट होते हैं.