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राज्यसभा चुनाव 2024: कांग्रेस को जेएमएम से बड़ा दिल दिखाने की उम्मीद, जवाब मिला कि हम भी जीतें तो उच्च सदन में मजबूत होगा गठबंधन

Rajya Sabha elections 2024. झारखंड में राज्यसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और जेएमएम नेताओं की बयानबाजी तेज हो गयी है. कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि झामुमो बड़ा दिल दिखाएगा. इसके जवाब में जेएमएम ने कहा कि हम भी जीतेंगे तो राज्यसभा में कांग्रेस ही मजबूत होगी.

Rhetoric of Congress and JMM leaders on Rajya Sabha elections in Jharkhand
झारखंड में राज्यसभा चुनाव को कांग्रेस और जेएमएम नेताओं की बयानबाजी तेज
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 25, 2024, 9:20 PM IST

राज्यसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और जेएमएम नेताओं की बयानबाजी

रांची: राज्यसभा की दो सीटें इस बार झारखंड में खाली हो रही है. इसमें एक सीट भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष समीर उरांव की है. दूसरी सीट कांग्रेस के दिग्गज नेता धीरज प्रसाद साहू की है. बीजेपी तो अपने एक उम्मीदवार को राज्यसभा भेजने में सक्षम है. लेकिन कांग्रेस और जेएमएम के पास मिलकर ही एक उम्मीदवार भेज सकते हैं. इस एक सीट को लेकर दोनों सत्ताधारी दलों में खींचतान नजर आ रही है.

ऐसे में झारखंड की राजनीति में ये कयास लगने लगे हैं कि इस बार राज्यसभा चुनाव में महागठबंधन की ओर से राज्यसभा प्रत्याशी कांग्रेस का होगा या फिर 2022 की तरह झामुमो अपना उम्मीदवार मैदान में उतार देगा.

कांग्रेस का होना चाहिए उम्मीदवार- प्रदेश प्रवक्ता की बयानबाजी शुरूः

झारखंड में राज्यसभा चुनाव 2024 का शेड्यूल जारी होते ही प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ताओं और प्रदेश महासचिव ने एक के बाद एक मीडिया के माध्यम से बयान दिया है. जिसमें यह संदेश सहयोगी झामुमो को देने की कोशिश की जा रही है कि राज्यसभा की एक सीट कांग्रेस सांसद धीरज साहू के कार्यकाल खत्म होने से हो रहा है. इसलिए इस सीट पर हक कांग्रेस का ही बनता है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता जगदीश साहू ने जहां झामुमो से बड़ा दिल दिखाने की अपील तक की है. वहीं रिंकू तिवारी ने कहा कि यह सही है कि विधानसभा में झामुमो विधायकों की संख्या बल में ज्यादा हैं लेकिन यह भी सही है कि सीट हमारे राज्यसभा सांसद के कार्यकाल समाप्त होने से खाली हो रहा है. प्रदेश प्रवक्ता ने यह भी कहा कि झामुमो को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि हम अभी गठबंधन में हैं. कांग्रेस के प्रदेश महासचिव ने भी राज्यसभा चुनाव को लेकर कहा कि पार्टी राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार खड़ा करेगी.

हम भी जीतेंगे तो I.N.D.I.A और कांग्रेस को ही मजबूती मिलेगी- डॉ. हेमलालः

राज्यसभा चुनाव में झामुमो बड़ा दिल दिखाते हुए कांग्रेस को सीट दे देगी या फिर 29 विधायकों के बल पर वह अपना उम्मीदवार राज्यसभा में भेजना चाहेगी. इस सवाल के जवाब के रांची झामुमो के महासचिव डॉ. हेमलाल मेहता "हेमू" ने कहा कि उनकी और पार्टी के ज्यादातर नेताओं और कार्यकर्ताओं की इच्छा है कि झामुमो का उम्मीदवार ही राज्यसभा जाए. उन्होंने कहा कि अगर झामुमो का भी उम्मीदवार जीतकर राज्यसभा जाएंगे तो संसद के ऊपरी सदन में कांग्रेस और I.N.D.I.A गठबंधन ही मजबूत होगा.

क्या है राज्यसभा चुनाव का गणितः

झारखंड में राज्यसभा चुनाव में जीत के लिए प्रत्याशी को पहली प्राथमिकता की 27 वोट चाहिए. ऐसे में विधानसभा के अंदर सरफराज अहमद के इस्तीफे के बावजूद झामुमो के विधायकों की संख्या 29 है. ये संख्या एक उम्मीदवार जो जीत दिलाने के लिए पर्याप्त है. वहीं भारतीय जनता पार्टी के विधायकों की संख्या बाबूलाल मरांडी को मिलाकर 26 हैं. सहयोगी दल आजसू के 03 विधायक के साथ ये संख्या 29 हो जाती है. निर्दलीय विधायक अमित यादव का झुकाव भी भाजपा की ओर ही रहा है. ऐसे में अन्य निर्दलीय या छोटे दलों के विधायकों समर्थन की बात छोड़ दें तो भी भाजपा भी एक उम्मीदवार को जीता कर राज्यसभा भेजने की क्षमता रखती है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या 29 विधायक वाली पार्टी झामुमो अपने सहयोगी 17 विधायक वाली कांग्रेस के उम्मीदवार उतारने पर अपनी सहमति देती है या नहीं.

