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काशी में 51 शक्तिपीठों के साधु-संतों का समागम, विदेशों में स्थापित शक्तिपीठों की स्थिति पर जताई चिंता, सरकार से हस्तक्षेप की मांग - CONGREGATION OF 51 SHAKTI PEETHAS

51 शक्तिपीठ और द्वादश ज्योतिर्लिंगों का दो दिवसीय समागम संपन्न, बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका में मौजूद शक्तिपीठों और ज्योतिर्लिंगों के पुनरुद्धार पर मंथन

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51 शक्तिपीठ और द्वादश ज्योतिर्लिंगों का दो दिवसीय समागम (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 1, 2024, 9:35 PM IST

वाराणसी: काशी विश्वनाथ की धरती पर 51 शक्तिपीठ और द्वादश ज्योतिर्लिंगों का दो दिवसीय समागम का भव्य समापन हो गया. दो दिनों तक चले इस समागन में सभी शक्तिपीठों के पीठाधीश्वर, अर्चक, महंत और आचार्य शामिल हुए. आयोजन में मुख्य रूप से बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका में मौजूद शक्तिपीठों और ज्योतिर्लिंगों के पुनरुद्धार और उसके विकास पर मंथन हुआ. साथ ही यहां निवास करने वाले सनातन धर्मियों की सुरक्षा के लिए भारत सरकार से चर्चा करने पर भी मंथन हुआ. इसके साथ ही अब हर साल इस तरह का आयोजन द्वादश ज्योतिर्लिंगों और 51 शक्तिपीठों में से किसी एक स्थान पर करने का भी निर्णय लिया गया है. 2 दिनों तक चल मंथन में 51 में से 44 शक्तिपीठों के साथ ही 11 द्वादश ज्योतिर्लिंगों के प्रतिनिधि और संत महंतों ने हिस्सा लिया.

मां सती के सभी 51 शक्तिपीठों और द्वादश ज्योतिर्लिंगों का समागम सिगरा स्थित रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में हुआ. शक्तिपीठ महासभा समागम आयोजन समिति के मार्गदर्शक प्रशांत हड़ताडकर ने कहा कि, अखंड भारत की पुनर्स्थापना का निर्णय लिया गया. उन्होंने कहा कि हमारे शक्तिपीठ अखंड भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं. वहीं राम मंदिर न्यास के महामंत्री चंपत राय ने कहा कि, शक्तिपीठों के माध्यम से पूरे देश में सनातन धर्म का प्रचार प्रसार तेजी से किया जाएगा. समापन के अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार के कल्याण मंत्री असीम अरुण ने कहा कि, काशी विश्वनाथ की नगरी में 51 शक्तिपीठों और द्वादश ज्योतिर्लिंगों के महासमागम के अवसर पर देश और विदेश के संत, आचार्य और पीठाधीश्वर एक साथ समागम में आने का अवसर मिला.

काशी में संत समागम (Video Credit; ETV Bharat)

यूपी की शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने कहा कि सेंटर फॉर सनातन रिसर्च और ट्रिडेंट सेवा समिति ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. रमन त्रिपाठी के प्रयासों का ये फल है कि काशी की भूमि पर दो दिवसीय महा समागम का कार्यक्रम चल रहा है. देश में वसुदेव कुटुंबकम के तहत ये कार्यक्रम सफल है. काशी धर्म और आस्था के प्रतीक का केंद्र है. देश और प्रदेश में मंदिर से जुड़े धर्म और आस्था, बुद्धि विवेक देने वाले मंदिर ही होते हैं.

मां विंध्यवासिनी मंदिर के प्रधान पुजारी अगस्त द्विवेदी ने कहा कि, इस महा समागम कार्यक्रम में शक्तिपीठ सामाजिक सुधार किया केंद्र हैं. यहां लोगों को समानता और बंधुता का संदेश मिलता है. शक्तिपीठ देवी और शिव का एक एकीकरण है. शिव पार्वती के मंगल मिलन का प्रतीक है. शक्तिपीठ आध्यात्मिक एकता के प्रतीक हैं.

सेंटर फॉर सनातन रिसर्च के वरिष्ठ कार्यकर्ता सुरेश हावड़े ने कहा कि, मंदिर समाज का केंद्र है, मंदिर की ओर से ब्लड डोनेशन, अन्न दान प्रबंधन आदि होना चाहिए. इसके साथ ही रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना कार्यक्रम में अमित श्रीवास्तव ने एक भव्य नित्य सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया. इसके अलावा कन्याओं ने मां सती के रूप का एक नाटक का भव्य मंचन किया गया जिसको साधु संतों ने सराहा.

