लखनऊ: आगरा, लखनऊ एक्सप्रेस वे और अन्य एक्सप्रेसवे पर कई तरह के सड़क हादसे लगातार हो रहे हैं. पिछले दिनों एक बड़ा हादसा हुआ और 18 लोगों की जान चली गई. सबसे बड़ा सवाल सड़क हादसों को रोकने में यूपीडा के अधिकारियों का फेल होना है. सीसीटीवी कैमरा से निगरानी पेट्रोलिंग और खड़ी गाड़ियों को सीसीटीवी कैमरे से देखकर हटाने के सारे दावे हवा हवाई हो रहे हैं. यूपीडा के अधिकारी सिर्फ कागजी खानापूर्ति कर रहे हैं.
हादसे रोकने के नाम पर अधिकारी लापरवाह: यूपी के एक्सप्रेसवे पर हादसे रोकने में यूपीडा के सिक्योरिटी से जुड़े अफसर और अन्य अफसर पूरी तरीके से फेल साबित हो रहे हैं. वही आंकड़ों के मुताबिक यूपी के एक्सप्रेसवे में हजारों की संख्या में प्रत्येक साल लोगों की जान जा रही है. लेकिन, हादसे रोकने को लेकर अधिकारी सक्रिय नजर नहीं आते हैं. अधिकारी दावा तो करते हैं कि सीसीटीवी कैमरे और पेट्रोलिंग वन के माध्यम से वह पूरे एक्सप्रेसवे की हर समय मॉनिटरिंग करते है. लेकिन, एक्सप्रेसवे से गुजरने वाले लोगों से टोल टैक्स के रूप में उनकी जेब ढीली की जाती है. सुरक्षा और हादसे रोकने के नाम पर अधिकारी लापरवाह बने हुए हैं.
नहीं थम रहे सड़क हादसे: उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी यूपीआईडी के पास लखनऊ आगरा एक्सप्रेसवे यमुना एक्सप्रेसवे पूर्वांचल एक्सप्रेसवे बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के संचालन और लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है. यूपी के तेजतर्रार आईपीएस अधिकारी रहे राजेश कुमार पांडे को यूपीडा ने नोडल सिक्योरिटी इंचार्ज भी बनाया है. लेकिन, वह भी हादसे रोकने में फेल साबित हो रहे हैं. उनका दावा है, कि एक्सीडेंट कम करने के लिए काम तेजी से किया जा रहा है. लेकिन, ग्राउण्ड जीरो पर हादसे कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं.
मॉनिटरिंग के दावे फेल: अफसरों का दावा है, कि सीसीटीवी से मॉनिटरिंग और पेट्रोलिंग के माध्यम से हादसे कम किए जा रहे हैं. एक्सप्रेसवे के किनारे सड़क पर खड़ी गाड़ियों को हटाने के सिस्टम को यूपीडा के अधिकारियों की तरफ से आगे नहीं बढ़ाया जा सका है. कई जगहों पर खड़ी गाड़ियां खासकर बड़े वाहन जैसे ट्रक साफ साफ देखे जा सकते हैं. यूपीडा के अधिकारियों का दावा है, कि एक्सप्रेस वे को हाइटेक सीसीटीवी कैमरों से लैस किया गया है. साथ ही पेट्रोलिंग वैन और सुरक्षा जवानों से पूरी मानीटरिंग की जा रही है. जिससे वाहनो को हटाने और कोई हादसा होने के पर तत्काल राहत कार्य किये जाते हैं. लेकिन, हादसे रोकने में अफसरों और कंट्रोल रूम की मॉनिटरिंग के दावे फेल और हवा हवाई साबित हो रहे हैं.
यूपी के एक्सप्रेस वे सबसे अधिक जानलेवा, अफसर हादसे रोकने में फेल: लखनऊ को दिल्ली से जोड़ने वाले आगरा एक्सप्रेस वे, जितना लोगों को सुगम यात्रा का एहसास दिलाता है, उतना ही सड़क हादसों के बाद लोगों को रुलाता भी है. यूपी के एक्सप्रेस वे पर खूब हादसे हो रहे हैं और लापरवाही रुकने का नाम नहीं ले रही है. हाल के आंकड़े बताते हैं, कि देश भर के एक्सप्रेस वे में हुए हादसों में कुल 1780 लोगों की मौत हुई है. इसमें सबसे अधिक यूपी में 1310 लोगों की मौत हुई जो एक्सप्रेस वे में सड़क हादसे में हुई. कुल मौतों का 73 फीसदी है. एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार देश भर में सबसे अधिक नेशनल हाईवे में हुए हादसों में मौत हुई है. नेशनल हाईवे में 59,673 लोगों की मौत हुई, इसमें सबसे ज्यादा यूपी में 8236 और तमिलनाडु में 5978 लोगों की जान गई. वहीं स्टेट हाईवे में 42,003 लोगों की सड़क हादसे में मौत हुई. इसमें पहले नंबर पर तमिलनाडु में 6364 और दूसरे नम्बर पर उत्तर प्रदेश में 6070 लोगों की जान गई थी. इस सबके बावजूद अधिकारी हर स्तर पर हादसे रोकने में सजग नहीं दिखते हैं. सुरक्षा और हादसे रोकने के दावे हवाई साबित हो रहे हैं. धरातल पर सच्चाई कुछ और ही है.
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