अलवर. वैसे तो आपने कई तरह के साधु संत व उनकी तपस्या देखी होगी, लेकिन राजस्थान में भीषण गर्मी और 48 डिग्री तापमान में अग्नि तप कर रहे साधुओं की साधना आपको चौंका देगी. अलवर जिले के सरिस्का टाइगर रिजर्व के जंगलों में एक साधु अग्नि तप कर रहे हैं. यह अग्नि तप 21 दिन तक चलेगा. साधु के अनुसार इस तपस्या को बाबा गोरखनाथ हठयोग कहा जाता है. यह हठयोग सरिस्का क्षेत्र के नटनी का बारा स्थित देवनारायण मंदिर के पास महाराज सावाननाथ जी द्वारा किया जा रहा है.
अलवर को देवभूमि कहा जाता है. यहां उज्जैन के महाराजा भर्तृहरि ने तपस्या की और समाधि ली. साथ ही माना जाता है कि पांडवों के अज्ञातवास के दौरान पांडुपोल में हनुमान जी ने पांडवों का घमंड तोड़ा था. इसके अलावा अलवर से कई और भी ऐतिहासिक तथ्य जुड़े हैं. सरिस्का के घने जंगलों में सैकड़ो साधु संत तपस्या करते हैं. अलवर में पड़ रही भीषण गर्मी से लोगों का हाल बेहाल है, तो वहीं दूसरी ओर सरिस्का के जंगलों में भीषण गर्मी के बीच योगी सावाननाथ महाराज अग्नि तप कर रहे हैं. उनका कहना है कि इस तप के चलते विश्व में शांति बनेगी और बरसात भी जल्दी आएगी.
अच्छी बारिश के तप : अग्नि तप कर रहे योगी सावाननाथ महाराज ने कहा कि सरिस्का में इसकी शुरुआत 27 मई से हुई. यह तपस्या 16 जून तक चलेगी. योगी सावाननाथ महाराज ने कहा कि तपस्या स्थल पर 9 धूनी लगाई गई है. इनमें 21 कंडो में आग जलाकर तपस्या की शुरुआत की गई. प्रतिदिन 9 कंडे इसमें शामिल किए जाते हैं.
बता दें कि योगी सावाननाथ महाराज कंडो में आग के बीच बैठकर सुबह से शाम तक तपस्या करते हैं और उसके बाद मौन धारण करते हैं. योगी सावाननाथ महाराज ने कहा कि यह हठ योग स्वयं के लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए किया जा रहा है, जिससे क्षेत्र में बेहतर बारिश हो, लोग सुखी रहें, क्षेत्र में समृद्धि आए इसके लिए यह तपस्या साधुओं की ओर से की जाती है.