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RO-ARO पेपर लीक खुलासा; 4 इंजीनियर दोस्तों ने रची साजिश, एक गलती पड़ी भारी, पढ़ें- फिल्मी स्क्रिप्ट जैसी कहानी - RP ARO PAPER LEAK

उत्तर प्रदेश में हुए समीक्षा व सहायक समीक्षा अधिकारी की परीक्षा का पेपर लीक करने और उसकी योजना बनाने वाले चार दोस्त थे. जो कभी एक साथ इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते थे. आइए जानते हैं कि कैसे 7 वर्षों बाद अचानक मिले चार इंजीनियर दोस्तों ने पेपर लीक करने की योजना बनाई थी?

आरओ/एआरओ पेपर लीक के आरोपी.
आरओ/एआरओ पेपर लीक के आरोपी. (Photo Credit; Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 24, 2024, 6:03 PM IST

Updated : Jun 24, 2024, 7:05 PM IST

प्रयागराजः यूपी लोकसेवा आयोग समीक्षा और सहायक समीक्षा अधिकारी (आरओ/एआरओ) का पेपर लीक कांड का पुलिस और एसटीएफ ने खुलासा कर दिया है. आरओ/एआरओ का पेपर लीक करने वालों ने जिस तरह से पूरी स्क्रिप्ट लिखी थी, वह किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. हो सकता है कि आने वाले दिनों में इस कांड पर कोई निर्माता फिल्म या वेबसीरीज बना दें. आरओ/एआरओ का पेपर भी यूपी पुलिस की तरह प्रिटिंग प्रेस से हुआ था. इस पूरी वारदात को चार इंजनीजियर दोस्तों ने मिलकर अंजाम दिया था. इस पेपर लीक का मास्टर माइंड राजीव नयन मिश्रा है, जो यूपी पुलिस का पेपर लीक कराने के बाद मेरठ जेल में बंद है. इस मामले में 16 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं.

4 महीने बाद पेपर लीक का सूत्रधार सहित 6 आरोपी हुए गिरफ्तार
उत्तर प्रदेश में 11 फरवरी को यूपी लोकसेवा आयोग द्वारा आरओ एआरओ की भर्ती परीक्षा आयोजित की गयी थी, जिसमें लाखों अभ्यर्थी शामिल भी हुए थे.परीक्षा के दौरान ही भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने की बात सामने आ गयी थी. जिसके बाद इस भर्ती परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर पूरे उत्तर प्रदेश में अभ्यर्थियों ने विरोध प्रदर्शन किया था. भारी विरोध प्रदर्शन को देखते हुए सरकार ने जांच करवायी और पेपर लीक होने के सबूत मिलने के बाद भर्ती परीक्षा को निरस्त कर दिया था. इसी के साथ पेपर लीक करने के पूरे मामले की जांच यूपी एसटीएफ को सौंप दी थी. यूपी एसटीएफ ने रविवार प्रयागराज के कीडगंज थाना क्षेत्र से प्रिंटिंग प्रेस कर्मी सुनील रघुवंशी, सुभाष प्रकाश, विशाल दुबे, संदीप पाण्डेय, अमरजीत शर्मा और विवेक उपाध्याय को गिरफ्तार किया है.

यहां से पेपर लीक की हुई थी शुरुआत
एसटीएफ ने बताया कि पेपर को बिशप जॉनसन स्कूल कॉलेज के साथ ही भोपाल के प्रिंटिंग प्रेस से आउट करवाया गया था. जांच के दौरान ही पता चला कि परीक्षा के दिन 11 फरवरी को प्रयागराज के बिशप जॉनसन गर्ल्स स्कूल कॉलेज से आउट करवाया गया था. परीक्षा केन्द्र विशप जान्सन गर्ल्स स्कूल एण्ड कॉलेज में परीक्षा का काम देखने वाले अर्पित विनीत यशवंत ने पेपर लीक करवाने वाले गैंग के साथ मिलकर पेपर लीक करवाया था. इसके बाद भोपाल के प्रिंटिंग प्रेस में काम करने वाले कर्मचारी सुनील रघुवंशी की मदद से पेपर आउट करवाया गया था.

