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हाथी गांव में हथनी 'रूपा' की हुई मौत, कुछ दिनों से बीमार चल रही थी हथिनी - Elephant Death In Hathi Goan

आमेर में पर्यटकों के बीच हाथी की सवारी के लिए प्रसिद्ध हथिनी 'रूपा' की बुधवार को मौत हो गई. वह पिछले कुछ समय से बीमार थी और गत तीन माह से पूरी तरह रेस्ट पर थी. पिछले दिनों टहलते हुए वह गश खाकर गिर गई थी. तब से उठ नहीं पाई थी.

Elephant Death In Hathi Goan
पर्यटकों को घुमाने वाली हथिनी रूपा की हाथी गांव में मौत (PHOTO ETV BHARAT JAIPUR)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 13, 2024, 1:12 PM IST

जयपुर. राजधानी जयपुर के आमेर महल में पर्यटकों को घुमाने वाली प्रसिद्ध हथिनी 'रुपा' की बुधवार रात को मौत हो गई. इसकी मौत आमेर कुंडा के हाथी गांव में हुई. हथिनी नंबर 18 रुपा पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रही थी और गत 31 मई को सुबह आमेर की ठाठर कॉलोनी में टहलते हुए गश खाकर नीचे गिर गई थी. हथिनी के गिरने से एक मकान की दीवार भी टूट गई थी. जिससे ​हथिनी घायल भी हो गई थी. इसके बाद से ही इसका इलाज चल रहा था.मेडिकल बोर्ड बनाकर हथनी के शव का पोस्टमार्टम करवाया जाएगा.

हथिनी के महावत ने बताया कि वह पिछले 3 महीने से रेस्ट पर थी. उसे आमेर महल में पर्यटकों की हाथी सवारी में भी नहीं भेजा जा रहा था. पशु चिकित्सक हथिनी का इलाज कर रहे थे. इलाज के दौरान बुधवार देर रात को हथिनी की मौत हो गई. डीफओ जगदीश गुप्ता ने बताया कि हथिनी की मौत की सूचना मिलते ही वन विभाग के अधिकारी और पशु चिकित्सक भी मौके पर पहुंचे. मेडिकल बोर्ड बनाकर हथिनी के शव का पोस्टमार्टम किया जाएगा. पोस्टमार्टम के बाद हथनी के शव का अंतिम संस्कार किया जाएगा. हथिनी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद मौत की असली वजह सामने आ पाएगी.

पढ़ें: कार्डियक अरेस्ट से हुई थी हाथी गांव में हथिनी चुनचुन माला की मौत, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा

लगातार हो रही हाथियों की मौत: आमेर का हाथी गांव विश्व प्रसिद्ध है. दुनिया भर के पर्यटक हाथी सफारी का लुत्फ उठाने के लिए हाथी गांव पहुंचते हैं. हाथी गांव में एक के बाद एक हाथियों की मौत के मामले सामने आ रहे हैं. पिछले दिनों भी एक हथिनी की मौत हुई थी. इससे पहले भी हाथी गांव में हाथियों की मौत हो चुकी है. हाथी गांव में 100 से अधिक हाथी हुआ करते थे, लेकिन अब इनकी संख्या घटकर करीब 80 से कम रह गई है.

हाथी गांव में लगा था मेडिकल कैंप: डीफओ जगदीश गुप्ता ने बताया कि हाथियों के स्वास्थ्य को लेकर वन विभाग की ओर से भी कई प्रयास किया जाते हैं. पिछले दिनों हाथी गांव में हाथियों के लिए मेडिकल कैंप भी लगाया गया था. दो दिन तक हाथियों के स्वास्थ्य का परीक्षण किया गया था. पशु चिकित्सकों ने हाथी महावतों और हाथी पालकों को हाथियों के स्वास्थ्य को लेकर जागरूक किया था.

जयपुर. राजधानी जयपुर के आमेर महल में पर्यटकों को घुमाने वाली प्रसिद्ध हथिनी 'रुपा' की बुधवार रात को मौत हो गई. इसकी मौत आमेर कुंडा के हाथी गांव में हुई. हथिनी नंबर 18 रुपा पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रही थी और गत 31 मई को सुबह आमेर की ठाठर कॉलोनी में टहलते हुए गश खाकर नीचे गिर गई थी. हथिनी के गिरने से एक मकान की दीवार भी टूट गई थी. जिससे ​हथिनी घायल भी हो गई थी. इसके बाद से ही इसका इलाज चल रहा था.मेडिकल बोर्ड बनाकर हथनी के शव का पोस्टमार्टम करवाया जाएगा.

हथिनी के महावत ने बताया कि वह पिछले 3 महीने से रेस्ट पर थी. उसे आमेर महल में पर्यटकों की हाथी सवारी में भी नहीं भेजा जा रहा था. पशु चिकित्सक हथिनी का इलाज कर रहे थे. इलाज के दौरान बुधवार देर रात को हथिनी की मौत हो गई. डीफओ जगदीश गुप्ता ने बताया कि हथिनी की मौत की सूचना मिलते ही वन विभाग के अधिकारी और पशु चिकित्सक भी मौके पर पहुंचे. मेडिकल बोर्ड बनाकर हथिनी के शव का पोस्टमार्टम किया जाएगा. पोस्टमार्टम के बाद हथनी के शव का अंतिम संस्कार किया जाएगा. हथिनी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद मौत की असली वजह सामने आ पाएगी.

पढ़ें: कार्डियक अरेस्ट से हुई थी हाथी गांव में हथिनी चुनचुन माला की मौत, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा

लगातार हो रही हाथियों की मौत: आमेर का हाथी गांव विश्व प्रसिद्ध है. दुनिया भर के पर्यटक हाथी सफारी का लुत्फ उठाने के लिए हाथी गांव पहुंचते हैं. हाथी गांव में एक के बाद एक हाथियों की मौत के मामले सामने आ रहे हैं. पिछले दिनों भी एक हथिनी की मौत हुई थी. इससे पहले भी हाथी गांव में हाथियों की मौत हो चुकी है. हाथी गांव में 100 से अधिक हाथी हुआ करते थे, लेकिन अब इनकी संख्या घटकर करीब 80 से कम रह गई है.

हाथी गांव में लगा था मेडिकल कैंप: डीफओ जगदीश गुप्ता ने बताया कि हाथियों के स्वास्थ्य को लेकर वन विभाग की ओर से भी कई प्रयास किया जाते हैं. पिछले दिनों हाथी गांव में हाथियों के लिए मेडिकल कैंप भी लगाया गया था. दो दिन तक हाथियों के स्वास्थ्य का परीक्षण किया गया था. पशु चिकित्सकों ने हाथी महावतों और हाथी पालकों को हाथियों के स्वास्थ्य को लेकर जागरूक किया था.

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