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सावधान ! बच्चों में बढ़ा अस्थमा और डायबिटीज होने का खतरा, जरा सी लापरवाही पड़ सकती है भारी - Asthma Diabetes Risk In Children - ASTHMA DIABETES RISK IN CHILDREN

Asthma Diabetes Risk In Children, मौजूदा बदलते परिवेश में शारीरिक स्वास्थ्य को दुरुस्त बनाए रखना आज सबसे बड़ी चुनौती है. साथ ही खानपान का असर भी हमारे शरीर पर पड़ रहा है और जंक फूड कई बीमारियों का कारण बन रहे हैं. वहीं, अब बच्चों में भी ऐसी बीमारियां देखने को मिल रही है, जो बढ़ती उम्र के साथ होती हैं.

Asthma Diabetes Risk In Children
बच्चों में अस्थमा और डायबिटीज का खतरा, लापरवाही पड़ सकती है भारी (ETV BHARAT Bikaner)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 8, 2024, 7:09 PM IST

बच्चों में बढ़ा अस्थमा और डायबिटीज का खतरा (ETV BHARAT Bikaner)

बीकानेर. बदलती जीवन शैली, पर्यावरण असंतुलन और खानपान में बदलाव धीरे-धीरे कई बीमारियों को न्योता दे रहे हैं. दिन-ब-दिन प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है, जिसकी वजह है हम आहिस्ते-आहिस्ते बीमारियों की गिरफ्त में फंसते चले जा रहे हैं. अब डायबिटीज और अस्थमा जैसी बीमारियां बच्चों को होने लगी है, जो अपने आप में चिंता की बात है और इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है.

हर 10 में से एक को अस्थमा : बीकानेर के पीबीएम शिशु रोग अस्पताल के चिकित्सक डॉ. मुकेश बेनीवाल कहते हैं कि यह बात सही है कि बच्चों में आज अस्थमा के मामले बढ़े हैं. हर 10 में से एक बच्चा अस्थमा से पीड़ित है. बच्चों में इस संख्या का बढ़ने का कारण खानपान में बदलाव और पर्यावरण असंतुलन है. हालांकि, जागरूकता बढ़ने से लोग अब जांच कराने को लेकर सजग हो गए हैं.

तेजी से बढ़े डायबिटीज के मामले : डॉ. मुकेश बेनीवाल कहते हैं कि बच्चों में डायबिटीज के मामले बढ़ रहे हैं. यह बात भी अब सामने आ रही है कि पहले लोग इसको लेकर जांच नहीं करवाते थे, जिसके चलते ये बीमारी चिन्हित नहीं हो पाती थी. अब खुद अभिभावक इसे लेकर सजग हैं. यही वजह है कि वो बीमारी को छुपाने की बजाय उसका इलाज करवा रहे हैं. हालांकि, अस्थमा के मुकाबले डायबिटीज का अनुपात बच्चों में काम है, लेकिन फिर भी यह चिंताजनक है.

इसे भी पढ़ें - भारत में इन कारणों से बढ़ रही है बीमारियां - Rising diseases cases India

फास्ट फूड और जंक फूड भी कारण : डॉ. मुकेश बेनीवाल कहते हैं कि निश्चित रूप से खानपान में बदलाव और बच्चों में जंक फूड और फास्ट फूड के प्रति आकर्षण बड़ा है. वहीं, फास्ट फूड में अलग-अलग सामग्री का उपयोग होता है, वो भी इन दोनों ही बीमारियों के एक अहम कारण हैं.

अभिभावक बनें समझदार : ऑटिज्म का इलाज करने वाले फिजियोथिरेपिस्ट डॉ. अमित पुरोहित ने कहा कि निश्चित रूप से कई बार ऐसे बच्चे भी आते हैं, जिन्हें शुगर और अस्थमा होती है. माता-पिता न तो इस बात को स्वीकार करते हैं और न ही इसकी जांच करवाना चाहते हैं. हालांकि, ऐसे बच्चों का इलाज मेडिसिन से संभव है. बावजूद इसके यह एक बड़ी समस्या है और इसे लेकर अभिभावकों को सावधान रहने की जरूरत है. साथ ही जंक फूड और फास्ट फूड से दूरी बनाने की आवश्यकता है.

बच्चों में बढ़ा अस्थमा और डायबिटीज का खतरा (ETV BHARAT Bikaner)

बीकानेर. बदलती जीवन शैली, पर्यावरण असंतुलन और खानपान में बदलाव धीरे-धीरे कई बीमारियों को न्योता दे रहे हैं. दिन-ब-दिन प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है, जिसकी वजह है हम आहिस्ते-आहिस्ते बीमारियों की गिरफ्त में फंसते चले जा रहे हैं. अब डायबिटीज और अस्थमा जैसी बीमारियां बच्चों को होने लगी है, जो अपने आप में चिंता की बात है और इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है.

हर 10 में से एक को अस्थमा : बीकानेर के पीबीएम शिशु रोग अस्पताल के चिकित्सक डॉ. मुकेश बेनीवाल कहते हैं कि यह बात सही है कि बच्चों में आज अस्थमा के मामले बढ़े हैं. हर 10 में से एक बच्चा अस्थमा से पीड़ित है. बच्चों में इस संख्या का बढ़ने का कारण खानपान में बदलाव और पर्यावरण असंतुलन है. हालांकि, जागरूकता बढ़ने से लोग अब जांच कराने को लेकर सजग हो गए हैं.

तेजी से बढ़े डायबिटीज के मामले : डॉ. मुकेश बेनीवाल कहते हैं कि बच्चों में डायबिटीज के मामले बढ़ रहे हैं. यह बात भी अब सामने आ रही है कि पहले लोग इसको लेकर जांच नहीं करवाते थे, जिसके चलते ये बीमारी चिन्हित नहीं हो पाती थी. अब खुद अभिभावक इसे लेकर सजग हैं. यही वजह है कि वो बीमारी को छुपाने की बजाय उसका इलाज करवा रहे हैं. हालांकि, अस्थमा के मुकाबले डायबिटीज का अनुपात बच्चों में काम है, लेकिन फिर भी यह चिंताजनक है.

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फास्ट फूड और जंक फूड भी कारण : डॉ. मुकेश बेनीवाल कहते हैं कि निश्चित रूप से खानपान में बदलाव और बच्चों में जंक फूड और फास्ट फूड के प्रति आकर्षण बड़ा है. वहीं, फास्ट फूड में अलग-अलग सामग्री का उपयोग होता है, वो भी इन दोनों ही बीमारियों के एक अहम कारण हैं.

अभिभावक बनें समझदार : ऑटिज्म का इलाज करने वाले फिजियोथिरेपिस्ट डॉ. अमित पुरोहित ने कहा कि निश्चित रूप से कई बार ऐसे बच्चे भी आते हैं, जिन्हें शुगर और अस्थमा होती है. माता-पिता न तो इस बात को स्वीकार करते हैं और न ही इसकी जांच करवाना चाहते हैं. हालांकि, ऐसे बच्चों का इलाज मेडिसिन से संभव है. बावजूद इसके यह एक बड़ी समस्या है और इसे लेकर अभिभावकों को सावधान रहने की जरूरत है. साथ ही जंक फूड और फास्ट फूड से दूरी बनाने की आवश्यकता है.

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