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आजादी के नायक सचिंद्रनाथ सान्याल ने गोरखपुर में ली थी अंतिम सांस, घर बन रहा संग्रहालय - Gorakhpur News

क्रांतिकारी सचिंद्रनाथ सान्याल ने बनारस में पहली बार भगत सिंह की सहायता (Sachindranath Sanyal) की थी. काशी में जन्मे सचिंद्र नाथ सान्याल अपने समय के क्रांतिकारियों में से एक थे. उन्होंने अपने जीवन की अंतिम सांस गोरखपुर में ली थी.

गोरखपुर में बन रहा संग्रहालय
गोरखपुर में बन रहा संग्रहालय (Photo credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 10, 2024, 9:18 AM IST

Updated : Aug 10, 2024, 11:30 AM IST

गोरखपुर में सचिंद्रनाथ सान्याल का निवास स्थल बन रहा संग्रहालय (Video credit: ETV Bharat)

गोरखपुर : बलिदानी सरदार भगत सिंह के गुरू सचिंद्र नाथ सान्याल के बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे कि, उन्होंने अपने जीवन की अंतिम सांस गोरखपुर में ली. क्रांतिकारी गतिविधियों के संचालन में वह गोरखपुर, बनारस, लखनऊ जहां भी शामिल रहे हों, लेकिन उनके जीवन का आखिरी पड़ाव गोरखपुर बना.

निवास स्थल बन रहा संग्रहालय
निवास स्थल बन रहा संग्रहालय (Photo credit: ETV Bharat)

काला पानी की सजा सेल्यूलर जेल में काटते हुए, जब वह टीबी के मरीज हुए तो अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें मुक्त कर दिया, जिसके बाद उन्होंने अपने बड़े भाई के निवास स्थान जो गोरखपुर में था उसको अपना ठिकाना बनाया. वर्ष 1942 में आखिरकार वह इस दुनिया को छोड़कर गोलोक को प्रस्थान कर गए. सचिंद्रनाथ सान्याल के परिवार की जो भूमि थी मौजूदा समय में उस भूमि पर 'भारत सेवाश्रम संघ' का कार्यालय है. जहां से सामाजिक गतिविधियों के कई कार्यक्रम आगे बढ़ाए जाते हैं. संघ को यह जमीन सान्याल परिवार ने दान में दे दी थी, लेकिन अब यह स्थान सचिंद्रनाथ सान्याल और उनके क्रांतिकारी गतिविधियों को समेटे हुए, एक संग्रहालय के रूप में लोगों को बहुत जल्द नजर आएगा. इस संग्रहालय का निर्माण अपने अंतिम चरण में है. उम्मीद की जा रही है कि अगस्त माह के आखिरी दिनों में इसका लोकार्पण प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों किया जा सकता है, तैयारी पुरजोर चल रही है.

भारत सेवाश्रम संघ
भारत सेवाश्रम संघ (Photo credit: ETV Bharat)

भारत सेवाश्रम संघ के गोरखपुर इकाई के अध्यक्ष स्वामी निषेशानंद ने ईटीवी भारत को बताया कि, सचिंद्रनाथ सान्याल के जीवन का महत्वपूर्ण समय और अंतिम समय गोरखपुर में ही गुजरा था. अगर उन्हें टीबी की बीमारी नहीं हुई होती तो शायद अंग्रेजी हुकूमत उन्हें काला पानी की सजा से मुक्त नहीं करती, लेकिन अंग्रेजी सरकार को या डर था कि कहीं अन्य कैदियों को भी टीबी की बीमारी न हो जाए इसलिए उन्हें मुक्त कर दिया. उन्होंने बताया कि सान्याल बड़े ही जुझारू क्रांतिकारी थे. इस बात का अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि उनके शिष्यों की सूची में सरदार भगत सिंह समेत न जाने कितने क्रांतिकारी शामिल थे. काकोरी कांड की घटना में तो उनका अहम योगदान था.

उन्होंने कहा कि सचिंद्रनाथ सान्याल से मिलने के लिए सुभाष चंद्र बोस भी गोरखपुर आए थे, यह भी बहुत कम लोगों को पता होगा, लेकिन इतिहास के पन्ने और सचिंद्रनाथ सान्याल से जुड़े हुए दस्तावेज इस बात को बताते हैं. उन्होंने कहा कि यूपी की योगी सरकार जब आजादी के 75वें वर्ष को अमृत काल वर्ष के रूप में मनाते हुए, तमाम क्रांतिकारियों के शहीद स्थल को सजाने, संवारने और संग्रहालय बनाने का कदम उठा रही थी तब, उन्होंने इसका प्रस्ताव यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को दिया था. जिसको उन्होंने स्वीकार किया और आज सचिंद्रनाथ सान्याल से जुड़ा सभागार, संग्रहालय बनाकर तैयार है जो, वर्तमान पीढ़ी के साथ आने वाली पीढ़ी को भी उनकी देशभक्ति और क्रांतिकारी गतिविधियों से परिचित कराएगा.

