देहरादून: उत्तराखंड की राजनीति में दो बातें ब्यूरोक्रेसी को लेकर बेहद आम रही हैं. पहली ब्यूरोक्रेसी का सरकार पर हावी रहना और दूसरा ब्यूरोक्रेसी के खिलाफ सदन या बाहर विधायक या मंत्रियों का खुलकर बयान देना. हाल ही में हुए बजट सत्र के दौरान भी पक्ष और विपक्ष दोनों ही दलों के नेताओं ने ब्यूरोक्रेसी पर जमकर हल्ला बोला. लेकिन इस बीच अब ब्यूरोक्रेसी ने मौके पर ऐसा चौका मारा है, जिसका विधायकों या जनप्रतिनिधियों के पास कोई जवाब नहीं है.
आईएएस एसोसिएशन ने लिखी पाती: उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र में इस बार न केवल विपक्ष के विधायकों ने अधिकारियों पर तीखी टिप्पणियां की, बल्कि सत्ताधारी विधायक भी इस मामले में विपक्ष के साथ खड़े दिखाई दिए. उधर प्रदेश में सल्ट विधायक महेश जीना के प्रकरण पर सरकार ने जांच के आदेश भी दिए और विधायक पर मुकदमा भी दर्ज कर दिया. खास बात यह है कि इस पूरे प्रकरण के कारण पहले से ही विधायकी और ब्यूरोक्रेसी के बीच चली आ रही दूरी अब खाई में तब्दील होती दिखेगी. जबकि इसकी सबसे बड़ी वजह बनेगा आईएएस एसोसिएशन का वो पत्र जो जनप्रतिनिधियों को उनकी जिम्मेदारियां याद दिला रहा है.
विधानसभा में उठ चुका है मुद्दा: इतना ही नहीं विधानसभा अध्यक्ष ने बेहद कड़े शब्दों में अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों का सम्मान करने की भी बात कही थी. लेकिन इन स्थितियों के बीच अब ब्यूरोक्रेसी ने इस बात को पकड़ते हुए अफसरों के सम्मान के मुद्दे को भी उठा दिया है. संगठन के अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे एसीएस आनंद वर्धन के नेतृत्व में मुख्यमंत्री को भेजी गई चिट्ठी में साफ कहा गया है कि जनप्रतिनिधि जैसे खुद के सम्मान की बात लिखते हैं, इस तरह उन्हें भी अधिकारियों के सम्मान का ख्याल रखना होगा.
ब्यूरोक्रेसी हावी रहने पर जताई चिंता: बड़ी बात यह है कि इस मामले में मुकदमा हो चुका है और पुलिस अभी जांच ही कर रही है कि आईएएस संगठन ने अपनी चिट्ठी में विधायक महेश सिंह को पूरी तरह दोषी करार देते हुए विधायक द्वारा अपने निजी व्यक्तियों के लिए टेंडर हेतु दबाव बनाने की बात भी लिखी है. संगठन की इस चिट्ठी के सामने आने के बाद भाजपा के कई नेताओं में आईएएस संगठन के खिलाफ नाराजगी भी दिखाई दी है. हालांकि मामला भाजपा के विधायक का है तो कांग्रेस इस मामले में राजनीतिक लाभ लेते हुए भाजपा विधायकों को कोस रही है. लेकिन हकीकत यह भी है कि पार्टी के नेता ब्यूरोक्रेसी के हावी रहने पर भी अपनी चिंता जताते रहे हैं.
वैसे तो सभी लोगों को एक दूसरे का सम्मान करना ही चाहिए. लेकिन इस मामले में आईएएस संगठन को इस तरह बीच में आने की आवश्यकता नहीं है और जांच से पहले ही किसी को दोषी ठहराने की प्रवृत्ति भी ठीक नहीं है. देवेंद्र भसीन, भाजपा नेता
ब्यूरोक्रेसी और विधायकी के बीच का यह तनाव मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी नहीं संतुलित कर पा रहे हैं और लगातार ब्यूरोक्रेसी सरकार इसी रवैये के कारण हावी होती जा रही है. शीशपाल बिष्ट, कांग्रेस प्रवक्ता
यह बात सही है कि सम्मान सभी का होना चाहिए, लेकिन विधायक और अफसर अपना-अपना सम्मान करवाने के चक्कर में जनता के सम्मान को भूल जाते हैं. यदि जनता के काम के लिए भी इतनी ही गंभीरता अधिकारी और विधायक सभी मामलों में दिखाएं तो सरकारी सिस्टम की तस्वीर ही बदल जाएगी.
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