सागर. देश के दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश के सागर जिले को टाइगर रिजर्व के बाद वन्यजीवों से जुड़ी बड़ी सौगात मिल सकती है. दरअसल, सागर की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए वन विभाग सागर में प्रदेश का सबसे बड़ा वन्यप्राणी बचाव और पुनर्वास केंद्र बनाना चाह रहा है, जिसमें जानवरों के बचाव के साथ-साथ उनके पुनर्वास के लिए प्रयास किया जा सके. फिलहाल, मध्यप्रदेश में वन्यप्राणी के बचाव और पुनर्वास के लिए अलग से कोई केंद्र नहीं है. अगर प्रदेश के बीचोंबीच राज्य स्तरीय बचाव और पुनर्वास केंद्र बनता है, तो ये वन्यप्राणियों के लिहाज से बड़ी उपलब्धि होगी.
टाइगर रिजर्व बनने के बाद नई पहल
दरअसल, 20 सितम्बर 2023 को सागर, दमोह और नरसिंहपुर जिले में स्थित नौरादेही वन्य जीव अभ्यारण्य और दमोह के रानी दुर्गावती वन्यजीव अभ्यारण्य को मिलाकर रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व बनाया गया है. ये देश का सातवां और सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व है. करीब 1221 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैले इस टाइगर रिजर्व में फिलहाल 19 बाघ और दूसरे वन्यप्राणी भारी संख्या में हैं. हाल ही में बने टाइगर रिजर्व में व्यवस्थाएं जुटाना का काम फिलहाल जारी है.
बचाव व पुनर्वास केंद्र के लिए भेजा प्रस्ताव
टाइगर रिजर्व बनने के बाद वन्यजीवों के इलाज, बचाव और पुनर्वास जैसे कार्यों के लिए एक बचाव और पुनर्वास केंद्र की स्थापना भी जरूरत महसूस हो रही है। ऐसे में यहां पर टाइगर रिजर्व के बाद अब राज्य स्तरीय वन्यजीव बचाव और पुनर्वास केंद्र स्थापित करने की तैयारी चल रही है. इसी कड़ी में सागर वनविभाग ने वनविभाग मुख्यालय के लिए प्रस्ताव भेजा है.
क्यों सागर है महत्वपूर्ण केंद्र?
जहां तक राज्य स्तरीय वन्यप्राणी बचाव और पुनर्वास केंद्र की सागर में स्थापना की बात है, तो सबसे पहले सागर अपनी भौगोलिक स्थिति की वजह से मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि मध्यभारत के लिहाज से महत्वपूर्ण केंद्र माना जा रहा है। सागर में बचाव और पुनर्वास केंद्र बनने के बाद वन्यप्राणियों का रेसक्यू और रीहैब के लिए आसानी से मूवमेंट किया जा सकेगा. क्योकिं सागर मध्यप्रदेश के बीचोंबीच स्थित है और सड़क मार्ग के जरिए प्रदेश ही नहीं देश के चारों कोनों से जुड़ा हुआ है. इसके अलावा सागर में राज्य स्तरीय फोरेंसिंक साइंस लेबोरेटरी के अलावा मध्यप्रदेश की इकलौती डीएनए लैब भी स्थापित है.
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क्या कहते हैं जानकार?
रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डाॅ. एए अंसारी का कहना है, 'टाइगर रिजर्व के लिए एक अलग से वेटनरी डाॅक्टर की जरूरत होती है, जिसके बारे में यहां से पत्राचार हो चुका है. आगामी एक दो महीने में यहां पर एक अलग से फील्ड वेटनरी डाॅक्टर की पदस्थापना हो जाएगी. इसके अलावा हम यहां पर राज्य स्तरीय वन्यजीव बचाव और पुनर्वास केंद्र की स्थापना के लिए प्रयास कर रहे हैं. इसके संबंध में हमने राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा है. क्योंकि सागर की भौगौलिक स्थिति ऐसी है कि प्रदेश ही नहीं देश के बीचोंबीच बसा हुआ है। यहां पर राज्य स्तरीय फोरेन्सिक साइंस लेबोरेटरी भी है, जो हमारे लिए अच्छा रहेगा.'