चार इंजीनियर दोस्तों ने रची थी पेपर आउट करने की साजिश
यूपी STF की पूछताछ में सामने आया कि परीक्षा का पेपर आउट करने वाले राजीव नयन मिश्रा, सुनील रघुवंशी, सुभाष प्रकाश और विशाल दुबे 2014 से 2017 के बीच अलग अलग कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे. चारों एक दूसरे को अच्छी तरह से जानते थे और दोस्त भी थे. इंजीनियरिंग करने के बाद चारों अलग अलग हो गए, जिसमें सुनील रघुवंशी भोपाल के प्रिंटिंग प्रेस में मैकेनिकल इंजीनियर बन गया. सुभाष प्रकाश प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में फैकल्टी बन गया. वहीं, विशाल दुबे और राजीव नयन मिश्रा ने नौकरी करने से बेहतर इंजीनियर कॉलेज में लोगों को दाखिला दिलाने का काम शुरू कर दिया. अगले दो-तीन वर्षों तक इन चारों की एक दूसरे से मुलाकात नहीं हुई. एक एडमिशन करवाने के दौरान राजीव नयन और विशाल दुबे को सुभाष प्रकाश मिल गया. सुभाष ने दोनों को बताया कि उन लोगों का एक और दोस्त सुनील रघुवंशी प्रिंटिंग प्रेस में नौकरी कर रहा है.

प्रिटिंग प्रेस के इंजीनियर सुनील से 10 लाख रुपये में हुई थी डील
इसके बाद राजीव नयन मिश्र ने साजिश रचनी शुरू कर दी. राजीव जानता था कि यूपी में होने वाली किसी न किसी भर्ती परीक्षा का पेपर वहां जरूर छपने आता होगा. ऐसे में उसने सुभाष और विशाल से सुनील रघुवंशी के संपर्क कर यूपी में अयोजित होने वाली परीक्षा के पेपर छपने की जानकारी देने के लिए कहा. विशाल ने सुनील रघुवंशी से मुलाकात की और उसे अपनी योजना के बारे में बताया. उससे कहा गया कि जैसे ही यूपी में किसी भी परीक्षा का पेपर छपने आए तो उसे सूचना दी जाए. पैसों के लालच में सुनील तैयार हुआ और कुछ ही दिनों में उसने अपने पुराने दोस्त विशाल को बताया कि प्रिंटिंग प्रेस में एक प्रश्नपत्र छपने के लिए आया है. सुनील ने बताया कि जिसमें से एक पेपर में 140 सवाल और दूसरे पेपर में 40 सवाल हैं. विशाल ने यह जानकारी राजीव व सुभाष को दी थी. इसके साथ ही पेपर पहुंचाने के लिए सुनील से 10 लाख रुपये में सौदा किया. लेकिन सुनील ने एक शर्त रख दी. सुनील चाहता था कि पेपर भोपाल में ही छात्रों को पढ़ाया जाए ताकि पेपर वायरल न हो और वह पकड़ा न जाए. इस पर उसके इंजीनियरिंग समय के साथी राजीव, विशाल व सुभाष तैयार हो गए. इसके बाद सुनील रघुवंशी पेपर की छपाई पर नजर रखने लगा. प्रिन्टिग प्रेस के मशीन की मरम्मत के नाम पर मशीन के पास ही रहकर सही व सुरक्षित समय का इन्तजार करने लगा. प्रिन्टिग के दौरान जो पेपर स्याही या मिसप्रिंट के कारण थोड़ बहुत खराब हो जाता तो उसे छांट कर अलग रखा जाता है. जिसे बाद कटर मशीन में डाल कर नष्ट कर दिया जाता है.

मशीन का पार्ट ठीक कराने के बहाने पेपर ले गया था बाहर
इसी दौरान 3 फरवरी को सुनील रघुवंशी मशीन की मरम्मत करने के नाम पर वहां मौजूद था. मौका देखकर प्रिन्टिग प्रेस मशीन के एक पार्ट को बाहर ठीक कराने के नाम पर ले गया. इसी दौरान अपने पीने के पानी के बोतल के जरिये आरओ-एआरओ का पेपर छिपाकर भी अपने साथ प्रेस से बाहर ले गया. इसके बाद 8 फरवरी को अभ्यर्थियों तथा सॉल्वर को लेकर सभी लोग भोपाल के कोमल होटल में इकठ्ठा हुए. होटल में ही सॉल्वरों से प्रश्नपत्र को हल कराकर अभ्यर्थियों को याद करवाया गया. इसके बदले मास्टर माइंड राजीव नयन मिश्रा ने हर अभ्यर्थी से 12-12 लाख रुपये लिए थे.

अधिक पैसे के चक्कर में सुभाष ने पेपर कर दिया था वायरल
यही नहीं इस गैंग ने ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में सुभाष प्रकाश ने 9 फरवरी की रात में पेपर की फ़ोटो अपने गैंग के दूसरे सदस्यों को व्हाट्सएप पर भेज दी थी. जहां से धीरे धीरे पेपर सोशल मीडिया में वायरल हो गया था. इस मामले में मास्टर माइंड राजीव नयन मिश्रा, डॉ. शरद सिंह पटेल, सौरभ शुक्ला, अरुण कुमार सिंह, अमित सिंह, अर्पित विनीत यशवंत, रवि अत्री, अभिषेक शुक्ला, कमलेश कुमार पाल और विक्रम पहल को पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके हैं. इन्हीं से पूछताछ के आधार पर एसटीएफ ने पूरा खुलासा किया.

