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संजीव अत्री की फिल्म को हैदराबाद में मिला राष्ट्रीय पुरस्कार, अब तक 16 फिल्मों का कर चुके निर्माण व निर्देशन - सिरमौर के संजीव अत्री

Himachal Filmmaker Sanjeev Attri, Sanjeev Attri Sirmaur: हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के रहने वाले संजीव अत्री की फिल्म 'सौधी धरती मीठा गुड़' को हैदराबाद में राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है. पढ़ें पूरी खबर...

Himachal Filmmaker Sanjeev Attri
संजीव अत्री की फिल्म को हैदराबाद में मिला राष्ट्रीय पुरस्कार
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Feb 23, 2024, 7:35 PM IST

सिरमौर: राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल टोकियों के प्रिंसीपल संजीव अत्री की फिल्म 'सौधी धरती मीठा गुड़' को राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान एवं विस्तार प्रबंधन संस्थान कृषि मंत्रालय भारत सरकार द्वारा हैदराबाद में राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है. एक बार फिर उन्होंने सिरमौर जिले का मान बढ़ाया है. कृषि मंत्रालय के मुख्य सचिव फैयाज अहमद किदवई ने संजीव अत्री को यह पुरस्कार प्रदान किया. पुरस्कार के रूप में अत्री को प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह और 50,000 रुपए का ईनाम भेंट किया गया.

दरअसल 400 फिल्मों में से 134 चयनित फिल्मों को प्रतियोगिता की श्रेणी में रखकर उसमें से 3 फिल्मों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया. कृषि व कृषि उत्पादों की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्मों को यह पुरस्कार प्रदान किए गए. बता दें कि संजीव अत्री की फिल्म सौधी धरती मीठा गुड़ भारतीय पारम्परिक मिठाई गुड़ की पारम्परिकता, इतिहास, तकनीक के साथ गुड़ की प्राथमिक स्वरूप फसलों जैसे गन्ना, खजूर और ताड़ी इत्यादि के बारे में वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करती है.

Himachal Filmmaker Sanjeev Attri
संजीव अत्री की फिल्म को हैदराबाद में मिला राष्ट्रीय पुरस्कार.

फिल्म में गुड़ के स्वास्थ्यवर्धक गुणों, वर्तमान में गुड़ व गन्ना उत्पादकों की कठिनाइयों, आर्थिक स्थिति और सरकारी नीतियों का उल्लेख है. यह फिल्म गुड़ की सांस्कृतिक महत्वता बताने के साथ-साथ गुड़ को देश की राष्ट्रीय मिठाई घोषित करने की आवाज उठाती है. फिल्म का पटकथा लेखन एवं निर्देशन संजीव अत्री ने किया है और इस फिल्म की अवधि 24 मिनट है. बता दें कि संजीव अत्री ने अभी तक 16 शैक्षणिक फिल्मों का निर्माण व निर्देशन किया है. यह सभी फिल्में उन्होंने दूरदर्शन और संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के लिए बनाई है. संजीव अत्री ने सिनेमा को विज्ञान शिक्षण का माध्यम बनाने का सफल प्रयोग किया है.

उन्होंने अपने विद्यार्थियों को शैक्षणिक फिल्म निर्माण की विद्या भी सिखाई है. अपने सेवारत विद्यालयों में बाल फिल्म क्लबों की स्थापना की. पिछले 25 वर्षों में उन्होंने विद्यालयों में 18 शैक्षणिक फिल्म उत्सवों का आयोजन किया. हिमाचल का सबसे पहला बाल फिल्म उत्सव संजीव अत्री ने 1999 में पांवटा साहिब में आयोजित किया था.

अत्री सिनेमा को शिक्षण व शिक्षा का सबसे सशक्त माध्यम मानते हैं. उन्होंने अपने गुर्जर बाहुल्य एक पूर्व विद्यालय नौरंगाबाद में भी एक मिनी सिनेमाघर स्थापित कर यहां विद्यार्थियों की संख्या दोगुनी कर दी थी. अत्री ने विद्यार्थियों के लिए 300 शैक्षणिक फिल्मों का संग्रहालय भी बनाया है, जो विभिन्न विषयों के शिक्षण के लिए प्रयोग करते हैं. उनके निर्देशन में उनके छात्रों द्वारा बनाई गई एक फिल्म को भी पहले पुरस्कार मिल चुका है.

