कुरुक्षेत्र: हरियाणा में सदियों से कोथली (Sawan Ki Kothli) की परंपरा चली आ रही है. इस परंपरा के तहत सावन के महीने में भाई अपनी बहन के ससुराल मीठे का शगुन लेकर जाता है. शादी के बाद लड़की का पहला सावन अपने मायके पक्ष में बिताना आवश्यक होता है. पहले सावन में लड़की की कोथली ससुराल पक्ष द्वारा भेजी जाती है. उसके बाद हर साल सावन के महीने में महिला के मायके से उसके ससुराल में कोथली जाती है.
क्या है सावन की कोथली? सावन की कोथली को तीज की कोथली और सावन के सिंधारे के नाम से भी जाना जाता है. इसमें फिरनी और घेवर (Haryana Ghevar) को मुख्य मिठाई माना जाता है. इन मिठाइयों की खासियत ये है कि सावन के महीने में ही इन्हें बनाया जाता है. सावन के बाद ये मिठाई ना ही बनती है और ना ही बाजार में उपलब्ध होती है. इसके अलावा कोथली में देसी घी से लड्डू, गुजिया, मट्ठी और बिस्किट भी शामिल किए जाते हैं.
1 महीने पहले शुरू हो जाती है तैयारी: तीज की कोथली की तैयारी 1 महीने पहले ही शुरू हो जाती है. स्थानीय निवासी रमेश ने कहा कि तीज के त्योहार की तैयारी एक महीने पहले ही शुरू हो जाती है. महिला के मायके में परिवार के लोग खोया बनाकर उसकी मिठाई बनाना शुरू कर देते हैं. मिठाई के अलावा बाजार से कपड़ों और बर्तनों की शॉपिंग की जाती है. कुछ मिठाई बाजार से भी खरीदी जाती है. इसमें घेवर (Haryana Ghevar) और फिरनी प्रमुख है.
हरियाली तीज पर दी जाती है कोथली: हरियाणा में हरियाली तीज का त्योहार (Teej Festival) काफी धूमधाम से मनाया जाता है. तीज पर बड़े-बड़े पेड़ों पर झूले डाले जाते हैं. उन झूलों पर महिलाएं गीत गाती हुई टोलियों में झूला झूलती हैं. इस परंपरा की शुरुआत कब से हुई. इसका कोई भी सही जवाब नहीं दे पाया. बुजुर्गों ने बताया कि जब से उन्होंने होश संभाला है. तब से वो इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं.
विदेशों में भी मशहूर है हरियाणा का घेवर: फिरनी और घेवर बेचने वाले दुकानदार मेवा सिंह ने ईटीवी से बातचीत में कहा कि फिरनी और घेवर को सावन का तोहफा भी कहा जाता है. ये विशेष तौर पर सावन के महीने में बनाया जाता है. दोनों मिठाई 2 महीने की प्रमुख व्यंजन होती हैं. जो खाने में मीठी होती हैं. हरियाणा सहित भारत के अन्य राज्यों में भी घेवर व फिरनी बनाई जाती है, लेकिन हरियाणा के कैथल जिले के पूंडरी शहर में बनाई जाने वाली फिरनी विदेशों में भी प्रसिद्ध है. ये छोटे आकार की होती है और स्वाद में काफी अच्छी मानी जाती है. खास बात ये है कि इसे शुगर के मरीज भी खा सकते हैं, क्योंकि इसमें मीठा कम होता है.
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