नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट में मनी लॉड्रिंग मामले में तिहाड़ जेल में बंद पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की अधूरी जांच के आधार पर ‘डिफ़ॉल्ट बेल’ के लिए याचिका दायर की है. इस पर न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी की अध्यक्षता वाली अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार-विमर्श करने के लिए 9 अक्टूबर को सुनवाई निर्धारित की है.
सुनवाई के दौरान सत्येंद्र जैन की ओर से पेश वकील ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने चार्जशीट पर संज्ञान लिया है, जो अधूरे तथ्यों पर आधारित है. उन्होंने कहा कि अधूरे तथ्यों के आधार पर संज्ञान लेना कानून सम्मत नहीं है. कोर्ट ने जैन के वकील को इस मामले में लिखित दलीलें दाखिल करने की अनुमति दे दी.
सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से कहा गया कि हाल में हाईकोर्ट ने इस मामले में दो सह-आरोपियों की डिफॉल्ट जमानत खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट ने ये माना कि आरोपियों के खिलाफ दाखिल चार्जशीट अधूरी है, ऐसे में आरोपियों को डिफॉल्ट जमानत पाने का हक नहीं है. ईडी ने कहा कि सत्येंद्र जैन की नियमित जमानत याचिका ट्रायल कोर्ट में अभी लंबित है.
सत्येंद्र जैन पर क्या है आरोपः जैन पर आरोप है कि उन्होंने 2009-10 और 2010-11 में फर्जी कंपनियां बनाई. इन कंपनियों में अकिंचन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, इंडो मेटल इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड, प्रयास इंफो सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, मंगलायतन प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं. इस मामले में ईडी ने सत्येंद्र जैन के अलावा जिन्हें आरोपी बनाया है उनमें उनकी पत्नी पूनम जैन, अजीत प्रसाद जैन, सुनील कुमार जैन, वैभव जैन, अंकुश जैन, मेसर्स अकिंचन डेवलपर्स प्राईवेट लिमिटेड, मेसर्स प्रयास इंफो सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, मंगलायतन प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और जेजे आइडियल इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड को आरोपी बनाया गया है.
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