अत्री वर्तमान में एक परियोजना पर भी कार्य कर रहे हैं, जिसमें भारतीय सिनेमा को शैक्षणिक पाठ्यक्रम में सहयोगी गतिविधि के रूप में प्रयोग करने की संभावना खोजी जा रही है. अत्री अभी तक पांच बार अंतर्राष्ट्रीय बाल फिल्म उत्सवों में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. उनका मानना है कि बच्चों का विद्यार्थियों के लिए उनकी आयु, बुद्धि और आवश्यकताओं के अनुसार सिनेमा निर्माण शिक्षा का एक सशक्त और आधुनिकतम माध्यम बनाया जा सकता है, जिसके लिए वह बाल फिल्म समिति जैसी संस्थाओं के साथ मिलकर प्रयास कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- जल्द ही मंडी के ढुंगाथर में उड़ान भरते दिखाई देंगे 'मानव परिंदे', सफल ट्रायल के बाद मिली हरी झंडी

सिरमौर: राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल टोकियों के प्रिंसीपल संजीव अत्री की फिल्म 'सौधी धरती मीठा गुड़' को राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान एवं विस्तार प्रबंधन संस्थान कृषि मंत्रालय भारत सरकार द्वारा हैदराबाद में राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है. एक बार फिर उन्होंने सिरमौर जिले का मान बढ़ाया है. कृषि मंत्रालय के मुख्य सचिव फैयाज अहमद किदवई ने संजीव अत्री को यह पुरस्कार प्रदान किया. पुरस्कार के रूप में अत्री को प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह और 50,000 रुपए का ईनाम भेंट किया गया.

दरअसल 400 फिल्मों में से 134 चयनित फिल्मों को प्रतियोगिता की श्रेणी में रखकर उसमें से 3 फिल्मों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया. कृषि व कृषि उत्पादों की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्मों को यह पुरस्कार प्रदान किए गए. बता दें कि संजीव अत्री की फिल्म सौधी धरती मीठा गुड़ भारतीय पारम्परिक मिठाई गुड़ की पारम्परिकता, इतिहास, तकनीक के साथ गुड़ की प्राथमिक स्वरूप फसलों जैसे गन्ना, खजूर और ताड़ी इत्यादि के बारे में वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करती है.

Himachal Filmmaker Sanjeev Attri
संजीव अत्री की फिल्म को हैदराबाद में मिला राष्ट्रीय पुरस्कार.

फिल्म में गुड़ के स्वास्थ्यवर्धक गुणों, वर्तमान में गुड़ व गन्ना उत्पादकों की कठिनाइयों, आर्थिक स्थिति और सरकारी नीतियों का उल्लेख है. यह फिल्म गुड़ की सांस्कृतिक महत्वता बताने के साथ-साथ गुड़ को देश की राष्ट्रीय मिठाई घोषित करने की आवाज उठाती है. फिल्म का पटकथा लेखन एवं निर्देशन संजीव अत्री ने किया है और इस फिल्म की अवधि 24 मिनट है. बता दें कि संजीव अत्री ने अभी तक 16 शैक्षणिक फिल्मों का निर्माण व निर्देशन किया है. यह सभी फिल्में उन्होंने दूरदर्शन और संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के लिए बनाई है. संजीव अत्री ने सिनेमा को विज्ञान शिक्षण का माध्यम बनाने का सफल प्रयोग किया है.

उन्होंने अपने विद्यार्थियों को शैक्षणिक फिल्म निर्माण की विद्या भी सिखाई है. अपने सेवारत विद्यालयों में बाल फिल्म क्लबों की स्थापना की. पिछले 25 वर्षों में उन्होंने विद्यालयों में 18 शैक्षणिक फिल्म उत्सवों का आयोजन किया. हिमाचल का सबसे पहला बाल फिल्म उत्सव संजीव अत्री ने 1999 में पांवटा साहिब में आयोजित किया था.

अत्री सिनेमा को शिक्षण व शिक्षा का सबसे सशक्त माध्यम मानते हैं. उन्होंने अपने गुर्जर बाहुल्य एक पूर्व विद्यालय नौरंगाबाद में भी एक मिनी सिनेमाघर स्थापित कर यहां विद्यार्थियों की संख्या दोगुनी कर दी थी. अत्री ने विद्यार्थियों के लिए 300 शैक्षणिक फिल्मों का संग्रहालय भी बनाया है, जो विभिन्न विषयों के शिक्षण के लिए प्रयोग करते हैं. उनके निर्देशन में उनके छात्रों द्वारा बनाई गई एक फिल्म को भी पहले पुरस्कार मिल चुका है.

अत्री वर्तमान में एक परियोजना पर भी कार्य कर रहे हैं, जिसमें भारतीय सिनेमा को शैक्षणिक पाठ्यक्रम में सहयोगी गतिविधि के रूप में प्रयोग करने की संभावना खोजी जा रही है. अत्री अभी तक पांच बार अंतर्राष्ट्रीय बाल फिल्म उत्सवों में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. उनका मानना है कि बच्चों का विद्यार्थियों के लिए उनकी आयु, बुद्धि और आवश्यकताओं के अनुसार सिनेमा निर्माण शिक्षा का एक सशक्त और आधुनिकतम माध्यम बनाया जा सकता है, जिसके लिए वह बाल फिल्म समिति जैसी संस्थाओं के साथ मिलकर प्रयास कर रहे हैं.

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