ये शक्तिपीठ हैं भारत के बाहर

वाराणसी: काशी विश्वनाथ की धरती पर 51 शक्तिपीठ और द्वादश ज्योतिर्लिंगों का दो दिवसीय समागम का भव्य समापन हो गया. दो दिनों तक चले इस समागन में सभी शक्तिपीठों के पीठाधीश्वर, अर्चक, महंत और आचार्य शामिल हुए. आयोजन में मुख्य रूप से बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका में मौजूद शक्तिपीठों और ज्योतिर्लिंगों के पुनरुद्धार और उसके विकास पर मंथन हुआ. साथ ही यहां निवास करने वाले सनातन धर्मियों की सुरक्षा के लिए भारत सरकार से चर्चा करने पर भी मंथन हुआ. इसके साथ ही अब हर साल इस तरह का आयोजन द्वादश ज्योतिर्लिंगों और 51 शक्तिपीठों में से किसी एक स्थान पर करने का भी निर्णय लिया गया है. 2 दिनों तक चल मंथन में 51 में से 44 शक्तिपीठों के साथ ही 11 द्वादश ज्योतिर्लिंगों के प्रतिनिधि और संत महंतों ने हिस्सा लिया.

मां सती के सभी 51 शक्तिपीठों और द्वादश ज्योतिर्लिंगों का समागम सिगरा स्थित रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में हुआ. शक्तिपीठ महासभा समागम आयोजन समिति के मार्गदर्शक प्रशांत हड़ताडकर ने कहा कि, अखंड भारत की पुनर्स्थापना का निर्णय लिया गया. उन्होंने कहा कि हमारे शक्तिपीठ अखंड भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं. वहीं राम मंदिर न्यास के महामंत्री चंपत राय ने कहा कि, शक्तिपीठों के माध्यम से पूरे देश में सनातन धर्म का प्रचार प्रसार तेजी से किया जाएगा. समापन के अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार के कल्याण मंत्री असीम अरुण ने कहा कि, काशी विश्वनाथ की नगरी में 51 शक्तिपीठों और द्वादश ज्योतिर्लिंगों के महासमागम के अवसर पर देश और विदेश के संत, आचार्य और पीठाधीश्वर एक साथ समागम में आने का अवसर मिला.

काशी में संत समागम (Video Credit; ETV Bharat)

यूपी की शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने कहा कि सेंटर फॉर सनातन रिसर्च और ट्रिडेंट सेवा समिति ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. रमन त्रिपाठी के प्रयासों का ये फल है कि काशी की भूमि पर दो दिवसीय महा समागम का कार्यक्रम चल रहा है. देश में वसुदेव कुटुंबकम के तहत ये कार्यक्रम सफल है. काशी धर्म और आस्था के प्रतीक का केंद्र है. देश और प्रदेश में मंदिर से जुड़े धर्म और आस्था, बुद्धि विवेक देने वाले मंदिर ही होते हैं.

मां विंध्यवासिनी मंदिर के प्रधान पुजारी अगस्त द्विवेदी ने कहा कि, इस महा समागम कार्यक्रम में शक्तिपीठ सामाजिक सुधार किया केंद्र हैं. यहां लोगों को समानता और बंधुता का संदेश मिलता है. शक्तिपीठ देवी और शिव का एक एकीकरण है. शिव पार्वती के मंगल मिलन का प्रतीक है. शक्तिपीठ आध्यात्मिक एकता के प्रतीक हैं.

सेंटर फॉर सनातन रिसर्च के वरिष्ठ कार्यकर्ता सुरेश हावड़े ने कहा कि, मंदिर समाज का केंद्र है, मंदिर की ओर से ब्लड डोनेशन, अन्न दान प्रबंधन आदि होना चाहिए. इसके साथ ही रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना कार्यक्रम में अमित श्रीवास्तव ने एक भव्य नित्य सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया. इसके अलावा कन्याओं ने मां सती के रूप का एक नाटक का भव्य मंचन किया गया जिसको साधु संतों ने सराहा.

ये शक्तिपीठ हैं भारत के बाहर

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