योगी सरकार ने स्वामी जी के प्रस्ताव का संज्ञान लेते हुए इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बनाई जो अब यह मुहूर्त रूप ले रही है. सचिंद्रनाथ सान्याल के आवास को स्मृति भवन के रूप में विकसित करने के लिए पर्यटन विभाग ने तीन करोड़ का प्रस्ताव शासन को भेजा था जो स्वीकृत हुआ और बजट भी वर्ष 2023 में जारी हो गया. इसके बाद सचिंद्रनाथ सान्याल स्मृति भवन और संग्रहालय का निर्माण शुरू हुआ जो अंतिम चरण में है. भवन के सामने एक चबूतरा भी बनाया जा रहा है, जिस पर सचिंद्रनाथ सान्याल की प्रतिमा को स्थापित किया जाएगा. प्रतिमा बनकर आ गई है. उसे सुरक्षित रखा गया है. इसका अंतिम कार्य भव्य प्रवेश द्वार का निर्माण होगा जो कैंट थाना के बगल से होकर, इस आश्रम तक पहुंचने वाली गली का मुख्य द्वार होगा. इस स्मृति भवन का मुख्य आकर्षण म्यूजियम होगा, जिसमें उपलब्धता के आधार पर सचिंद्रनाथ सान्याल से जुड़ी हुई महत्वपूर्ण वस्तुएं प्रदर्शनी के रूप में रखी जाएंगी. इसके अलावा वाचनालय के साथ-साथ लाइब्रेरी भी विकसित की जाएगी, जिसमें स्वाधीनता आंदोलन से जुड़ी महत्वपूर्ण और दुर्लभ पुस्तकों को उपलब्ध कराया जाएगा.

इस संबंध में पर्यटन निगम के उपनिदेशक रविंद्र कुमार मिश्रा ने कहा कि क्रांतिकारी सचिंद्रनाथ सान्याल के आवास को स्मृति भवन के रूप में विकसित करने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है. केवल साज सज्जा और मुख्य द्वार बनाने का कार्य बाकी है. अगस्त में इस कार्य को अंतिम रूप देने का लक्ष्य लिया गया है. उम्मीद है इसे पूरा किया जाएगा. प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों इसका लोकार्पण हो इसकी भी कोशिश की जा रही है.

यह भी पढ़ें : शहादत दिवस विशेष : महामना ने किया था भगत सिंह की फांसी रुकवाने का प्रयास !

यह भी पढ़ें : VIDEO: बनारस का क्रांति अड्डा, यहां तैयार हुआ था काकोरी कांड का ब्लूप्रिंट - Kakori Train Action Centenary

गोरखपुर में सचिंद्रनाथ सान्याल का निवास स्थल बन रहा संग्रहालय (Video credit: ETV Bharat)

गोरखपुर : बलिदानी सरदार भगत सिंह के गुरू सचिंद्र नाथ सान्याल के बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे कि, उन्होंने अपने जीवन की अंतिम सांस गोरखपुर में ली. क्रांतिकारी गतिविधियों के संचालन में वह गोरखपुर, बनारस, लखनऊ जहां भी शामिल रहे हों, लेकिन उनके जीवन का आखिरी पड़ाव गोरखपुर बना.

निवास स्थल बन रहा संग्रहालय
निवास स्थल बन रहा संग्रहालय (Photo credit: ETV Bharat)

काला पानी की सजा सेल्यूलर जेल में काटते हुए, जब वह टीबी के मरीज हुए तो अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें मुक्त कर दिया, जिसके बाद उन्होंने अपने बड़े भाई के निवास स्थान जो गोरखपुर में था उसको अपना ठिकाना बनाया. वर्ष 1942 में आखिरकार वह इस दुनिया को छोड़कर गोलोक को प्रस्थान कर गए. सचिंद्रनाथ सान्याल के परिवार की जो भूमि थी मौजूदा समय में उस भूमि पर 'भारत सेवाश्रम संघ' का कार्यालय है. जहां से सामाजिक गतिविधियों के कई कार्यक्रम आगे बढ़ाए जाते हैं. संघ को यह जमीन सान्याल परिवार ने दान में दे दी थी, लेकिन अब यह स्थान सचिंद्रनाथ सान्याल और उनके क्रांतिकारी गतिविधियों को समेटे हुए, एक संग्रहालय के रूप में लोगों को बहुत जल्द नजर आएगा. इस संग्रहालय का निर्माण अपने अंतिम चरण में है. उम्मीद की जा रही है कि अगस्त माह के आखिरी दिनों में इसका लोकार्पण प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों किया जा सकता है, तैयारी पुरजोर चल रही है.

