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दलालों के 'नेक्सस' ने उड़ाई नींद; रेलवे के 'CRIS' से ज्यादा एक्टिव प्रतिबंधित साॅफ्टवेयर! अब RPF का एक्शन - Railway News

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 28, 2024, 4:18 PM IST

पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ अभियान चलाने के लिए एक्शन मोड में आ गया है. पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल की तरफ से जालसाजों के खिलाफ लखनऊ में कार्रवाई का आंकड़ा जारी किया गया है.

RPF का एक्शन
RPF का एक्शन (Photo credit: ETV Bharat)

लखनऊ : रेलवे में टिकट बुक करने के लिए सेंटर फॉर रेलवे इंफॉर्मेशन सिस्टम (CRIS) सॉफ्टवेयर है. आईआरसीटीसी से ऑनलाइन सॉफ्टवेयर के जरिए लोग टिकट बुक करते हैं, लेकिन रेलवे के सॉफ्टवेयर से दलालों के प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर कहीं ज्यादा तेज हैं. इससे टिकट बुकिंग में जालसाज सेंध लगा रहे हैं. प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर रेलवे के सॉफ्टवेयर को मात दे रहे हैं. तत्काल टिकट बुकिंग के इंतजार में घंटों से लाइन लगाए लोग आस लगाए रह जाते हैं और रेलवे के कर्मचारी तत्काल टिकट बुकिंग के लिए एक्टिव होते हैं, तब तक इसके खुलते ही जालसाज इन सॉफ्टवेयर के जरिए टिकट बुक कर डालते हैं. आरपीएफ ने अब ऐसे सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने वालों पर शिकंजा कसना शुरू किया है.





आम दिनों के साथ ही फेस्टिवल सीजन या गर्मी की छुट्टियों के दौरान ट्रेन में यात्रियों की भीड़ में जबरदस्त बढ़ोतरी हो जाती है, जिसके चलते ट्रेनों में कंफर्म सीट मिलना मुश्किल हो जाता है. इसके बाद यात्रा करने के लिए तत्काल टिकट ही एकमात्र सहारा बचता है. इसके लिए भयंकर मारामारी होती है. घर बैठे ऑनलाइन तत्काल टिकट बुकिंग हो पाना बहुत मुश्किल होता है. ऐसे में सुबह से ही लंबी-लंबी लाइनें रेलवे के टिकट बुकिंग काउंटर पर लग जाती हैं. घंटों लाइन में लगने के बाद बड़ी संख्या में लोगों के तत्काल टिकट बुक नहीं हो पाते हैं और उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ जाता है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह होती है कि जालसाज प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर से पलक झपकते ही टिकट बुक कर डालते हैं. इसके एवरेज में भी जमकर पैसा वसूलते हैं. रेलवे की तरफ से इस तरह के मामलों को लेकर एक्शन लिया जाता है, लेकिन दलाल समय-समय पर सॉफ्टवेयर का स्वरूप बदलकर नए सॉफ्टवेयर मैदान में उतार देते हैं और रेलवे की सिक्योर व्यवस्था में सेंध लगा देते हैं.



पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल अब अवैध ई टिकटिंग और प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ अभियान चलाने के लिए एक्शन मोड में आ गया है. पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल की तरफ से जालसाजों के खिलाफ लखनऊ में कार्रवाई का आंकड़ा जारी किया गया है. पूर्वोत्तर रेलवे के डीआरएम के अनुसार, इस साल 25 अगस्त तक कुल 54 मामले टिकट दलालों के खिलाफ पंजीकृत किए हैं. इसमें 40 मामले ई टिकटिंग के पंजीकृत हुए हैं. इस अवधि में सात मामलों में प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर का प्रयोग करना पाया गया. इनमें प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर 'गदर', 'नेक्सस' और 'तेज' का प्रयोग पाया गया, जिनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई है.

डीआरएम के मुताबिक, इस दौरान आईआरसीटीसी (IRCTC) की 21 एजेंट आईडी और 302 पर्सनल आईडी को भी बंद किया गया है. इन सभी को ब्लॉक करने की कार्रवाई की गई है. 613805 रुपए के 212 प्रारंभिक यात्रा टिकट और 12 लाख रुपए के यात्रा समाप्ति के 520 टिकट आरपीएफ ने जब्त किए. कुल मिलाकर इन टिकटों की कीमत 18 लाख रुपए थी.

लखनऊ से ही रोजाना जारी होते हैं पांच हजार से ज्यादा टिकट : लखनऊ के पूर्वोत्तर रेलवे और उत्तर रेलवे के स्टेशनों से बात की जाए तो करीब 5000 तत्काल टिकट रोजाना जारी होते हैं. आईआरसीटीसी के अधिकृत एजेंट ऑनलाइन टिकट बुकिंग अलग से करते हैं. इसके अलावा जालसाज प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर से सेंध लगाकर बड़ी संख्या में टिकट बुक कर लेते हैं.

यह भी पढ़ें : टिकट दलालों के खिलाफ RPF ने लिया बड़ा एक्शन, हफ्ते भर में 57 गिरफ्तार - Ticket brokers arrested in Lucknow

यह भी पढ़ें : टिकट का अवैध कारोबार करने वाला रेलकर्मी गिरफ्तार, अपने पद की धौंस दिखाकर बनवाता था तत्काल टिकट


पूर्वोत्तर रेलवे के आरपीएफ इंस्पेक्टर एके सिंह का कहना है कि लगातार जालसाजों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है. अभियान के दौरान नए-नए प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर से टिकट बुकिंग करने के मामले सामने आ रहे हैं. इन जालसाजों के खिलाफ एक्शन लिया गया है और प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर भी बंद करने की कार्रवाई की गई है. लगातार ऐसे जालसाजों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है, जितने भी प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर मिल रहे हैं उन्हें जब्त किया जा रहा है. ये अभियान जारी रहेगा.

