बीकानेर. बदलती जीवन शैली, पर्यावरण असंतुलन और खानपान में बदलाव धीरे-धीरे कई बीमारियों को न्योता दे रहे हैं. दिन-ब-दिन प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है, जिसकी वजह है हम आहिस्ते-आहिस्ते बीमारियों की गिरफ्त में फंसते चले जा रहे हैं. अब डायबिटीज और अस्थमा जैसी बीमारियां बच्चों को होने लगी है, जो अपने आप में चिंता की बात है और इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है.
हर 10 में से एक को अस्थमा : बीकानेर के पीबीएम शिशु रोग अस्पताल के चिकित्सक डॉ. मुकेश बेनीवाल कहते हैं कि यह बात सही है कि बच्चों में आज अस्थमा के मामले बढ़े हैं. हर 10 में से एक बच्चा अस्थमा से पीड़ित है. बच्चों में इस संख्या का बढ़ने का कारण खानपान में बदलाव और पर्यावरण असंतुलन है. हालांकि, जागरूकता बढ़ने से लोग अब जांच कराने को लेकर सजग हो गए हैं.
तेजी से बढ़े डायबिटीज के मामले : डॉ. मुकेश बेनीवाल कहते हैं कि बच्चों में डायबिटीज के मामले बढ़ रहे हैं. यह बात भी अब सामने आ रही है कि पहले लोग इसको लेकर जांच नहीं करवाते थे, जिसके चलते ये बीमारी चिन्हित नहीं हो पाती थी. अब खुद अभिभावक इसे लेकर सजग हैं. यही वजह है कि वो बीमारी को छुपाने की बजाय उसका इलाज करवा रहे हैं. हालांकि, अस्थमा के मुकाबले डायबिटीज का अनुपात बच्चों में काम है, लेकिन फिर भी यह चिंताजनक है.
इसे भी पढ़ें - भारत में इन कारणों से बढ़ रही है बीमारियां - Rising diseases cases India
फास्ट फूड और जंक फूड भी कारण : डॉ. मुकेश बेनीवाल कहते हैं कि निश्चित रूप से खानपान में बदलाव और बच्चों में जंक फूड और फास्ट फूड के प्रति आकर्षण बड़ा है. वहीं, फास्ट फूड में अलग-अलग सामग्री का उपयोग होता है, वो भी इन दोनों ही बीमारियों के एक अहम कारण हैं.
अभिभावक बनें समझदार : ऑटिज्म का इलाज करने वाले फिजियोथिरेपिस्ट डॉ. अमित पुरोहित ने कहा कि निश्चित रूप से कई बार ऐसे बच्चे भी आते हैं, जिन्हें शुगर और अस्थमा होती है. माता-पिता न तो इस बात को स्वीकार करते हैं और न ही इसकी जांच करवाना चाहते हैं. हालांकि, ऐसे बच्चों का इलाज मेडिसिन से संभव है. बावजूद इसके यह एक बड़ी समस्या है और इसे लेकर अभिभावकों को सावधान रहने की जरूरत है. साथ ही जंक फूड और फास्ट फूड से दूरी बनाने की आवश्यकता है.