भारत सेवाश्रम संघ
भारत सेवाश्रम संघ (Photo credit: ETV Bharat)

भारत सेवाश्रम संघ के गोरखपुर इकाई के अध्यक्ष स्वामी निषेशानंद ने ईटीवी भारत को बताया कि, सचिंद्रनाथ सान्याल के जीवन का महत्वपूर्ण समय और अंतिम समय गोरखपुर में ही गुजरा था. अगर उन्हें टीबी की बीमारी नहीं हुई होती तो शायद अंग्रेजी हुकूमत उन्हें काला पानी की सजा से मुक्त नहीं करती, लेकिन अंग्रेजी सरकार को या डर था कि कहीं अन्य कैदियों को भी टीबी की बीमारी न हो जाए इसलिए उन्हें मुक्त कर दिया. उन्होंने बताया कि सान्याल बड़े ही जुझारू क्रांतिकारी थे. इस बात का अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि उनके शिष्यों की सूची में सरदार भगत सिंह समेत न जाने कितने क्रांतिकारी शामिल थे. काकोरी कांड की घटना में तो उनका अहम योगदान था.

उन्होंने कहा कि सचिंद्रनाथ सान्याल से मिलने के लिए सुभाष चंद्र बोस भी गोरखपुर आए थे, यह भी बहुत कम लोगों को पता होगा, लेकिन इतिहास के पन्ने और सचिंद्रनाथ सान्याल से जुड़े हुए दस्तावेज इस बात को बताते हैं. उन्होंने कहा कि यूपी की योगी सरकार जब आजादी के 75वें वर्ष को अमृत काल वर्ष के रूप में मनाते हुए, तमाम क्रांतिकारियों के शहीद स्थल को सजाने, संवारने और संग्रहालय बनाने का कदम उठा रही थी तब, उन्होंने इसका प्रस्ताव यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को दिया था. जिसको उन्होंने स्वीकार किया और आज सचिंद्रनाथ सान्याल से जुड़ा सभागार, संग्रहालय बनाकर तैयार है जो, वर्तमान पीढ़ी के साथ आने वाली पीढ़ी को भी उनकी देशभक्ति और क्रांतिकारी गतिविधियों से परिचित कराएगा.

योगी सरकार ने स्वामी जी के प्रस्ताव का संज्ञान लेते हुए इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बनाई जो अब यह मुहूर्त रूप ले रही है. सचिंद्रनाथ सान्याल के आवास को स्मृति भवन के रूप में विकसित करने के लिए पर्यटन विभाग ने तीन करोड़ का प्रस्ताव शासन को भेजा था जो स्वीकृत हुआ और बजट भी वर्ष 2023 में जारी हो गया. इसके बाद सचिंद्रनाथ सान्याल स्मृति भवन और संग्रहालय का निर्माण शुरू हुआ जो अंतिम चरण में है. भवन के सामने एक चबूतरा भी बनाया जा रहा है, जिस पर सचिंद्रनाथ सान्याल की प्रतिमा को स्थापित किया जाएगा. प्रतिमा बनकर आ गई है. उसे सुरक्षित रखा गया है. इसका अंतिम कार्य भव्य प्रवेश द्वार का निर्माण होगा जो कैंट थाना के बगल से होकर, इस आश्रम तक पहुंचने वाली गली का मुख्य द्वार होगा. इस स्मृति भवन का मुख्य आकर्षण म्यूजियम होगा, जिसमें उपलब्धता के आधार पर सचिंद्रनाथ सान्याल से जुड़ी हुई महत्वपूर्ण वस्तुएं प्रदर्शनी के रूप में रखी जाएंगी. इसके अलावा वाचनालय के साथ-साथ लाइब्रेरी भी विकसित की जाएगी, जिसमें स्वाधीनता आंदोलन से जुड़ी महत्वपूर्ण और दुर्लभ पुस्तकों को उपलब्ध कराया जाएगा.

इस संबंध में पर्यटन निगम के उपनिदेशक रविंद्र कुमार मिश्रा ने कहा कि क्रांतिकारी सचिंद्रनाथ सान्याल के आवास को स्मृति भवन के रूप में विकसित करने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है. केवल साज सज्जा और मुख्य द्वार बनाने का कार्य बाकी है. अगस्त में इस कार्य को अंतिम रूप देने का लक्ष्य लिया गया है. उम्मीद है इसे पूरा किया जाएगा. प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों इसका लोकार्पण हो इसकी भी कोशिश की जा रही है.

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Last Updated : Aug 10, 2024, 11:30 AM IST
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