यह भी पढ़ें : 'चालक दल' ऐप से होगी निगरानी, नहीं चलेगी रेलवे कर्मियों की मनमानी

यह भी पढ़ें : कोरोना काल में रेलवे का कमाल, अब बिना छुए टिकट चेक करेंगे टीटीई

लखनऊ : रेलवे में टिकट बुक करने के लिए सेंटर फॉर रेलवे इंफॉर्मेशन सिस्टम (CRIS) सॉफ्टवेयर है. आईआरसीटीसी से ऑनलाइन सॉफ्टवेयर के जरिए लोग टिकट बुक करते हैं, लेकिन रेलवे के सॉफ्टवेयर से दलालों के प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर कहीं ज्यादा तेज हैं. इससे टिकट बुकिंग में जालसाज सेंध लगा रहे हैं. प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर रेलवे के सॉफ्टवेयर को मात दे रहे हैं. तत्काल टिकट बुकिंग के इंतजार में घंटों से लाइन लगाए लोग आस लगाए रह जाते हैं और रेलवे के कर्मचारी तत्काल टिकट बुकिंग के लिए एक्टिव होते हैं, तब तक इसके खुलते ही जालसाज इन सॉफ्टवेयर के जरिए टिकट बुक कर डालते हैं. आरपीएफ ने अब ऐसे सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने वालों पर शिकंजा कसना शुरू किया है.





आम दिनों के साथ ही फेस्टिवल सीजन या गर्मी की छुट्टियों के दौरान ट्रेन में यात्रियों की भीड़ में जबरदस्त बढ़ोतरी हो जाती है, जिसके चलते ट्रेनों में कंफर्म सीट मिलना मुश्किल हो जाता है. इसके बाद यात्रा करने के लिए तत्काल टिकट ही एकमात्र सहारा बचता है. इसके लिए भयंकर मारामारी होती है. घर बैठे ऑनलाइन तत्काल टिकट बुकिंग हो पाना बहुत मुश्किल होता है. ऐसे में सुबह से ही लंबी-लंबी लाइनें रेलवे के टिकट बुकिंग काउंटर पर लग जाती हैं. घंटों लाइन में लगने के बाद बड़ी संख्या में लोगों के तत्काल टिकट बुक नहीं हो पाते हैं और उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ जाता है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह होती है कि जालसाज प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर से पलक झपकते ही टिकट बुक कर डालते हैं. इसके एवरेज में भी जमकर पैसा वसूलते हैं. रेलवे की तरफ से इस तरह के मामलों को लेकर एक्शन लिया जाता है, लेकिन दलाल समय-समय पर सॉफ्टवेयर का स्वरूप बदलकर नए सॉफ्टवेयर मैदान में उतार देते हैं और रेलवे की सिक्योर व्यवस्था में सेंध लगा देते हैं.



पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल अब अवैध ई टिकटिंग और प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ अभियान चलाने के लिए एक्शन मोड में आ गया है. पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल की तरफ से जालसाजों के खिलाफ लखनऊ में कार्रवाई का आंकड़ा जारी किया गया है. पूर्वोत्तर रेलवे के डीआरएम के अनुसार, इस साल 25 अगस्त तक कुल 54 मामले टिकट दलालों के खिलाफ पंजीकृत किए हैं. इसमें 40 मामले ई टिकटिंग के पंजीकृत हुए हैं. इस अवधि में सात मामलों में प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर का प्रयोग करना पाया गया. इनमें प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर 'गदर', 'नेक्सस' और 'तेज' का प्रयोग पाया गया, जिनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई है.

डीआरएम के मुताबिक, इस दौरान आईआरसीटीसी (IRCTC) की 21 एजेंट आईडी और 302 पर्सनल आईडी को भी बंद किया गया है. इन सभी को ब्लॉक करने की कार्रवाई की गई है. 613805 रुपए के 212 प्रारंभिक यात्रा टिकट और 12 लाख रुपए के यात्रा समाप्ति के 520 टिकट आरपीएफ ने जब्त किए. कुल मिलाकर इन टिकटों की कीमत 18 लाख रुपए थी.

लखनऊ से ही रोजाना जारी होते हैं पांच हजार से ज्यादा टिकट : लखनऊ के पूर्वोत्तर रेलवे और उत्तर रेलवे के स्टेशनों से बात की जाए तो करीब 5000 तत्काल टिकट रोजाना जारी होते हैं. आईआरसीटीसी के अधिकृत एजेंट ऑनलाइन टिकट बुकिंग अलग से करते हैं. इसके अलावा जालसाज प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर से सेंध लगाकर बड़ी संख्या में टिकट बुक कर लेते हैं.

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पूर्वोत्तर रेलवे के आरपीएफ इंस्पेक्टर एके सिंह का कहना है कि लगातार जालसाजों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है. अभियान के दौरान नए-नए प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर से टिकट बुकिंग करने के मामले सामने आ रहे हैं. इन जालसाजों के खिलाफ एक्शन लिया गया है और प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर भी बंद करने की कार्रवाई की गई है. लगातार ऐसे जालसाजों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है, जितने भी प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर मिल रहे हैं उन्हें जब्त किया जा रहा है. ये अभियान जारी रहेगा.

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