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सामंती सोच ने ली 3 लोगों की जान, सागर हत्याकांड में फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का बड़ा खुलासा, जानिए सब-कुछ - Sagar Barodiya Nainagir murder case

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 12, 2024, 6:14 PM IST

सागर जिले के बरोदिया नौनागिर गांव में हुई 3 हत्याओं को लेकर स्वतंत्र जांच कर रही फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने बड़े खुलासे किए हैं. कमेटी ने बताया कि जिस दिन पहले युवक की हत्या हुई थी उसी दिन युवक की मां को निर्वस्त्र भी किया गया था. साथ ही कमेटी ने पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं.

SAGAR BARODIYA NAINAGIR MURDER CASE
सागर हत्याकांड में हुआ बड़ा खुलासा (Etv Bharat)

भोपाल। सागर के खुरई में 24 अगस्त 2023 को दलित समाज के एक युवक की हत्या कर दी गई थी. इसके बाद 25 मई 2024 को इस मामले में दबंगों से समझौता नहीं करने पर मृतक युवक के चाचा की भी हत्या कर दी गई. वहीं चाचा का शव भोपाल से खुरई ले जाते समय 27 मई 2024 को युवक के बहन की एंबुलेंस से गिरने की वजह से संदेहास्पद स्थिति में मृत्यु हो जाती है. इस मामले की स्वतंत्र जांच कर रही फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के सदस्यों का आरोप है कि ये तीनों हत्याएं दबंग और दलितों के बीच चल रही सामंती सोच का नतीजा है, लेकिन राजनीतिक संरक्षण के कारण दबंगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है. अभी भी अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं.

सागर हत्याकांड में हुआ बड़ा खुलासा (ETV Bharat)

इसलिए पुलिस की जांच पर उठ रहे हैं सवाल

दरअसल, खुरई के बरौदिया नैनागिर में लंबे समय से दबंगों और दलित परिवारों के बीच संघर्ष चल रहा है. फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की माधुरी का आरोप है कि यहां के दबंग लोग दलितों से जबरदस्ती खेतों में काम कराते हैं और उन्हें पूरी मजदूरी भी नहीं देते हैं. ऐसे में गांव के अहिरवार समाज के लोग उनके खेतों में न तो काम करने जाते थे और न ही उनका सम्मान करते थे. इसी को लेकर दबंग लोग मृतक युवक के परिवार वालों पर आए दिन दबाव बनाते और मारपीट करते थे. जब इसकी शिकायत पुलिस के आला अधिकारियों से की गई, तो दलित परिवार की सुरक्षा के लिए युवक के घर के बाहर सीसीटीवी के साथ पुलिस बल तैनात कर दिया गया, लेकिन हत्या से 10 दिन पहले ही बिना किसी सूचना के पुलिस बल हटा लिया जाता है. वहीं घटना से पहले घर के बाहर लगा सीसीटीवी भी बंद हो जाता है.

दलित परिवार ने लगाया एक तरफा कार्रवाई का आरोप

मृतक के परिजनों का आरोप है कि जिस दिन नितिन की लाठी-डंडों से पीटकर हत्या की गई, उस दिन उसकी मां के साथ भी मारपीट हुई थी. उसका हाथ तोड़ दिया गया और निर्वस्त्र किया गया था, लेकिन पुलिस ने केवल हत्या की एफआईआर दर्ज की थी. वहीं इस हत्या में 10 से 12 लोगों शामिल थे. जिसका सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया, लेकिन पुलिस ने केवल 5 लोगों के नाम ही एफआईआर में लिखा. वहीं मृतक के भाई पर लड़ाई-झगड़े समेत अन्य केस लगकार उसे जिला बदर कर दिया गया, लेकिन दबंगों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया.

फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने की सीबीआई जांच कराने की मांग

इस मामले में फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का कहना है कि सागर में आरोपी परिवार का काफी दबदबा है. राजनीति, पुलिस और प्रशासन में इन दबंगों का दखल है इसीलिए अब तक निष्पक्ष कार्रवाई नहीं हो रही है, जबकि दलित की हत्या के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी परिवार से मिलने पहुंचे थे. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और दिग्विजय सिंह ने खुरई में जाकर आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए धरना दिया था. फिर भी इस मामले को दबाने के लिए लीपा-पोती की जा रही है. ऐसे में मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच के लिए जरूरी है कि यह केस सीबीआई को सौंप दिया जाए.