प्रयागराजः यूपी लोकसेवा आयोग समीक्षा और सहायक समीक्षा अधिकारी (आरओ/एआरओ) का पेपर लीक कांड का पुलिस और एसटीएफ ने खुलासा कर दिया है. आरओ/एआरओ का पेपर लीक करने वालों ने जिस तरह से पूरी स्क्रिप्ट लिखी थी, वह किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. हो सकता है कि आने वाले दिनों में इस कांड पर कोई निर्माता फिल्म या वेबसीरीज बना दें. आरओ/एआरओ का पेपर भी यूपी पुलिस की तरह प्रिटिंग प्रेस से हुआ था. इस पूरी वारदात को चार इंजनीजियर दोस्तों ने मिलकर अंजाम दिया था. इस पेपर लीक का मास्टर माइंड राजीव नयन मिश्रा है, जो यूपी पुलिस का पेपर लीक कराने के बाद मेरठ जेल में बंद है. इस मामले में 16 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं.

4 महीने बाद पेपर लीक का सूत्रधार सहित 6 आरोपी हुए गिरफ्तार
उत्तर प्रदेश में 11 फरवरी को यूपी लोकसेवा आयोग द्वारा आरओ एआरओ की भर्ती परीक्षा आयोजित की गयी थी, जिसमें लाखों अभ्यर्थी शामिल भी हुए थे.परीक्षा के दौरान ही भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने की बात सामने आ गयी थी. जिसके बाद इस भर्ती परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर पूरे उत्तर प्रदेश में अभ्यर्थियों ने विरोध प्रदर्शन किया था. भारी विरोध प्रदर्शन को देखते हुए सरकार ने जांच करवायी और पेपर लीक होने के सबूत मिलने के बाद भर्ती परीक्षा को निरस्त कर दिया था. इसी के साथ पेपर लीक करने के पूरे मामले की जांच यूपी एसटीएफ को सौंप दी थी. यूपी एसटीएफ ने रविवार प्रयागराज के कीडगंज थाना क्षेत्र से प्रिंटिंग प्रेस कर्मी सुनील रघुवंशी, सुभाष प्रकाश, विशाल दुबे, संदीप पाण्डेय, अमरजीत शर्मा और विवेक उपाध्याय को गिरफ्तार किया है.

यहां से पेपर लीक की हुई थी शुरुआत
एसटीएफ ने बताया कि पेपर को बिशप जॉनसन स्कूल कॉलेज के साथ ही भोपाल के प्रिंटिंग प्रेस से आउट करवाया गया था. जांच के दौरान ही पता चला कि परीक्षा के दिन 11 फरवरी को प्रयागराज के बिशप जॉनसन गर्ल्स स्कूल कॉलेज से आउट करवाया गया था. परीक्षा केन्द्र विशप जान्सन गर्ल्स स्कूल एण्ड कॉलेज में परीक्षा का काम देखने वाले अर्पित विनीत यशवंत ने पेपर लीक करवाने वाले गैंग के साथ मिलकर पेपर लीक करवाया था. इसके बाद भोपाल के प्रिंटिंग प्रेस में काम करने वाले कर्मचारी सुनील रघुवंशी की मदद से पेपर आउट करवाया गया था.

चार इंजीनियर दोस्तों ने रची थी पेपर आउट करने की साजिश
यूपी STF की पूछताछ में सामने आया कि परीक्षा का पेपर आउट करने वाले राजीव नयन मिश्रा, सुनील रघुवंशी, सुभाष प्रकाश और विशाल दुबे 2014 से 2017 के बीच अलग अलग कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे. चारों एक दूसरे को अच्छी तरह से जानते थे और दोस्त भी थे. इंजीनियरिंग करने के बाद चारों अलग अलग हो गए, जिसमें सुनील रघुवंशी भोपाल के प्रिंटिंग प्रेस में मैकेनिकल इंजीनियर बन गया. सुभाष प्रकाश प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में फैकल्टी बन गया. वहीं, विशाल दुबे और राजीव नयन मिश्रा ने नौकरी करने से बेहतर इंजीनियर कॉलेज में लोगों को दाखिला दिलाने का काम शुरू कर दिया. अगले दो-तीन वर्षों तक इन चारों की एक दूसरे से मुलाकात नहीं हुई. एक एडमिशन करवाने के दौरान राजीव नयन और विशाल दुबे को सुभाष प्रकाश मिल गया. सुभाष ने दोनों को बताया कि उन लोगों का एक और दोस्त सुनील रघुवंशी प्रिंटिंग प्रेस में नौकरी कर रहा है.

