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जिले को यथावत रखने की मांग को लेकर सांचौर बंद, वकील भी अनिश्चितकालीन 'पेन डाउन' हड़ताल पर - Sanchore Bandh

Demand to keep Sanchore district Intact : सांचौर जिले को यथावत रखने की मांग को लेकर शनिवार को सांचौर जिला पूरी तरह से बंद है. सांचौर के अलावा जिले के छोटे-बड़े सभी कस्बों और बाजारों में भी पूरी तरह से बंद का असर देखने को मिल रहा है.

सांचौर बंद
सांचौर बंद (ETV Bharat sanchore)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 28, 2024, 12:10 PM IST

सांचौर : सांचौर जिला बचाओ संघर्ष समिति की ओर से सांचौर जिले को यथावत रखने की मांग को लेकर चलाए जा रहे अनिश्चितकालीन अनशन और हड़ताल का असर जिले के विभिन्न हिस्सों में गहराता जा रहा है. समिति के आह्वान पर शनिवार को सांचौर जिला पूरी तरह से बंद है. बंद के चलते निजी और सरकारी स्कूलों, महाविद्यालयों, प्राइवेट हॉस्पिटलों और डॉक्टरों की हड़ताल ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है. इस हड़ताल के कारण प्राइवेट चिकित्सा सेवाएं पूरी तरह से ठप हो चुकी हैं. इसके साथ ही जिला बार एसोसिएशन के सभी अधिवक्ताओं ने भी अनिश्चितकालीन पेन डाउन हड़ताल का ऐलान किया है, जिसके चलते न्यायिक कार्य प्रभावित हो रहे हैं.

सभी कस्बों और बाजारों में बंद : सांचौर के अलावा जिले के छोटे-बड़े सभी कस्बों और बाजारों में भी पूरी तरह से बंद का असर देखने को मिल रहा है. निजी स्कूलों ने छुट्टी की घोषणा की है, जबकि सरकारी स्कूलों के छात्र स्कूलों के मुख्य गेट पर ताला लगाकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. धरने के दौरान पूर्व मंत्री सुखराम बिश्नोई समेत कई अन्य नेता और सामाजिक कार्यकर्ता भी कलेक्ट्रेट के बाहर जिला यथावत रखने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. यह धरना अब चौथे दिन में प्रवेश कर चुका है. सुखराम बिश्नोई की तबीयत में लगातार गिरावट हो रही है और डॉक्टरों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी है. हालांकि, उन्होंने धरना स्थल से हटने से इनकार कर दिया है, जिससे उनके समर्थकों में चिंता बढ़ रही है.

मांग को लेकर सांचौर बंद (वीडियो ईटीवी भारत)

पढ़ें. मदन राठौड़ को पूर्व मंत्री सुखराम विश्नोई का जवाब, कहा- सांचौर जिले से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं

प्रशासन और पुलिस का कड़ा सुरक्षा इंतजाम : बाजार बंद और धरना प्रदर्शन के चलते जिले के प्रशासन और पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं. जिला प्रशासन स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है और किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचने के लिए सतर्क है. संघर्ष समिति ने स्पष्ट कर दिया है कि सांचौर जिले को यथावत रखने की अपनी मांग को लेकर अनशन और हड़ताल जारी रहेगा और वे तब तक संघर्ष करते रहेंगे, जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती.

सांचौर : सांचौर जिला बचाओ संघर्ष समिति की ओर से सांचौर जिले को यथावत रखने की मांग को लेकर चलाए जा रहे अनिश्चितकालीन अनशन और हड़ताल का असर जिले के विभिन्न हिस्सों में गहराता जा रहा है. समिति के आह्वान पर शनिवार को सांचौर जिला पूरी तरह से बंद है. बंद के चलते निजी और सरकारी स्कूलों, महाविद्यालयों, प्राइवेट हॉस्पिटलों और डॉक्टरों की हड़ताल ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है. इस हड़ताल के कारण प्राइवेट चिकित्सा सेवाएं पूरी तरह से ठप हो चुकी हैं. इसके साथ ही जिला बार एसोसिएशन के सभी अधिवक्ताओं ने भी अनिश्चितकालीन पेन डाउन हड़ताल का ऐलान किया है, जिसके चलते न्यायिक कार्य प्रभावित हो रहे हैं.

सभी कस्बों और बाजारों में बंद : सांचौर के अलावा जिले के छोटे-बड़े सभी कस्बों और बाजारों में भी पूरी तरह से बंद का असर देखने को मिल रहा है. निजी स्कूलों ने छुट्टी की घोषणा की है, जबकि सरकारी स्कूलों के छात्र स्कूलों के मुख्य गेट पर ताला लगाकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. धरने के दौरान पूर्व मंत्री सुखराम बिश्नोई समेत कई अन्य नेता और सामाजिक कार्यकर्ता भी कलेक्ट्रेट के बाहर जिला यथावत रखने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. यह धरना अब चौथे दिन में प्रवेश कर चुका है. सुखराम बिश्नोई की तबीयत में लगातार गिरावट हो रही है और डॉक्टरों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी है. हालांकि, उन्होंने धरना स्थल से हटने से इनकार कर दिया है, जिससे उनके समर्थकों में चिंता बढ़ रही है.

मांग को लेकर सांचौर बंद (वीडियो ईटीवी भारत)

पढ़ें. मदन राठौड़ को पूर्व मंत्री सुखराम विश्नोई का जवाब, कहा- सांचौर जिले से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं

प्रशासन और पुलिस का कड़ा सुरक्षा इंतजाम : बाजार बंद और धरना प्रदर्शन के चलते जिले के प्रशासन और पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं. जिला प्रशासन स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है और किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचने के लिए सतर्क है. संघर्ष समिति ने स्पष्ट कर दिया है कि सांचौर जिले को यथावत रखने की अपनी मांग को लेकर अनशन और हड़ताल जारी रहेगा और वे तब तक संघर्ष करते रहेंगे, जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती.

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