सागर: किसानों को आधुनिक खेती के लिए सलाह और मार्गदर्शन के लिए देश भर में 731 कृषि विज्ञान केंद्र स्थापित किए गए हैं. जिनमें कृषि वैज्ञानिक किसानों को उन्नत खेती के लिए सलाह और मार्गदर्शन देते हैं और एक तरह से सरकार और किसानों के बीच सेतु का काम करते हैं. अगस्त 2024 में केंद्र सरकार द्वारा एक आदेश जारी कर इनकी रिटायरमेंट की आयुसीमा कम कर दी गई है. वहीं कई तरह के भत्ते और सुविधाओं में भी कटौती कर दी गई है. इसी बात से नाराज होकर देश भर के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक और कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं.
क्या नुकसान होगा कृषि वैज्ञानिकों को
कृषि वैज्ञानिक आशीष त्रिपाठी बताते हैं कि "देश भर में 731 कृषि विज्ञान केंद्र संचालित हैं. इन सभी कृषि विज्ञान केंद्र के लिए भारत सरकार द्वारा आईसीएआर को बजट दिया जाता है, लेकिन अगस्त 2024 में आईसीएआर ने एक पत्र जारी किया था जिसमें कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक और कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु घटाकर 60 कर दी गई और पेंशन से संबंधित सारे भत्तों में कटौती कर दी गई. इसके अलावा ग्रेजुएटी और लीव इनकेशमेंट में भी कटौती की गई. इसकी वजह से हाल ही में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को ना पेंशन मिलेगी और ना ही उनको ग्रेजुएटी मिलेगी. इन सभी मांगों को लेकर हड़ताल की है."
कर्मचारियों ने की है ये मांग
कृषि वैज्ञानिक डाॅ आशीष त्रिपाठी ने बताया कि "अगस्त 2024 के आदेश को वापस लिया जाए. इस आदेश के खिलाफ पिछले महीने जबलपुर के अटारी में आईसीएआर में प्रदर्शन किया था. गुरुवार को पूरे देश में कृषि विज्ञान केंद्र के समस्त वैज्ञानिक और कर्मचारी कलमबंद हड़ताल पर हैं. सरकार से हम मांग करते हैं कि इन केंद्रों से किसानों का जीवंत संपर्क है."हर साल 10 से 12 हजार किसान हमारे संपर्क में आते हैं, जिन्हें हम तकनीकी मार्गदर्शन देते है.
'लोकसभा के सामने करेंगे प्रदर्शन'
आईसीएआर की यदि इस प्रकार की नीतियां रहेंगी तो निश्चित रूप से कृषि विकास में गतिरोध पैदा होगा और किसानों को नुकसान होगा. पूरे देश के 70 सांसदों ने कृषि मंत्री को पत्र लिखे हैं. हमारी भी कृषि मंत्री शिवराज सिंह से मांग है कि उस आदेश को वापस लिया जाए. मांगे पूरी नहीं होने पर आईसीएआर और लोकसभा के सामने प्रदर्शन करेंगे."
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बैतूल में भी कृषि वैज्ञानिकों ने की हड़ताल
बैतूल में कृषि विज्ञान केन्द्र के कृषि वैज्ञानिकों और कमर्चारियों को 4 माह से वेतन नहीं मिलने और भत्तों में कटौती करने सहित अन्य मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए हैं. वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ वी के वर्मा ने बताया कि "पिछले 4 महीने से कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों और कर्मचारियों का वेतन रुका हुआ है. वहीं उनके वेतन भत्तों में कटौती की जा रही है. जबकि कई कृषि विज्ञान केंद्र के कर्मचारियों को सेवा देते हुए 20 साल से अधिक समय हो चुका है. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के अंतरिम राहत के आदेश की भी अनदेखी की जा रही है."