प्रिटिंग प्रेस के इंजीनियर सुनील से 10 लाख रुपये में हुई थी डील
इसके बाद राजीव नयन मिश्र ने साजिश रचनी शुरू कर दी. राजीव जानता था कि यूपी में होने वाली किसी न किसी भर्ती परीक्षा का पेपर वहां जरूर छपने आता होगा. ऐसे में उसने सुभाष और विशाल से सुनील रघुवंशी के संपर्क कर यूपी में अयोजित होने वाली परीक्षा के पेपर छपने की जानकारी देने के लिए कहा. विशाल ने सुनील रघुवंशी से मुलाकात की और उसे अपनी योजना के बारे में बताया. उससे कहा गया कि जैसे ही यूपी में किसी भी परीक्षा का पेपर छपने आए तो उसे सूचना दी जाए. पैसों के लालच में सुनील तैयार हुआ और कुछ ही दिनों में उसने अपने पुराने दोस्त विशाल को बताया कि प्रिंटिंग प्रेस में एक प्रश्नपत्र छपने के लिए आया है. सुनील ने बताया कि जिसमें से एक पेपर में 140 सवाल और दूसरे पेपर में 40 सवाल हैं. विशाल ने यह जानकारी राजीव व सुभाष को दी थी. इसके साथ ही पेपर पहुंचाने के लिए सुनील से 10 लाख रुपये में सौदा किया. लेकिन सुनील ने एक शर्त रख दी. सुनील चाहता था कि पेपर भोपाल में ही छात्रों को पढ़ाया जाए ताकि पेपर वायरल न हो और वह पकड़ा न जाए. इस पर उसके इंजीनियरिंग समय के साथी राजीव, विशाल व सुभाष तैयार हो गए. इसके बाद सुनील रघुवंशी पेपर की छपाई पर नजर रखने लगा. प्रिन्टिग प्रेस के मशीन की मरम्मत के नाम पर मशीन के पास ही रहकर सही व सुरक्षित समय का इन्तजार करने लगा. प्रिन्टिग के दौरान जो पेपर स्याही या मिसप्रिंट के कारण थोड़ बहुत खराब हो जाता तो उसे छांट कर अलग रखा जाता है. जिसे बाद कटर मशीन में डाल कर नष्ट कर दिया जाता है.

मशीन का पार्ट ठीक कराने के बहाने पेपर ले गया था बाहर
इसी दौरान 3 फरवरी को सुनील रघुवंशी मशीन की मरम्मत करने के नाम पर वहां मौजूद था. मौका देखकर प्रिन्टिग प्रेस मशीन के एक पार्ट को बाहर ठीक कराने के नाम पर ले गया. इसी दौरान अपने पीने के पानी के बोतल के जरिये आरओ-एआरओ का पेपर छिपाकर भी अपने साथ प्रेस से बाहर ले गया. इसके बाद 8 फरवरी को अभ्यर्थियों तथा सॉल्वर को लेकर सभी लोग भोपाल के कोमल होटल में इकठ्ठा हुए. होटल में ही सॉल्वरों से प्रश्नपत्र को हल कराकर अभ्यर्थियों को याद करवाया गया. इसके बदले मास्टर माइंड राजीव नयन मिश्रा ने हर अभ्यर्थी से 12-12 लाख रुपये लिए थे.

अधिक पैसे के चक्कर में सुभाष ने पेपर कर दिया था वायरल
यही नहीं इस गैंग ने ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में सुभाष प्रकाश ने 9 फरवरी की रात में पेपर की फ़ोटो अपने गैंग के दूसरे सदस्यों को व्हाट्सएप पर भेज दी थी. जहां से धीरे धीरे पेपर सोशल मीडिया में वायरल हो गया था. इस मामले में मास्टर माइंड राजीव नयन मिश्रा, डॉ. शरद सिंह पटेल, सौरभ शुक्ला, अरुण कुमार सिंह, अमित सिंह, अर्पित विनीत यशवंत, रवि अत्री, अभिषेक शुक्ला, कमलेश कुमार पाल और विक्रम पहल को पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके हैं. इन्हीं से पूछताछ के आधार पर एसटीएफ ने पूरा खुलासा किया.

Last Updated : Jun 24, 2024, 7:05 PM IST
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