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बाज निगाह से आसमान से हाइवे की पहरेदारी, मध्य प्रदेश में चलेगा मोदी सरकार के ड्रोन का जोर

केंद्र सरकार ने सड़कों की निगरानी के लिए तकनीक का सहारा लिया है. ड्रोन से नेशनल हाईवे की निगरानी होगी. मध्य प्रदेश में जल्द सर्वे.

Drone Analytics Monitoring System
ड्रोन से सड़कों की निगरानी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 2 hours ago

Updated : 2 hours ago

सागर: पूरे देश में तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर डेवल्पमेंट के काम चल रहे हैं. जिनमें सबसे बडे़ पैमाने पर नेशनल हाइवे, एक्सप्रेस हाइवे, ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे और सिक्स लेन निर्माण के कार्य तेजी से चल रहे हैं. उच्च गुणवत्ता की सड़कें बन रही है और इन सड़कों की निगरानी के लिए अब केंद्र सरकार तीसरी आंख का सहारा लेने जा रही है. दरअसल केंद्र सरकार ने नेशनल हाइवे की निगरानी करने के लिए ड्रोन एनालिटिक्स मॉनिटरिंग सिस्टम (डीएएमएस) व्यवस्था लागू कर दी है. इस व्यवस्था के तहत नेशनल हाइवे के रखरखाव, मरम्मत, दुर्घटना जैसे तमाम पहलुओं पर नजर रखी जाएगी. हर साल दो बार डीएएमएस प्रणाली से नेशनल हाइवे का सर्वे किया जाएगा. फील्ड आफीसर और प्रोजेक्ट आफीसर इसकी निगरानी करेंगे.

केंद्र सरकार के सड़क परिवहन मंत्रालय ने लागू की व्यवस्था
केंद्र सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने ड्रोन एनालिटिक्स मॉनिटरिंग सिस्टम (डीएएमएस) को एक अक्टूबर 2024 से लागू कर दिया है. जिसके तहत पूरे देश के नेशनल हाइवे का सर्वे साल में दो बार यानि हर छह महीने में किया जाएगा. इस व्यवस्था के तहत अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग समय पर ड्रोन एनालिटिक्स मानीटरिंग सिस्टम (डीएएमएस) से सर्वे होगा. वैसे तो कई स्तर पर ये सर्वे होगा और डीएएमएस प्रणाली से कई तरह का डेटा जुटाया जाएगा. लेकिन केंद्र सरकार इसका निर्माण, रखरखाव, सड़क दुर्घटना, यातायात बाधाओं जैसे कई मामलों में उपयोग करना चाहती है. देश के कई राज्यों के लिए सर्वे का समय भी तय कर दिया गया है. इसके तहत उत्तरप्रदेश में अप्रैल, बिहार में फरवरी, झारखंड में अगस्त और उत्तराखंड में अक्टूबर में सर्वे होगा.

DAMS at National Highways
ड्रोन से रखी जाएगी हर गतिविधि पर पैनी नजर (Facebook Image)

किस तरह काम करेगा ड्रोन एनालिटिक्स मानीटरिंग सिस्टम
इस काम के लिए एनएचएआई ने ड्रोन सर्वे करने वाली एंजेसियों को सूचीबद्ध कर लिया है. ड्रोन एनालिटिक्स मानीटरिंग सिस्टम के तहत ड्रोन द्वारा लिए गए फोटो, वीडियो और डाटा का विश्लेषण विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है. इस व्यवस्था के तहत ड्रोन के जरिए नेशनल हाइवे के निर्माण, गड्ढों, दरारों, बारिश से होने वाले नुकसान, लेन मार्किंग की स्थिति, टूटी चारदीवारी, अवैध एंट्री और एग्जिट, अतिक्रमण और जलभराव के कारणों के अलावा कई सारे बिंदुओं पर सर्वे किया जाएगा. इस सर्वे के तहत फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी होगी. इसके अलावा कई तरह के डाटा भी ड्रोन जुटाएगा.

DAMS at National Highways
नेशनल हाइवे पर पीएम मोदी की तीसरी आंख रखेगी नजर (Facebook Image)

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कैसे होगी निगरानी
योजना को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए फील्ड ऑफिसर और प्रोजेक्ट डायरेक्टर की जिम्मेदारी तय की गयी है. ड्रोन द्वारा फोटो, वीडियो और डाटा उपलब्ध होने के बाद एनएचएआई के सहायक इंजीनियर सर्वे की प्रणाणिकता की पुष्टि का काम करेंगे. इस जानकारी को एनएचएआई की बेवसाइट पर अपलोड किया जाएगा. फील्ड ऑफिसर और प्रोजेक्ट डायरेक्टर के अलावा विभाग के मुख्यालय पर पदस्थ तकनीकी और उच्च अधिकारी सर्वे के आधार पर निर्माण एंजेसियों को निर्देश देने के साथ दंड का भी प्रावधान करेंगे. खास बात ये है कि इस प्रणाली से लिए गए रिकार्ड का अदालती कार्यवाही में भी विभाग उपयोग करेगा.

