रायपुर: पत्ते वाली हरी सब्जियां या साग सामान्य से लेकर किसी भी स्तर का जीवन जीने वाले लोगों के लिए एक पसंदीदा भोजन माना जाता है. साग प्रकृति द्वारा धरती के लिए दिया गया एक अनमोल तोहफा है जो आम लोगों के जीवन को सुधारने और कई बीमारियों से दूर रखने का काम भी करता है. शरीर में खून की कमी हो या फिर कई विटामिन को पूरा करने का काम अलग अलग तरह के साग पूरा करते हैं. लेकिन इस सावन के महीने में साग खाने के शौकीनों के लिए एक बहुत ही जरूरी खबर है. सावन के महीने में अगर आप साग भाजी खाते हैं तो इससे आपको ना सिर्फ शारीरिक बल्कि धार्मिक रूप से भी नुकसान हो सकता है.
सावन में साग क्यों नहीं खाना चाहिए: धार्मिक मान्यता के अनुसार सावन का महीना भगवान शंकर का महीना माना जाता है. भगवान शंकर को प्रकृति प्रेम का अटूट लगाव है. माना जाता है कि सावन के महीने में भगवान शिव और माता पार्वती धरती पर निवास करते हैं. ऐसे में चारों तरफ हरियाली भर वातावरण देखकर शिव प्रसन्न होते हैं. इस वजह से भी साग और हरे पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए. शिव नाराज ना हो इसके लिए भी हरे पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए.
सावन में हरे पत्ती वाली सब्जियां नहीं खाने के वैज्ञानिक तथ्य: सावन में साग भाजी नहीं खाने का ये तो हो गया धार्मिक दृष्टिकोण लेकिन इसके वैज्ञानिक तथ्य भी है. इसके अनुसार सावन के महीने में जब बारिश होती है तो छोटे कीटाणु पानी के कारण इन पौधों पर ऊपर आ जाते हैं. इसमें कई ऐसे विषाणु होते है जो साग पकाने के बाद भी नष्ट नहीं होते और शरीर के अंदर जाकर नुकसान पहुंचाते हैं. इसके अलावा कई ऐसे साग के पौधे है जिनकी ऊंचाई काफी कम होती है और वो पूरी तरह से बारिश के गंदे पानी में डूबी रहती है. काफी धोने के बाद वह साफ नहीं होती और इस तरह किसी भी आम आदमी को नुकसान पहुंचाती है.
शरीर में बढ़ जाती है पित्त की समस्या: सावन के मौसम में बारिश और गर्मी दोनों शरीर के मेटाबॉलिज्म को डिस्टर्ब करती है. सावन के महीने में साग खाने से शरीर में पित्त की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे डिहाइड्रेशन की समस्या पैदा हो जाती है. भोजन को पचाने और वसा को तोड़ने में पित्त की अहम भूमिका होती है, लेकिन अगर पित्त ज्यादा बढ़ जाता है तो शरीर में भोजन पचाने की प्रक्रिया घट जाती है जिसके कारण पूरी पाचन प्रक्रिया ही प्रभावित हो जाती है.
पालक में काफी मात्रा में होता है पानी: अगर पालक की बात करें तो पालक के प्रति 100 ग्राम में 91 ग्राम पानी होता है. बारिश के मौसम में कई बार यह शरीर के पाचन प्रक्रिया को प्रभावित करता है. हालांकि यह भी सही है कि इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम की प्रचुर मात्रा पाई जाती है जो शरीर के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है लेकिन फिर भी सावन के महीने में साग को खाने से मना किया जाता है.
गैस के लिए काफी लाभदायक है चौलाई: इसी तरह अगर चौलाई साग की बात करें तो यह काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. जिससे गैस की समस्या कम होती है. साथ ही किडनी फंक्शन और ब्लड प्रेशर दोनों कंट्रोल होता है. कोलेस्ट्रॉल को कम करने में यह काफी सहायक होता है लेकिन गर्म तासीर होने के नाते बदलते मौसम में इसे खाने से बचना चाहिए और यही वजह है कि सावन के महीने में इस साग को खाने से भी प्राय रोका जाता है.
सावन के महीने में साग नहीं खाने के धार्मिक और वैज्ञानिक आधार हैं लेकिन यह सभी बातें मान्यताओं के आधार पर निर्भर करता है. ETV भारत ऐसे किसी धार्मिक तथ्यों की पुष्टि नहीं करता है, साथ ही वैसे लोग जो साग खाते हैं अपने डॉक्टर के परामर्श और पकाने की उचित तरीके के साथ इसका सेवन कर सकते हैं. यह सिर्फ जानकारी आधारित है.