नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: गौतमबुद्ध नगर जिले की एकमात्र दादरी नगर पालिका में घमासान मचा हुआ है. पालिका के 25 में से 14 सभासदों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने चेयरमैन गीता पंडित और अन्य अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. इस्तीफा देने वालों में भाजपा के भी सात सभासद शामिल हैं. उन्होंने अपनी ही पार्टी की चेयरमैन के खिलाफ बगावत की है. उनके साथ निर्दलीय पार्षद भी हैं. सभासदों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर चेयरमैन और ईओ के कार्यों पर रोक लगाने की मांग की.
वार्ड नंबर 16 से भारतीय जनता पार्टी के सभासद आदेश भाटी ने बताया कि नगरपालिका में भ्रष्टाचार चरम पर है. भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की जा रही है. अगर भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही नहीं हुई तो हम लोग अनशन या भूख हड़ताल भी करेंगे. उन्होंने बताया कि इस्तीफा देने वालों में सात सभासद भारतीय जनता पार्टी से हैं. एक बहुजन समाज पार्टी से है और दो समाजवादी पार्टी से हैं बाकी सभी निर्दलीय हैं. निर्दलीय सभासदों ने भी भारतीय जनता पार्टी को समर्थन दिया है.
सभासद ज्ञान सिंह रावल ने कहा कि हम अप्रैल 2018 से लगातार समिति बनाने की मांग कर रहे हैं. 15 जून को बोर्ड बैठक हुई और उसमें ऐसे प्रस्ताव थे जो बिना सभासदों की अनुमति के पास हो गई. उसके बाद तीन बोर्ड बैठक कोरम पूरा न होने से असफल हो गई. वहीं 16 फरवरी को एक बैठक बुलाई गई जिसे हम 15 सभासदों ने जिला अधिकारी को लेटर लिखकर बैठक का बहिष्कार किया. 16 फरवरी को वह लेटर हमने दादरी नगर पालिका में भी दिया लेकिन उसके बावजूद भी 10 सभासदों के साथ बोर्ड बैठक की गई और नियमों का उल्लंघन करते हुए उसे पास कर दिया गया.
इस्तीफा देने वाले सभी सभासदों का कहना है कि जब तक सभासदों की समिति नहीं बनाई जाएगी तब तक वह लोग अपना इस्तीफा वापस नहीं लेंगे. इसके साथ ही अधिकारियों को भ्रष्टाचार फैलाने वालों पर कार्रवाई करनी होगी. इस्तीफा देने वालों में आदेश भाटी, सुमित कुमार भारती, प्रमोद कुमार, सनी रावल, सचिन कुमार, संजय रावल, कृष्ण शर्मा, हरीश रावल, रामनिवास बिधूड़ी, मोहम्मद आरिफ, कविता देवी और सीमा आदि शामिल है.
वहीं, इस पूरे मामले में दादरी नगर पालिका अध्यक्ष गीता पंडित ने सभासदों के सभी आरोपी को गलत बताया और कहा कि यह सभी सभासद समिति की मांग कर रहे हैं जो कि उत्तर प्रदेश में कहीं भी नहीं है. एक बार चाय पर चर्चा हुई थी तो हमने कहा था कि आप बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पास कराए उसके बाद प्रस्ताव को शासन को भेजा जाएगा. शासन का जो आदेश होगा वह मान्य होगा. लेकिन इन्होंने कहा कि बोर्ड बैठक में ही समिति बननी चाहिए. इन सभासदों ने जो भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं वह सारे गलत हैं.
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