सागर: पूरे देश में तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर डेवल्पमेंट के काम चल रहे हैं. जिनमें सबसे बडे़ पैमाने पर नेशनल हाइवे, एक्सप्रेस हाइवे, ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे और सिक्स लेन निर्माण के कार्य तेजी से चल रहे हैं. उच्च गुणवत्ता की सड़कें बन रही है और इन सड़कों की निगरानी के लिए अब केंद्र सरकार तीसरी आंख का सहारा लेने जा रही है. दरअसल केंद्र सरकार ने नेशनल हाइवे की निगरानी करने के लिए ड्रोन एनालिटिक्स मॉनिटरिंग सिस्टम (डीएएमएस) व्यवस्था लागू कर दी है. इस व्यवस्था के तहत नेशनल हाइवे के रखरखाव, मरम्मत, दुर्घटना जैसे तमाम पहलुओं पर नजर रखी जाएगी. हर साल दो बार डीएएमएस प्रणाली से नेशनल हाइवे का सर्वे किया जाएगा. फील्ड आफीसर और प्रोजेक्ट आफीसर इसकी निगरानी करेंगे.

केंद्र सरकार के सड़क परिवहन मंत्रालय ने लागू की व्यवस्था
केंद्र सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने ड्रोन एनालिटिक्स मॉनिटरिंग सिस्टम (डीएएमएस) को एक अक्टूबर 2024 से लागू कर दिया है. जिसके तहत पूरे देश के नेशनल हाइवे का सर्वे साल में दो बार यानि हर छह महीने में किया जाएगा. इस व्यवस्था के तहत अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग समय पर ड्रोन एनालिटिक्स मानीटरिंग सिस्टम (डीएएमएस) से सर्वे होगा. वैसे तो कई स्तर पर ये सर्वे होगा और डीएएमएस प्रणाली से कई तरह का डेटा जुटाया जाएगा. लेकिन केंद्र सरकार इसका निर्माण, रखरखाव, सड़क दुर्घटना, यातायात बाधाओं जैसे कई मामलों में उपयोग करना चाहती है. देश के कई राज्यों के लिए सर्वे का समय भी तय कर दिया गया है. इसके तहत उत्तरप्रदेश में अप्रैल, बिहार में फरवरी, झारखंड में अगस्त और उत्तराखंड में अक्टूबर में सर्वे होगा.

DAMS at National Highways
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किस तरह काम करेगा ड्रोन एनालिटिक्स मानीटरिंग सिस्टम
इस काम के लिए एनएचएआई ने ड्रोन सर्वे करने वाली एंजेसियों को सूचीबद्ध कर लिया है. ड्रोन एनालिटिक्स मानीटरिंग सिस्टम के तहत ड्रोन द्वारा लिए गए फोटो, वीडियो और डाटा का विश्लेषण विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है. इस व्यवस्था के तहत ड्रोन के जरिए नेशनल हाइवे के निर्माण, गड्ढों, दरारों, बारिश से होने वाले नुकसान, लेन मार्किंग की स्थिति, टूटी चारदीवारी, अवैध एंट्री और एग्जिट, अतिक्रमण और जलभराव के कारणों के अलावा कई सारे बिंदुओं पर सर्वे किया जाएगा. इस सर्वे के तहत फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी होगी. इसके अलावा कई तरह के डाटा भी ड्रोन जुटाएगा.

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नेशनल हाइवे पर पीएम मोदी की तीसरी आंख रखेगी नजर (Facebook Image)

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योजना को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए फील्ड ऑफिसर और प्रोजेक्ट डायरेक्टर की जिम्मेदारी तय की गयी है. ड्रोन द्वारा फोटो, वीडियो और डाटा उपलब्ध होने के बाद एनएचएआई के सहायक इंजीनियर सर्वे की प्रणाणिकता की पुष्टि का काम करेंगे. इस जानकारी को एनएचएआई की बेवसाइट पर अपलोड किया जाएगा. फील्ड ऑफिसर और प्रोजेक्ट डायरेक्टर के अलावा विभाग के मुख्यालय पर पदस्थ तकनीकी और उच्च अधिकारी सर्वे के आधार पर निर्माण एंजेसियों को निर्देश देने के साथ दंड का भी प्रावधान करेंगे. खास बात ये है कि इस प्रणाली से लिए गए रिकार्ड का अदालती कार्यवाही में भी विभाग उपयोग करेगा.

Last Updated : 2 hours ago
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