सरगुजा: बरसात के दिनों में सरगुजा में सांपों का निकलना आम बात है. सरगुजा में सांपों की बड़ी आबादी है. हर साल बारिश के मौसम में सांपों के काटने की घटनाएं सामने आते रहती हैं. सांपों से बचाव के कई तरीके भी हैं जिसके इस्तेमाल से हम उनसे दूर रह सकते हैं. पहली सावधान तो ये हैं कि हम जमीन पर नहीं सोएं. अगर संभव हो तो मच्छरदानी के भीतर सोएं. जिस कमरे में आप सोते हैं उस कमरे में अंधेरा नहीं करें. रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था रखें.
कैसे करें सांप से अपना बचाव: सरगुजा में सिर्फ 3 जहरीले प्रजातियों के सांप पाए जाते हैं. सांप के काटने पर घबराएं नहीं. जरूरी नही कि जिस सांप ने आपको काटा है वो जहरीला हो. तुरंत अस्पताल जाएं. एंटी स्नेक वेनम लगवाएं. सांप के काटने के चार् घंटे तक अगर इलाज शुरु होगा है तो डॉक्टर आपकी जान बचा लेंगे. अगर आपने देर किया तो आपकी जान को खतरा हो सकता है. सांप काटने पर ओझा गुनी के पास जाने से बचें.
धरती का नागलोक: सरगुजा संभाग के कुछ जिलों में तो सांपों की संख्या बेतहाशा है. बलरामपुर और जशपुर जिले में सांप और इंसान बेहद करीबी संपर्क में रहते हैं. मानसून के आते ही यहां सर्प दंश के मामलों में भी तेजी आ जाती है. सर्प दंश छोटे बच्चों के लिये एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि बच्चों को पता नही चलता की उनके साथ हुआ क्या है. ऐसे में परिजनों को बेहद सावधान रहने की जरूरत है.
"बच्चों में अगर थोड़ा भी डाउट है की सांप ने काटा होगा तो उसे तुरंत नजदीकी अस्पताल लेकर जाएं. कई बार छोटे बच्चे अपनी तकलीफ को समझ नही पाते और बता भी नही पाते, तो अगर बच्चा रो रहा है, या डसने के निशान हैं तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं. जंगल से सटे इलाकों में सांप मिलना आम बात है. हम लोग साल भर में तीन से चार मरीज सांप काटने के देखते हैं. अगर समय पर इलाज शुरु हो गया तो जान बच जाती है''. - डॉ. स्मिता, शिशु रोग विशेषज्ञ
''जून से सितंबर तक स्नेक बाइट के मामले बढ़ते हैं. 2022 में स्नेक बाइट के 698 मरीज हॉस्पिटल में रजिस्टर हुये थे इसमें 26 लोगों की मौत हो गई थी. मरीज देर से आते हैं ऐसे मामलों में बचना मुश्किल हो जाता है. 2023 में 385 मरीज रजिस्टर हुए जिनमें 7 की मौत हो गई. इस साल 2024 में कुल 53 मामले स्नेक बाइट के आये हैं. सभी को बचा लिया गया है. दुनिया भर में 2000 प्रकार के सांपों की प्रजाति होती है. 300 प्रजाति के सांप भारत में पाए जाते हैं. इनमें से सिर्फ 52 प्रजातियां जहरीली होती हैं. सरगुजा में सिर्फ 3 जहरीली प्रजातियां पाई जाती हैं. किंग कोबरा, वाइपर और करैत. ज्यादातर यहां करैत के काटने से ही मौत के मामले आते हैं.'' - डॉ. शैलेन्द्र गुप्ता, प्रभारी, स्नेक बाईट
सांप काटने पर क्या नहीं करें:अगर आपको लगता है कि सांप ने काट लिया है तो उसके पीछे मत दौड़ें. सांप को मारने की कोशिश भी नहीं करें. मरीज को तुरंत अस्पताल लेकर जाएं. जिस जगह पर सांप ने काटा है उस जगह पर बर्फ नहीं रगड़े नहीं लगाएं. सांप का जहर चूसकर नहीं निकालें. जहां सांप ने काटा है वहां पर कट मार्क नहीं लगाना है. मरीजो नशा भी नहीं देना है. दर्द की स्थिति हो तो सिर्फ पैरासिटामोल दें.
सांप काटने पर क्या करें: अगर किस को सांप में काटा है तो उसे सबसे पहले तो किसी आरामदायक जगह पर लिटा दें. जो भी रिंग या घड़ी है उसे हटा दें. जख्म वाली जगह पर साफ कपड़ा बांध दें. काटे वाले स्थान पर कपड़ा तभी बांंधा जाना चाहिए जब न्यूरो टॉक्सीन वाले सांप ने डसा हो. तुरंत डॉक्टर के पास मरीज को लेकर जाएं. झाड़ फूंक करने वालों के पास नहीं जाएं. मरीज को किसी भी हालत में घबराहट नहीं होनी चाहिए. अस्सी फीसदी सांप जहरीले नहीं होते हैं.