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बहन के साथ छेड़छाड़ के बाद शुरू हुआ विवाद

घटना की शुरुआत 26 जनवरी 2019 से होती है. जब दबंगों की शह पर गांव के आजाद ठाकुर, पुष्पेंद्र ठाकुर, छोटू रैकवार और विशाल ठाकुर ने मृतक की बहन के साथ छेड़छाड़ करते हुए मारपीट की थी. इस मामले में पीड़िता ने थाने में एफआईआर दर्ज कराई, लेकिन पुलिस ने नाबालिग के साथ छेड़छाड़ की धाराएं नहीं लगाई और केवल मारपीट का मामूली प्रकरण दर्ज कर लिया. इसके बाद दबंग निरंतर पीड़ित परिवार पर यह केस वापस लेने के लिए दबाव बनाने लगे. वहीं इस घटना के कुछ दिन पूर्व ही आरोपियों ने पीड़िता के भाई के साथ बस स्टैंड पर मारपीट की थी. इस दौरान उस पर पैर छूने के लिए भी दबाव बनाया गया. इस मामले का वीडियो वायरल हुआ, लेकिन पुलिस ने दबंगों पर कार्रवाई के बजाय पीड़िता के भाई पर ही मामला दर्ज कर लिया. तब से ही दोनों समाजों के बीच विवाद बढ़ गया था.

भोपाल। सागर के खुरई में 24 अगस्त 2023 को दलित समाज के एक युवक की हत्या कर दी गई थी. इसके बाद 25 मई 2024 को इस मामले में दबंगों से समझौता नहीं करने पर मृतक युवक के चाचा की भी हत्या कर दी गई. वहीं चाचा का शव भोपाल से खुरई ले जाते समय 27 मई 2024 को युवक के बहन की एंबुलेंस से गिरने की वजह से संदेहास्पद स्थिति में मृत्यु हो जाती है. इस मामले की स्वतंत्र जांच कर रही फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के सदस्यों का आरोप है कि ये तीनों हत्याएं दबंग और दलितों के बीच चल रही सामंती सोच का नतीजा है, लेकिन राजनीतिक संरक्षण के कारण दबंगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है. अभी भी अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं.

सागर हत्याकांड में हुआ बड़ा खुलासा (ETV Bharat)

इसलिए पुलिस की जांच पर उठ रहे हैं सवाल

दरअसल, खुरई के बरौदिया नैनागिर में लंबे समय से दबंगों और दलित परिवारों के बीच संघर्ष चल रहा है. फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की माधुरी का आरोप है कि यहां के दबंग लोग दलितों से जबरदस्ती खेतों में काम कराते हैं और उन्हें पूरी मजदूरी भी नहीं देते हैं. ऐसे में गांव के अहिरवार समाज के लोग उनके खेतों में न तो काम करने जाते थे और न ही उनका सम्मान करते थे. इसी को लेकर दबंग लोग मृतक युवक के परिवार वालों पर आए दिन दबाव बनाते और मारपीट करते थे. जब इसकी शिकायत पुलिस के आला अधिकारियों से की गई, तो दलित परिवार की सुरक्षा के लिए युवक के घर के बाहर सीसीटीवी के साथ पुलिस बल तैनात कर दिया गया, लेकिन हत्या से 10 दिन पहले ही बिना किसी सूचना के पुलिस बल हटा लिया जाता है. वहीं घटना से पहले घर के बाहर लगा सीसीटीवी भी बंद हो जाता है.

दलित परिवार ने लगाया एक तरफा कार्रवाई का आरोप

मृतक के परिजनों का आरोप है कि जिस दिन नितिन की लाठी-डंडों से पीटकर हत्या की गई, उस दिन उसकी मां के साथ भी मारपीट हुई थी. उसका हाथ तोड़ दिया गया और निर्वस्त्र किया गया था, लेकिन पुलिस ने केवल हत्या की एफआईआर दर्ज की थी. वहीं इस हत्या में 10 से 12 लोगों शामिल थे. जिसका सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया, लेकिन पुलिस ने केवल 5 लोगों के नाम ही एफआईआर में लिखा. वहीं मृतक के भाई पर लड़ाई-झगड़े समेत अन्य केस लगकार उसे जिला बदर कर दिया गया, लेकिन दबंगों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया.

फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने की सीबीआई जांच कराने की मांग

इस मामले में फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का कहना है कि सागर में आरोपी परिवार का काफी दबदबा है. राजनीति, पुलिस और प्रशासन में इन दबंगों का दखल है इसीलिए अब तक निष्पक्ष कार्रवाई नहीं हो रही है, जबकि दलित की हत्या के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी परिवार से मिलने पहुंचे थे. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और दिग्विजय सिंह ने खुरई में जाकर आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए धरना दिया था. फिर भी इस मामले को दबाने के लिए लीपा-पोती की जा रही है. ऐसे में मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच के लिए जरूरी है कि यह केस सीबीआई को सौंप दिया जाए.

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