दंतेवाड़ा: दंतेवाड़ा में पोटा केबिन के छात्र ने शनिवार की रात को आत्महत्या कर ली थी. अभी इस केस में जांच चल रही है. उस बीच अब यह मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है. सोमवार को इस घटना को लेकर छात्र के परिजनों और आदिवासी समाज के लोगों ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. सड़कों पर उतरकर लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया. कथित आत्महत्या के इस केस में छात्र का एक पत्र मिला है. इस पत्र में पढ़ाई में कमजोर होने की बात छात्र ने लिखी है. मृत छात्र का नाम घासीराम बरसा है. वह कुंदेली गांव का रहने वाला था और भांसी थाना स्थिति पोटा केबिन में पढ़ता था.
छात्र के हाथ में कई बातें लिखी मिली: छात्र के हाथ पर कई तरह की बातें लिखी हुई है. इसमें लिशा है कि आज के बाद शक्ल नहीं दिखाऊंगा. हाथ में ओम नम: शिवाय और हर हर महादेव भी लिखा हुआ है. इसके अलावा लिखा है कि मेरा काम पूरा नहीं हुआ मैं दोबारा इस दुनिया में नहीं आउंगा. पुलिस इस एंगल से भी जांच कर रही है. छात्र आठवीं क्लास में पढ़ाई करता था. उसने शनिवार की रात को आत्महत्या कर ली. परिवार के लोग इस केस में पुलिस प्रशासन पर तथ्यों को छिपाने का आरोप लगा रहे हैं. परिजनों का कहना है कि इस केस में पुलिस को तत्परता से जांच करनी चाहिए.
यह आत्महत्या नहीं, मर्डर है. इस केस की न्यायिक जांच होनी चाहिए. पुलिस प्रशासन ने बच्चे के शव का पंचनामा करने के वक्त भी हमें सूचित नहीं किया. हमारे किसी जन प्रतिनिधि को भी इस बारे में नहीं बताया गया. परिजनों को बिना बताए शव का पोस्टमार्टम कराया गया. हम पुलिस प्रशासन से न्याय की मांग कर रहे हैं- बच्चे के परिजन
बच्चे ने कहां आत्महत्या की इस बात की जानकारी परिवार को पुलिस प्रशासन और शाला प्रबंधन ने नहीं दी. परिवार को रात को 5:00 बजे उठकर पुलिस प्रशासन ले गया. पुलिस प्रशासन जिला प्रशासन को इतनी जल्दी क्यों की थी आनन फानन में पूरी कार्रवाई की गई. जिसका विरोध पूरे गांव वाले कर रहे हैं. पोटा केबिन अधीक्षक को बर्खास्त करना चाहिए. हम इस केस में निष्पक्ष जांच की मांग करते हैं- बल्लू राम भवानी, सदस्य, सर्व आदिवासी समाज
भांसी पुलिस को जैसे ही सूचना मिली हमने कार्रवाई की. छात्र के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया. इस केस में हर पहलू से जांच की जा रही है- सखा राम मंडावी, थाना प्रभारी, भांसी पुलिस थाना
पोटा केबिन के छात्र की आत्महत्या के केस में पुलिस प्रशासन जांच जारी रखने की बात कर रहा है. दूसरी तरफ इस केस में छात्र के परिजन और सर्व आदिवासी समाज पोटा केबिन प्रबंधन और पुलिस पर सवाल खड़े कर रहा है.