इसे भी पढ़ें- झारखंड में राज्यसभा की दो सीटें होने जा रही हैं खाली, 21 मार्च को होगी वोटिंग, झामुमो और भाजपा के खाते में एक-एक सीट जाना तय

इसे भी पढे़ं- राज्यसभा सीट और 200 करोड़ में हुई है गांडेय विधानसभा से इस्तीफे की डीलः बाबूलाल मरांडी

राज्यसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और जेएमएम नेताओं की बयानबाजी

रांची: राज्यसभा की दो सीटें इस बार झारखंड में खाली हो रही है. इसमें एक सीट भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष समीर उरांव की है. दूसरी सीट कांग्रेस के दिग्गज नेता धीरज प्रसाद साहू की है. बीजेपी तो अपने एक उम्मीदवार को राज्यसभा भेजने में सक्षम है. लेकिन कांग्रेस और जेएमएम के पास मिलकर ही एक उम्मीदवार भेज सकते हैं. इस एक सीट को लेकर दोनों सत्ताधारी दलों में खींचतान नजर आ रही है.

ऐसे में झारखंड की राजनीति में ये कयास लगने लगे हैं कि इस बार राज्यसभा चुनाव में महागठबंधन की ओर से राज्यसभा प्रत्याशी कांग्रेस का होगा या फिर 2022 की तरह झामुमो अपना उम्मीदवार मैदान में उतार देगा.

कांग्रेस का होना चाहिए उम्मीदवार- प्रदेश प्रवक्ता की बयानबाजी शुरूः

झारखंड में राज्यसभा चुनाव 2024 का शेड्यूल जारी होते ही प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ताओं और प्रदेश महासचिव ने एक के बाद एक मीडिया के माध्यम से बयान दिया है. जिसमें यह संदेश सहयोगी झामुमो को देने की कोशिश की जा रही है कि राज्यसभा की एक सीट कांग्रेस सांसद धीरज साहू के कार्यकाल खत्म होने से हो रहा है. इसलिए इस सीट पर हक कांग्रेस का ही बनता है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता जगदीश साहू ने जहां झामुमो से बड़ा दिल दिखाने की अपील तक की है. वहीं रिंकू तिवारी ने कहा कि यह सही है कि विधानसभा में झामुमो विधायकों की संख्या बल में ज्यादा हैं लेकिन यह भी सही है कि सीट हमारे राज्यसभा सांसद के कार्यकाल समाप्त होने से खाली हो रहा है. प्रदेश प्रवक्ता ने यह भी कहा कि झामुमो को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि हम अभी गठबंधन में हैं. कांग्रेस के प्रदेश महासचिव ने भी राज्यसभा चुनाव को लेकर कहा कि पार्टी राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार खड़ा करेगी.

हम भी जीतेंगे तो I.N.D.I.A और कांग्रेस को ही मजबूती मिलेगी- डॉ. हेमलालः

राज्यसभा चुनाव में झामुमो बड़ा दिल दिखाते हुए कांग्रेस को सीट दे देगी या फिर 29 विधायकों के बल पर वह अपना उम्मीदवार राज्यसभा में भेजना चाहेगी. इस सवाल के जवाब के रांची झामुमो के महासचिव डॉ. हेमलाल मेहता "हेमू" ने कहा कि उनकी और पार्टी के ज्यादातर नेताओं और कार्यकर्ताओं की इच्छा है कि झामुमो का उम्मीदवार ही राज्यसभा जाए. उन्होंने कहा कि अगर झामुमो का भी उम्मीदवार जीतकर राज्यसभा जाएंगे तो संसद के ऊपरी सदन में कांग्रेस और I.N.D.I.A गठबंधन ही मजबूत होगा.

क्या है राज्यसभा चुनाव का गणितः

झारखंड में राज्यसभा चुनाव में जीत के लिए प्रत्याशी को पहली प्राथमिकता की 27 वोट चाहिए. ऐसे में विधानसभा के अंदर सरफराज अहमद के इस्तीफे के बावजूद झामुमो के विधायकों की संख्या 29 है. ये संख्या एक उम्मीदवार जो जीत दिलाने के लिए पर्याप्त है. वहीं भारतीय जनता पार्टी के विधायकों की संख्या बाबूलाल मरांडी को मिलाकर 26 हैं. सहयोगी दल आजसू के 03 विधायक के साथ ये संख्या 29 हो जाती है. निर्दलीय विधायक अमित यादव का झुकाव भी भाजपा की ओर ही रहा है. ऐसे में अन्य निर्दलीय या छोटे दलों के विधायकों समर्थन की बात छोड़ दें तो भी भाजपा भी एक उम्मीदवार को जीता कर राज्यसभा भेजने की क्षमता रखती है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या 29 विधायक वाली पार्टी झामुमो अपने सहयोगी 17 विधायक वाली कांग्रेस के उम्मीदवार उतारने पर अपनी सहमति देती है या नहीं.

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